पटनाः बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद शुक्रवार को दूसरी बार कैबिनेट का विस्तार हुआ। इस दौरान जदयू विधायक रत्नेश सदा को राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने शपथ दिलाई। वह सोनवर्षा से लगातार तीन बार जदयू से विधायक हैं। शपथ लेने से पहले रत्नेश सदा ने मुख्यमंत्री नीतीश के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लिया।
मुसहर समाज से आने वाले रत्नेश सदा को नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल करने के पीछे हालिया राजनीतिक घटनाक्रमों को माना जा रहा है। इस दौरान मौके पर मौजूद उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने उन्हें गले लगाकर शुभकामनाएं दी।
रत्नेश सदा के शपथ ग्रहण समारोह में मंत्री विजय चौधरी, बिजेंद्र यादव, तेज प्रताप यादव, श्रवण कुमार, अशोक चौधरी, प्रो चंद्रशेखर समेत अन्य कई मंत्रियों के अलावे जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा भी मौजूद थे। बता दें कि नीतीश कैबिनेट से मंत्री संतोष मांझी के इस्तीफे के बाद रत्नेश सदा को मंत्री बनाया गया है।
ऐसे में सियासी जानकारों का मानना है कि नीतीश कुमार ने मांझी के दलित वोट काटने के लिए रत्नेश सदा को सरकार में शामिल किया है। रत्नेश जीतनराम मांझी की तरह ही दलित समुदाय के नेता हैं। वे मुसहर समाज से आते हैं। ऐसे में चर्चा है कि रत्नेश सदा जीतनराम मांझी की जगह एक अच्छा रिप्लेसमेंट साबित हो सकते हैं।
बताया जाता है कि रत्नेश का जीवन काफी संघर्षों से भरा रहा। उनके पिता लक्ष्मी सदा मजदूर थे। राजनीति में आने से पहले वे खुद रिक्शा चलाकर गुजारा करते थे। इसके बाद वे राजनीति में आ गए। करीब 30 साल के सार्वजनिक-राजनीतिक जीवन के दौरान वे जदयू में उपाध्यक्ष, प्रदेश महासचिव सह सुपौल जिला संगठन प्रभारी समेत कई अन्य पदों पर रहे।
वे पहली बार साल 2010 में विधायक बने। उस समय से वे लगातार तीसरी बार विधायक बने हैं। अब उन्हें नीतीश मंत्रिमंडल में जगह मिली है। साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में दिए शपथ पत्र के अनुसार, रत्नेश सदा के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है। उनकी कुल चल-अचल संपत्ति 1.30 करोड़ की है।