नमामि गंगे प्रोजेक्ट के अधूरा रहने के कारण बिहार में गंगा नदी में अब भी गिराया जा रहा है गंदा पानी
By एस पी सिन्हा | Updated: April 13, 2025 15:31 IST2025-04-13T15:29:45+5:302025-04-13T15:31:25+5:30
Namami Gange Mission: पहला कारण सीवरेज नेटवर्क और मैनहोल का अधूरा निर्माण है। कंकड़बाग और दीघा क्षेत्र में करीब 22 हजार से अधिक मैनहोल बनने थे, जिसमें से अब तक सिर्फ 4215 मैनहोल ही बन पाए हैं।

नमामि गंगे प्रोजेक्ट के अधूरा रहने के कारण बिहार में गंगा नदी में अब भी गिराया जा रहा है गंदा पानी
Namami Gange Mission: गंगा को स्वच्छ बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया नमामि गंगे प्रोजेक्ट सफेद हाथी बनता जा रहा है। हाल यह है कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट के अधूरा रहने के कारण बिहार में गंगा नदी में अब भी गंदा पानी गिराया जा रहा है। हालांकि इस परियोजना के अधूरा होने पर बुडको ने बड़ा एक्शन लिया है। इसके तहत अब नालों को टैप कर एसटीपी तक भेजा जाएगा। इसके तहत अब ट्रीटमेंट के बाद ही पानी को गंगा नदी में छोड़ा जाएगा। बुडको ने इसको लेकर सारी प्लानिंग कर ली है।
दरअसल, गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए शुरू की गई नमामि गंगे परियोजना का काम शहर में अब भी अधूरा है। इसका सीधा असर यह हो रहा है कि पटना के दीघा से कंगन घाट तक के हिस्से में 32 नालों का गंदा पानी सीधे गंगा में गिर रहा है।
अधूरा सीवरेज नेटवर्क और मैनहोल निर्माण कार्य के कारण शहर के विभिन्न हिस्सों से निकलने वाला गंदा पानी फिलहाल बिना ट्रीटमेंट के ही नदी में पहुंच रहा है। राज्य की बुनियादी शहरी विकास संस्था बुडको ने इस गंभीर स्थिति को देखते हुए नया प्लान तैयार किया है। अब इन 32 नालों को टैप किया जाएगा और गंदे पानी को डायवर्ट कर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) तक भेजा जाएगा।
वहां ट्रीटमेंट के बाद ही पानी को गंगा में छोड़ा जाएगा। एमडी बुडको अनिमेष कुमार पराशर ने बताया कि 'गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिए विशेष योजना पर काम शुरू कर दिया गया है। जब तक मैनहोल और पाइपलाइन नेटवर्क का निर्माण पूरा नहीं होता, तब तक अस्थायी उपाय के तहत नालों के पानी को ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाकर शुद्ध किया जाएगा। नालों को टैप करने की नौबत दो कारणों से आई है। पहला कारण सीवरेज नेटवर्क और मैनहोल का अधूरा निर्माण है। कंकड़बाग और दीघा क्षेत्र में करीब 22 हजार से अधिक मैनहोल बनने थे, जिसमें से अब तक सिर्फ 4215 मैनहोल ही बन पाए हैं।
जबकि दीघा में 303 किमी में से सिर्फ 129 किमी सीवरेज लाइन बिछाई गई है। वहीं कंकड़बाग में 150 किमी के नेटवर्क में सिर्फ 54.08 किमी ही बन सका है, जबकि 3527 मैनहोल का काम अधूरा है। दूसरा अहम कार्य एसटीपी निर्माण में देरी है। दीघा में 100 एमएलडी क्षमता वाला राज्य का सबसे बड़ा एसटीपी और कंकड़बाग में 50 एमएलडी क्षमता वाला एसटीपी बन रहा है।
इन दोनों परियोजनाओं पर कुल 1187.86 करोड़ रुपये की लागत आनी है, लेकिन अब तक ये प्रोजेक्ट पूरे नहीं हो सके हैं। नमामि गंगे प्रोजेक्ट की धीमी रफ्तार के चलते गंगा नदी में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। जिन इलाकों में सीवरेज कनेक्शन का काम अभी अधूरा है, वहां के घरों से निकलने वाला गंदा पानी नालों के माध्यम से सीधे गंगा में पहुंच रहा है।
हालांकि बुडको की ओर से उठाए जा रहे अस्थायी कदम गंगा को कुछ हद तक प्रदूषण से बचा सकते हैं, लेकिन स्थायी समाधान तभी मुमकिन होगा जब सीवरेज नेटवर्क, मैनहोल और एसटीपी का निर्माण पूरी तरह से हो जाए। तब तक गंगा को स्वच्छ रखने की राह चुनौतीपूर्ण बनी रहेगी।