भरत झुनझुनवाला: लंबी मंदी से निपटने की तैयारी रखना ही सबसे बेहतर विकल्प

By भरत झुनझुनवाला | Published: December 21, 2020 09:15 AM2020-12-21T09:15:45+5:302020-12-21T09:26:11+5:30

कोरोना महामारी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. विश्व बैंक ने कहा है कि हम वर्तमान में ही लंबी मंदी में प्रवेश कर चुके हैं. ऐसे में खुद को इस माहौल से बाहर निकालने के लिए हमें ठोस तैयारी की जरूरत है.

Bharat Jhunjhunwala blog Getting ready to deal with long recession is best option | भरत झुनझुनवाला: लंबी मंदी से निपटने की तैयारी रखना ही सबसे बेहतर विकल्प

मंदी की राह में कहा है अभी भारत? (फाइल फोटो)

इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में हमारी सकल घरेलू आय यानी जीडीपी में 24 प्रतिशत की गिरावट आई थी. इसके बाद की दूसरी एवं तीसरी तिमाही में 8 से 10 प्रतिशत गिरावट रहने का अनुमान है जो कि सुधार का संकेत देता है. 

इसी प्रकार जून में वैश्विक संस्थाओं का आकलन था कि इस पूरे वर्ष 2020-21 में भारत की आर्थिक विकास दर ऋणात्मक 10 प्रतिशत रहेगी. लेकिन हाल में कई संस्थाओं ने इस गिरावट के अनुमान को 10 प्रतिशत से कम करके 7 प्रतिशत कर दिया है. 

इससे परिस्थिति में सुधार की संभावना दिख रही है. इन आकलनों के विपरीत विश्व बैंक ने कहा है कि हम वर्तमान में ही लंबी मंदी में प्रवेश कर चुके हैं. इन दोनों आकलनों के बीच हमें अपनी राह तय करनी है.

मंदी के होते हैं चार प्रकार

अर्थशास्त्र के अनुसार चार प्रकार की मंदी होती है. एक सामान्य मंदी होती है जैसे यदि किसी एक माह में पिछले वर्ष के उसी माह की तुलना में आय कम हो तो वह सामान्य मंदी कही जाती है. इसे आकस्मिक घटना माना जाता है और इसका दीर्घकालीन संज्ञान नहीं लिया जाता है जैसे सिरदर्द हो जाए तो डॉक्टर के पास नहीं जाया जाता है. 

दूसरी मंदी एक तिमाही तक जारी रहती है. पिछले वर्ष की तिमाही एक की तुलना में इस वर्ष की उसी तिमाही में आय में गिरावट आए तो उसे ‘मंदी’ या ‘रिसेशन’ कहा जाता है.

तीसरी मंदी वह होती है जो कि दो तिमाहियों तक लगातार रहे. जैसे यदि पिछले वर्ष की पहली दो तिमाहियों की तुलना में इस वर्ष की पहली दो तिमाहियों में आय में गिरावट आए तो इसे ‘तकनीकी मंदी’ अथवा ‘टेक्निकल रिसेशन’ कहते हैं. 

इसके बाद चौथी मंदी वह होती है जो कई वर्ष तक चलती है. इसे ‘डिप्रेशन’ कहा जाता है अथवा इसे हम लंबी मंदी कह सकते हैं. जैसे अमेरिका में वर्ष 1929 से 1938 के 9 वर्षो में से 7 वर्षो में आय में गिरावट आई थी. यह गिरावट कई वर्षो तक चली इसलिए इसे डिप्रेशन कहते हैं.

इस परिप्रेक्ष्य में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने वर्तमान मंदी को केवल तकनीकी मंदी यानी कि दो तिमाही की मंदी बताया है. उनके अनुसार हम फिलहाल लंबी मंदी में प्रवेश नहीं किए हैं. 

इसके विपरीत विश्व बैंक ने कहा है कि हम वर्तमान में ही लंबी मंदी अथवा डिप्रेशन में प्रवेश कर चुके हैं. यह मंदी लंबी चल सकती है. इसलिए इन दोनों आकलनों के बीच हम मुद्राकोष की बात मानकर सुकून में रह सकते हैं कि दो तिमाही की यह तकनीकी मंदी शीघ्र समाप्त हो सकती है.

खराब परिस्थिति के लिए खुद को रखना होगा तैयार

हमें विपरीत परिस्थितियों के लिए तैयार रहना चाहिए. जैसे शहर बरसात के समय अधिक वर्षा के लिए अपने नदी-नालों को सुव्यवस्थित करता है- भारी बरसात आए या न आए- उसी प्रकार हमें वर्तमान मंदी के लंबी मंदी में परिवर्तित हो जाने के लिए तैयार रहना चाहिए, वह आए या न आए.

वर्तमान मंदी के संबंध में दो विशेष अनिश्चितताएं हैं. पहली यह कि वैक्सीन बन कर सफल होती है या नहीं. शीघ्र ही विश्व के तमाम लोगों को वैक्सीन उपलब्ध हो जाने की भी संभावना है. परंतु इसके साइड इफेक्ट भी देखे जा रहे हैं. 

एक संभावना यह भी है कि कोविड का वायरस अपना रूप बदल ले या म्यूटेट हो जाए तो पुन: नए रूप में इस महामारी का फैलाव हो सकता है. यूरोपीय देशों में महामारी दोबारा बढ़ गई है. अमेरिका में भी थम नहीं रही है.

वैक्सीन से कितना लाभ होगा यह समय ही बताएगा. दूसरी अनिश्चितता है कि कभी-कभी मंदी का प्रभाव तत्काल कम और कुछ समय बाद ज्यादा गहरा हो जाता है. जैसे वर्ष 2008 की मंदी में उस वर्ष विशेष यानी 2008 में विश्व की आय में मात्न 0.1 प्रतिशत की गिरावट आई थी. लेकिन अगले वर्ष 2009 में विश्व की आय में 2.5 प्रतिशत की गिरावट आई थी. 

इन दोनों अनिश्चितताओं के कारण एक संभावना यह बनती है कि वर्तमान मंदी शीघ्र सामान्य हो जाए जैसा कि मुद्राकोष ने आकलन किया है; अथवा अगले वर्ष गहरी मंदी में हम प्रवेश कर जाएं जैसी संभावना विश्व बैंक ने जताई है. 

इन दोनों अनिश्चितताओं के कारण हमें सतर्क हो जाना चाहिए और लंबी मंदी के लिए तैयारी कर लेनी चाहिए. सबसे विपरीत परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए अन्यथा वैसी परिस्थिति उत्पन्न होने पर हम भारी संकट में पड़ेंगे.

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