सेकेंड हैंड कार खरीदने से पहले जान लें ये जरूरी बात नहीं तो होते रहेंगे परेशान
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 4, 2019 06:05 PM2019-02-04T18:05:01+5:302019-02-04T18:17:02+5:30
यूज्ड कार का मार्केट बढ़ते कम्पिटिशन से आप साधारण कार को एक नए बाइक की कीमत में खरीद सकते हैं। हालांकि बाइक और कार दोनों के अपने फायदे हैं..
इंडिया जिस तेजी से ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के रूप में तेजी से उभर रहा है वहीं यूज्ड या सेकेंड हैंड कारों का बाजार भी तेजी से बढ़ रहा है। आंकड़ों की बात करें तो यूज्ड कार का बाजार 24-26 परसेंट की तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में यूज्ड कार की बढ़ती हुई ग्रोथ को देखते हुए अधिकतर ऑटोमोबाइल कंपनियों ने खुद के शोरूम खोल दिए हैं। एक शोरूम जहां नई कारें मिलती हैं और दूसरे शोरूम में यूज्ड की गई कारें बिक्री के लिए रखी जाती हैं। जैसे मारूति कंपनी ट्रूवैल्यू (truevalue), और महिंद्रा, महिंद्रा फर्स्ट च्वाइस के नाम से यूज्ड कारों की बिक्री करते हैं। इसके अलावा ओएलएक्स, क्वीकर कार जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भी हैं जहां यूज्ड कारें खरीदी और बेंची जाती हैं।
यदि आप भी यूज्ड कार खरीदने का प्लान बना रहे हैं तो इसे आप खरीद तो कहीं से भी सकते हैं। लेकिन खरीदते समय आपको किन बतों पर ध्यान देना चाहिए, क्या सावधानी बरतनी चाहिए उसके बारे में हम आपको कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं।
गाड़ी से जुड़े जरूरी कागज, और बाहर से दिख रही गाड़ी की कंडीशन पर तो अमूमन सभी लोगों का ध्यान चला जाता है। और जानने वाली बात यह है कि कंपनियां भी इन दोनों ही चीजों के साथ जल्दी कोई गड़बड़ी नहीं करती हैं। अब ध्यान देते हैं गाड़ी के उस हिस्से पर जहां कंपनियां भी गड़बड़ी करती हैं और लोगों का ध्यान भी जल्दी नहीं जाता है...
पहली बात तो यह कि गाड़ी को सही से चेक करने के लिए सबसे पहले उसका टेस्ट ड्राइव लें। इससे आप गाड़ी की कंडीशन और परफॉर्मेंस को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।
गाड़ी का टेम्प्रेचर
टेस्ट ड्राइव लेने से पहले गाड़ी के बोनट पर हाथ रखें और टेम्प्रेचर चेक करें। अगर गाड़ी का टेम्प्रेटर नॉर्मल है तभी टेस्ट ड्राइव पार जाएं क्योंकि हो सकता है आपसे पहले कोई टेस्ट ड्राइव पर गया रहा हो और गाड़ी का टेम्प्रेटर हाई हो। ऐसे में आप ये नहीं चेक कर पाएंगे कि गाड़ी कितनी देर में कितना हीट हो रही है। इससे आप गाड़ी की सही हीटिंग कंडीशन नहीं चेक कर पाएंगे।
लंबी टेस्ट ड्राइव लें
कार खरीदते समय जब टेस्ट ड्राइव लेने की बात करेंगे तो कई बार कंपनी वाले छोटी दूरी की टेस्ट ड्राइव लेने के लिए आपको समझाने का प्रयास करते हैं। अगर वो किसी भी तरह की बहानेबाजी करते हैं तो आप उन्हें टाइम दे दीजिए और दूसरे दिन आने के लिए बोल दीजिए लेकिन जल्दबाजी के चक्कर में छोटी दूरी की टेस्ट ड्राइव लेने के लिए तैयार न हों। कम से कम 30 किलोमीटर की टेस्ट ड्राइव जरूर लें। इससे आपको गाड़ी की असली हकीकत जानने में मदद मिलेगी।
