भरत झुनझुनवाला का ब्लॉगः औद्योगीकरण के लाभ के साथ हानि पर भी हो विचार

By भरत झुनझुनवाला | Published: January 20, 2019 03:48 PM2019-01-20T15:48:43+5:302019-01-20T15:48:43+5:30

तमिलनाडु के प्रदूषण नियंत्नण बोर्ड ने उस फैक्टरी को बंद करने के आदेश पारित किए थे. लेकिन नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्नणबोर्ड के आदेशों को निरस्त कर दिया है और फैक्टरी को पुन: चालू करने का आदेश पारित कर दिया है. 

Blog of Bharat Jhunjhunwala: Thoughts on loss with the benefit of industrialization | भरत झुनझुनवाला का ब्लॉगः औद्योगीकरण के लाभ के साथ हानि पर भी हो विचार

सांकेतिक तस्वीर

Highlightsसमस्या है कि यदि हम परियोजनाओं के बाह्य प्रभावों का सही आकलन करते हैं तो तमाम परियोजनाएं निरस्त हो जाएंगी. लेकिन दूसरे देशों में प्रदूषण करने की तुलना में छूट ज्यादा है.अपने देश का आर्थिक विकास सॉफ्टवेयर, मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन, सिनेमा, संगीत, एक भाषा से दूसरी भाषा में अनुवाद, पर्यटन आदि सेवाओं के माध्यम से हासिल करें तो हमें  प्रदूषण को भी नहीं झेलना पड़ेगा और हम अपनी जनता को भारी मात्ना में रोजगार भी दे सकेंगे.

तमिलनाडु के तूतीकोरिन में स्टरलाइट कम्पनी की तांबा बनाने की विशाल फैक्टरी स्थित है. इस फैक्टरी द्वारा वायु में जहरीली गैस छोड़ी जा रही है जिससे आसपास के लोगों का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है. फैक्टरी द्वारा प्रदूषित पानी छोड़ा जा रहा है जिससे भूमिगत पानी जहरीला होता जा रहा है और उस जहरीले पानी की सिंचाई से उपजाई जा रही सब्जियां भी जहरीली होती जा रही हैं.

उसी जहरीले पानी के समुद्र में पहुंचने पर समुद्र की मछलियां भी मर रही हैं. इन दुष्प्रभावों को देखते हुए तमिलनाडु के प्रदूषण नियंत्नण बोर्ड ने उस फैक्टरी को बंद करने के आदेश पारित किए थे. लेकिन नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्नणबोर्ड के आदेशों को निरस्त कर दिया है और फैक्टरी को पुन: चालू करने का आदेश पारित कर दिया है. यहां प्रश्न उठता है कि प्रदूषण फैलाने वाली कंपनियों को देश में उत्पादन करने की छूट होनी चाहिए या नहीं. इस विषय पर गहन चिंतन की जरूरत है. 

वास्तव में किसी भी फैक्टरी के कुछ लाभ उद्यमी सीधे हासिल करता है. उसे प्रॉफिट होता है और वह कंपनी लाभांश या डिविडेंड वितरित करती है. लेकिन उस फैक्टरी के तमाम लाभ समाज को भी मिलते हैं. उदाहरण के लिए स्टरलाइट की फैक्टरी से देश में तांबे का भारी उत्पादन होता है जिसके कारण हमें तांबे का आयात कम करना पड़ता है. हम आर्थिक दृष्टि से स्वावलंबी हो जाते हैं. यह फैक्टरी का बाह्य लाभ हुआ जो कि उद्यमी को नहीं बल्कि शेष पूरे समाज को मिलता है. इसी प्रकार फैक्टरी की बाह्य हानि भी होती है. जैसे ऊपर बताया गया है वायु तथा जल के प्रदूषण से समाज को हानि होती है. इस प्रकार किसी फैक्टरी को चलने दिया जाए अथवा न चलने दिया जाए इसके लिए जरूरी है कि उद्यमी को होने वाले लाभ मात्न के आधार पर निर्णय न हो. यह भी देखा जाए कि फैक्टरी के बाहरी लाभ और हानि कितने हैं.

समस्या है कि यदि हम परियोजनाओं के बाह्य प्रभावों का सही आकलन करते हैं तो तमाम परियोजनाएं निरस्त हो जाएंगी. लेकिन दूसरे देशों में प्रदूषण करने की तुलना में छूट ज्यादा है. इसलिए प्रदूषण करने वाले कारखाने भारत में बंद हो जाएंगे और वे चीन को स्थानांतरित हो जाएंगे जिससे भारत में औद्योगीकरण नहीं हो सकेगा. इस समस्या का उपाय यह है कि हम प्रदूषण करने वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के स्थान पर सेवा क्षेत्न को प्रोत्साहन दें. दूसरे देशों की तुलना में अपने देश में भूमि कम है और जनसंख्या ज्यादा है.

ऐसे में हमको सेवा क्षेत्न पर विशेष ध्यान देना चाहिए. यदि हम अपने देश का आर्थिक विकास सॉफ्टवेयर, मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन, सिनेमा, संगीत, एक भाषा से दूसरी भाषा में अनुवाद, पर्यटन आदि सेवाओं के माध्यम से हासिल करें तो हमें  प्रदूषण को भी नहीं झेलना पड़ेगा और हम अपनी जनता को भारी मात्ना में रोजगार भी दे सकेंगे.

Web Title: Blog of Bharat Jhunjhunwala: Thoughts on loss with the benefit of industrialization

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