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Environmental impact: पर्यावरण पर पड़ रहा मरुस्थलीकरण और सूखे का गंभीर असर

By योगेश कुमार गोयल | Updated: June 18, 2024 12:18 IST

Environmental impact: अंतरराष्ट्रीय सहयोग से वैश्विक स्तर पर मरुस्थलीकरण का मुकाबला करने के लिए जन-जागरूकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 1995 से प्रतिवर्ष 17 जून को ‘विश्व मरुस्थलीकरण रोकथाम और सूखा दिवस’ मनाया जाता है.

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ठळक मुद्देEnvironmental impact: जीव-जंतुओं की तमाम प्रजातियों पर भी भयानक दुष्प्रभाव हो रहा है. Environmental impact: मरुस्थलीकरण प्रायः ऐसे ही शुष्क इलाकों में ज्यादा देखा जा रहा है. Environmental impact: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1994 में मरुस्थलीकरण रोकथाम का प्रस्ताव रखा था.

Environmental impact: मरुस्थलीकरण आज दुनिया की विकट समस्या बनता जा रहा है, जिसका पर्यावरण पर गहरा असर पड़ रहा है. मरुस्थलीकरण का अर्थ है रेगिस्तान का फैलते जाना, जिससे विशेषकर शुष्क क्षेत्रों में उपजाऊ भूमि अनुपजाऊ भूमि में तब्दील हो रही है. इसके लिए भौगोलिक परिवर्तन के साथ-साथ मानव गतिविधियां भी बड़े स्तर पर जिम्मेदार हैं. शुष्क क्षेत्र ऐसे क्षेत्रों को कहा जाता है, जहां वर्षा इतनी मात्रा में नहीं होती कि वहां घनी हरियाली पनप सके. पूरी दुनिया में कुल स्थल भाग का करीब 40 फीसदी (लगभग 5.4 करोड़ वर्ग किमी) शुष्क क्षेत्र है.

मरुस्थलीकरण प्रायः ऐसे ही शुष्क इलाकों में ज्यादा देखा जा रहा है. वैश्विक स्तर पर रेत का साम्राज्य बढ़ते जाने के कारण कई देशों में अन्न का उत्पादन घटने से मानव जाति तो प्रभावित हो ही रही है, जीव-जंतुओं की तमाम प्रजातियों पर भी भयानक दुष्प्रभाव हो रहा है. अंतरराष्ट्रीय सहयोग से वैश्विक स्तर पर मरुस्थलीकरण का मुकाबला करने के लिए जन-जागरूकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 1995 से प्रतिवर्ष 17 जून को ‘विश्व मरुस्थलीकरण रोकथाम और सूखा दिवस’ मनाया जाता है.

मरुस्थलीकरण और सूखे की बढ़ती चुनौतियों के मद्देनजर इससे मुकाबला करने हेतु लोगों को जागरूक करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1994 में मरुस्थलीकरण रोकथाम का प्रस्ताव रखा था. इस दिवस के जरिये लोगों को जल तथा खाद्यान्न सुरक्षा के साथ पारिस्थितिकी तंत्र के प्रति जागरूक करने, सूखे के प्रभाव को प्रत्येक स्तर पर कम करने के लिए कार्य करने और नीति निर्धारकों पर मरुस्थलीकरण संबंधी नीतियों के निर्माण के साथ उससे निपटने के लिए कार्ययोजना बनाने का दबाव बनाने का प्रयास किया जाता है.

इस वर्ष यह दिवस ‘भूमि के लिए एकजुटता, हमारी विरासत, हमारा भविष्य’ विषय के साथ मनाया गया, जो भावी पीढ़ियों के लिए हमारे ग्रह के महत्वपूर्ण भूमि संसाधनों को संरक्षित करने के लिए सामूहिक कार्रवाई के महत्व को रेखांकित करता है. विश्व का 95 प्रतिशत भोजन कृषि भूमि पर उत्पादित होता है, यही भूमि हमारी खाद्य प्रणालियों का आधार है.

लेकिन चिंता का विषय है कि इसमें से एक तिहाई भूमि वर्तमान में क्षरित हो चुकी है, जो दुनियाभर में 3.2 अरब लोगों को प्रभावित करती है, विशेष रूप से ग्रामीण समुदायों और छोटे किसानों को, जो अपनी आजीविका के लिए भूमि पर निर्भर हैं, जिससे भूख, गरीबी, बेरोजगारी और जबरन पलायन में वृद्धि होती है. जलवायु परिवर्तन इन मुद्दों को और गंभीर बना देता है, जिससे टिकाऊ भूमि प्रबंधन और कृषि के लिए गंभीर चुनौतियां उत्पन्न होती हैं तथा पारिस्थितिकी तंत्र का लचीलापन कमजोर हो जाता है.

टॅग्स :Environment MinistryUnited Nations
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