Lok Sabha Elections 2024: बिहार में मधेपुरा लोकसभा सीट को लेकर महागठबंधन(इंडिया) में सहमति बनाना आसान नहीं दिख रहा है। यह सीट जदयू के पास है और कभी शरद यादव के शिष्य रहे दिनेशचंद्र यादव यहां से जदयू के सांसद हैं। जदयू और राजद महागठबंधन में हैं। ऐसे में राजद चाहेगी कि शरद यादव के बेटे शांतनु के लिए जदयू इस सीट पर अपनी दावेदारी छोड़ दे।
कारण कि शांतनु राजद में हैं। लेकिन जदयू अपनी सीटिंग सीट बताते हुए इसपर अपनी दावेदारी छोड़ेगी, इस पर संशय व्यक्त किया जाने लगा है। उल्लेखनीय है कि कभी इस सीट पर शरद यादव ने लालू प्रसाद यादव को पटखनी दी थी। अब शरद यादव के निधन के बाद उनके बेटे शांतनु ने इस सीट से अपनी दावेदारी पेश कर दी है।
शांतनु अभी से ही यहां लोगों से संपर्क करने में जुट गए हैं। इसमें शरद की धर्म पत्नी डा. रेखा यादव उन्हें सहयोग कर रही हैं। वह मधेपुरा के उसी आवास में रह रही हैं, जिसका निर्माण शरद यादव ने कराया था। शरद के पूरे परिवार का नाम मधेपुरा की मतदाता सूची में है। बताया जाता है कि शांतनु की उम्र करीब 30 साल है। एमए की पढ़ाई इंग्लैंड में हुई है।
अगर अवसर मिलता है तो 2024 का लोकसभा चुनाव उनका पहला होगा। 1991, 1996, 1999 और 2009 में शरद यादव ने लोकसभा में मधेपुरा का प्रतिनिधित्व किया था। 2019 में शरद जदयू के दिनेश चंद्र यादव के हाथों पराजित हुए। शरद यादव का निधन इसी साल 12 जनवरी को हुआ था।
ऐसे में पहली पुण्यतिथि पर मधेपुरा में उनकी आदमकद प्रतिमा स्थापित करने की योजना है। शिक्षा मंत्री डा. चंद्रशेखर ने उनकी प्रतिमा का निर्माण कराया है। इसे मधेपुरा के नए बस स्टैंड पर स्थापित करने की योजना है। इसके लिए राज्य सरकार से अनुमति की जरूरत है।
रविवार को शांतनु ने इसी क्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भेंट भी की थी। लेकिन शरद यादव के जिंदगी के आखिरी सालों में नीतीश कुमार से उनके रिश्ते ठीक नहीं रहे थे। ऐसे में इस सीट पर शांतनु की दावेदारी को नीतीश कुमार अपनी रजामंदी देंगे, इसको लेकर संशय बनी हुई है।
लेकिन राजद की ओर से यह कहा जाने लगा है कि शरद यादव को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। ऐसे में कयास इस बात के लगाए जाने लगे हैं कि सीटों के तालमेल को लेकर राजद और जदयू के बीच आसानी से बात सुलझ जाए इसकी संभावना कम ही है।