कार, बाइक का बीमा रिन्यू कराने के लिए जरूरी होगा ये कागज, इसके बिना नहीं बनेगा काम
By रजनीश | Published: August 22, 2020 10:27 AM2020-08-22T10:27:47+5:302020-08-22T10:27:47+5:30
आईआरडीएआई ने परिपत्र में कहा है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने दिल्ली-एनसीआर को लेकर इस संबंध में आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन न होने पर चिंता जताई है।
वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण पाने में देश को ऐसी सफलता नहीं हासिल हो रही है जिस तरह से इस पर रोक लगनी चाहिए। वहानों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए प्रचलित पेट्रोल डीजल ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए अन्य ईंधन विकल्पों पर भी काम किया जा रहा है। इनमें सीएनजी, एचसीएनजी, इलेक्ट्रिक व्हीकल प्रमुख हैं।
लेकिन अब नए नियम के मुताबिक एक प्रावधान यह भी किया गया है कि बिना प्रदूषण प्रमाणपत्र वाले वाहनों का बीमा भी रिन्यू नहीं किया जाएगा। बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकारण (आईआरडीएआई) ने इस संबंध में सभी बीमा कंपनियों को निर्देश भी जारी कर दिए हैं।
इसमें कहा गया है कि कंपनियां बीमा पॉलिसियों के रिन्यूअल के वक्त पॉलिसीधारकों से अनिवार्य रूप से वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (पीयूसी) की मांग करें। खासतौर पर इस नियम को दिल्ली एनसीआर में मानने पर ज्यादा जोर दिया गया है।
आईआरडीएआई ने परिपत्र में कहा है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने दिल्ली-एनसीआर को लेकर इस संबंध में आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन न होने पर चिंता जताई है। ऐेस में बीमा कंपनियां सुनिश्चित करें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का ईमानदारी से पालन हो।
कोर्ट ने 2018 में बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जताते हुए बीमा कंपनियों को निर्देश दिया था कि वैध पीयूसी के बिना वाहनों का बीमा रिन्यू न किया जाए। संशोधित मोटर वाहन अधिनियम 2019 के अनुसार भी वाहन धारक को पीयूसी रखना अनिवार्य है।
हालांकि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए मजबूत और व्यापक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हो जाने पर पेट्रोल चलित कारों में कमी तो आ सकती है क्योंकि इलेक्ट्रिक वाहन अभी अपने शुरुआती दौर में हैं लेकिन समय के साथ इनकी गुणवत्ता, रेंज औऱ कीमत में भी कमी आ रही है। ऐसे में संभावना है कि आने वाले समय में 10 लाख तक की रेंज में भी बेहतरीन इलेक्ट्रिक कारें लोगों को मिल सकें।
इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ अभी एक और बड़ी समस्या उनकी चार्जिंग को लेकर है लेकिन कंपनियां फास्ट चार्जिंग और पेट्रोल पंपों की तर्ज पर चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने पर काम कर रही हैं। इससे आने वाले समय में हो सकता है कि जितना समय अभी लोगों को कार में पेट्रोल फुल कराने में लगता है उतने ही समय में लोगों की कार इलेक्ट्रिक कार फुल चार्ज हो जाएं।