कोविड-19 की मुश्किलों के बीच अर्थव्यवस्था के लिए अनुकूलताएं, जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: August 28, 2021 02:43 PM2021-08-28T14:43:29+5:302021-08-28T14:44:59+5:30
देश और दुनिया में भारत में कोरोना के कारण गरीबी बढ़ने और रोजगार अवसरों में कमी आने से संबंधित रिपोर्टो को गंभीरतापूर्वक पढ़ा जा रहा है.
कोरोना संक्रमण के कारण देश के करोड़ों लोग गरीबी और बेरोजगारी के साथ-साथ कई आर्थिक-सामाजिक चुनौतियों का सामना करते हुए दिखाई दे रहे हैं. अगस्त 2021 की बाजार रिपोर्टो के मुताबिक देश में सामान्य उपभोक्ताओं की क्रयशक्ति घटी है. साथ ही असमान मानसूनी बारिश ने महंगाई की चिंताएं भी बढ़ा दी हैं.
इस परिदृश्य के बीच देश और दुनिया में भारत में कोरोना के कारण गरीबी बढ़ने और रोजगार अवसरों में कमी आने से संबंधित रिपोर्टो को गंभीरतापूर्वक पढ़ा जा रहा है. अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वर्ष कोविड-19 संकट के पहले दौर में करीब 23 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे जा चुके हैं.
ये वे लोग हैं जो प्रतिदिन राष्ट्रीय न्यूनतम पारिश्रमिक 375 रुपए से भी कम कमा रहे हैं. इसी तरह अमेरिकी शोध संगठन प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना महामारी ने भारत में बीते साल 2020 में 7.5 करोड़ लोगों को गरीबी के दलदल में धकेल दिया. रिपोर्ट में रोज दो डॉलर यानी करीब 150 रु. कमाने वाले को गरीब की श्रेणी में रखा गया है.
लेकिन इन मुश्किलों और चुनौतियों के बीच भी इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चार लाभप्रद आर्थिक अनुकूलताएं उभरकर दिखाई दे रही हैं. एक, मजबूत कृषि विकास दर, रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन व रिकॉर्ड कृषि निर्यात. दो, रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार. तीन, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का रिकॉर्ड प्रवाह. चार, तेजी से बढ़ता हुआ शेयर बाजार.
इन अनुकूलताओं से देश में धीरे-धीरे गरीबी और बेरोजगारी की चुनौतियां कम हो सकेंगी और लोगों की आमदनी में भी वृद्धि हो सकेगी. निश्चित रूप से जिस तरह देश में कृषि क्षेत्न को उच्च प्राथमिकता के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है, उससे कृषि का सुकूनभरा परिदृश्य देश की बड़ी आर्थिक अनुकूलता बन गया है. इससे कृषि क्षेत्न से निर्यात भी तेजी से बढ़ा है.
कृषि मंत्नी नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक चालू फसल वर्ष 2020-21 में कोरोना की आपदा के बावजूद देश में खाद्यान्न की कुल पैदावार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचते हुए 30.86 करोड़ टन अनुमानित है. यह खाद्यान्न पैदावार पिछले वर्ष की कुल पैदावार 29.75 करोड़ टन के मुकाबले अधिक है. आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान जहां देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बड़ी गिरावट आई और वह ऋणात्मक हो गई, वहीं कृषि की विकास दर में करीब तीन फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है.
यदि हम रबी सीजन में हो रही फसलों की खरीदी को देखें तो पाते हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर रिकॉर्ड खरीद हुई है. एक खास बात यह भी है कि भारतीय खाद्य निगम के मुताबिक देश में 1 अप्रैल 2021 को सरकारी गोदामों में करीब 7.72 करोड़ टन खाद्यान्न का सुरक्षित भंडार है, जो बफर आवश्यकता से करीब 3 गुना है. ऐसे में वर्ष 2021 में कोरोना की चुनौतियों के बीच एक बार फिर केंद्र सरकार के द्वारा लागू की गई प्रधानमंत्नी गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ लाभार्थियों को नवंबर 2021 तक खाद्यान्न की अतिरिक्त आपूर्ति को भी सरलता से पूरा किया जा सकेगा.
उल्लेखनीय है कि हाल ही में प्रकाशित रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक विगत 14 अगस्त को देश का विदेशी मुद्रा भंडार 621.464 अरब डॉलर की ऐतिहासिक रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है और भारत दुनिया में चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार रखने वाला देश बन गया है. पिछले पांच वर्षो में विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से बढ़ा है.
नि:संदेह दुनिया के कई देशों की तुलना में भारत का शेयर बाजार छलांगें लगाकर आगे बढ़ते दिखाई दे रहा है. पिछले वर्ष 23 मार्च 2020 को जो बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) सेंसेक्स 25981 अंकों के साथ ढलान पर दिखाई दिया था, वह 25 अगस्त को 55944 के ऊंचे स्तर पर दिखाई दिया है. शेयर बाजार में आईपीओ लेने की होड़ मची हुई है.
आईपीओ में खुदरा निवेशकों की भागीदारी 25 फीसदी बढ़ी है. खासतौर से चालू वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में सरकार ने वृद्धि दर और राजस्व में बढ़ोत्तरी को लेकर जो बड़ा रणनीतिक कदम उठाया है, उससे शेयर बाजार को प्रोत्साहन मिला है. नि:संदेह कोविड-19 की चुनौतियों के बीच आर्थिक अनुकूलताओं से अर्थव्यवस्था में सुधार आने लगा है.
चूंकि अभी कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंका के बीच आर्थिक और औद्योगिक चुनौतियां बनी हुई हैं, ऐसे में चालू वित्त वर्ष में विकास दर को बढ़ाने के और अधिक रणनीतिक प्रयास जरूरी हैं. हम उम्मीद करें कि चालू वित्त वर्ष 2021-22 के बजट का कार्यान्वयन उपयुक्त रूप से किया जाएगा.
चालू वित्त वर्ष के बजट के अलावा सरकार ने कोविड की दूसरी लहर से जंग के लिए जो वित्तीय राहत पैकेज घोषित किए हैं, उनका शीघ्रतापूर्वक क्रियान्वयन किया जाएगा. निश्चित रूप से ऐसे प्रयासों से चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 के अंत में आर्थिक चुनौतियां व मुश्किलें कम होंगी, विकास दर बढ़ती हुई दिखाई दे सकेगी और अर्थव्यवस्था भी आगे बढ़ेगी.