गाड़ी में आने वाली आवाज पर ध्यान दें
गाड़ी को स्टार्ट कर न्यूट्रल गियर पर छोड़ दें। इसके बाद गाड़ी के अंदर बैठकर केबिन में आने वाली आवाज और वाइब्रेशन पर ध्यान दें। गाड़ी में बैठे हुए एक्सीलेटर को बार बार कम और ज्यादा करें ऐसा करते हुए साथ ही विंडो खोलकर और बंदकर आने वाली आवाज सुनें। ऐसा ही गाड़ी चलाते हुए भी करें। अगर किसी भी तरह का एक्स्ट्रा नॉइज और वाइब्रेशन महसूस हो तो इसके बारे में कार बेंचने वाली कंपनी से बात करें।
ब्रेक टेस्ट
कोशिश करें कि किसी मैदान में टेस्ट ड्राइव लें और एक एमरजेंसी ब्रेक का टेस्ट जरूर लें। इससे आप ब्रेक और ब्रेक शू की हकीकत जान सकेंगे। ऐसा करते हुए सावधानी जरूर रखें। एक बात और याद रखें कि लोग हैंड ब्रेक पर जल्दी ध्यान नहीं देते, लेकिन यह बहुत जरूरी हिस्सा है। किसी ढ़लान या चढ़ाई वाली सड़क पर हैंडब्रेक यूज करें।
हर तरह की सड़क पर लें टेस्ट ड्राइव
गड्ढ़े वाली सड़क, ब्रेकर, ऊबड़-खाबड़ हर तरह की सड़क पर टेस्ट ड्राइव लें। इससे आपको गाड़ी का सस्पेंशन, हिल एरिया, टॉर्क, पॉवर, पिकअप जैसे जरूरी चीजों को जानकारी मिलेगी। साथ ही आप इंजन से आने वाली आवाज, हीटिंग, और गियर बॉक्स और गियर रिस्पॉन्स की हकीकत पता लग सकेगी।
इसके साथ ही गाड़ी को एसी और बिना एसी के ड्राइव करें। इससे आपको इंजन पर पड़ने वाले लोड और पिकअप के बारे में पता चल सकेगा।
गाड़ी के धुंए को भी जांचें
गाड़ी के साइलेंसर से निकलने वाले धुंए या स्मोक के रंग पर ध्यान दें। यदि धुंए का रंग नीला, काला या सफेद है तो इंजन में किसी खराबी के कारण हो सकता है या हो सकता है इंजन में ऑयल लीक हो रहा हो या ज्यादा बर्न हो रहा हो। एक बात का और ध्यान रखें कि इतनी देर तक कार चलाते हुए उसमें किसी तरह के ऑयल या वायर जलने की कोई स्मेल तो नहीं आ रही है। साथ ही कार के चारों तरफ यह भी देख लें कि कहीं से किसी भी तरह के ऑयल की लीकेज की समस्या तो नही है।
स्टीयरिंग रिस्पॉस
इतनी देर तक कार चलाते समय स्टीयरिंग पर तो आपका ध्यान गया ही होगा। स्टीयरिंग में किसी भी तरह के वाइब्रेशन, कार के एक तरफ ज्यादा भगने की कमी तो नहीं महसूस की। कहीं ऐसा तो नहीं लगा कि कार को कंट्रोल करने के लिए आपको स्टीयरिंग में एक साइड ज्यादा जोर देना पड़ रहा है। अगर ऐसा होता है तो कार के स्टीयरिंग या अलाइमेंट में दिक्कत है।
इलेक्ट्रिकल हिस्से
विंडो अप-डाउन स्विच, मिरर फोल्डिंग स्विच, म्यूजिक सिस्टम, वाइपर, हॉर्न सही से काम कर रहे हैं कि नहीं। इन सभी को सही से चेक कर लें। अगर इनको चेक करना भूल गए हैं तो भी कोई खास दिक्कत नहीं होगी क्योंकि ये सब तो थोड़े बहुत पैसों से ठीक कराई जा सकती हैं लेकिन ऊपर बताई गई बातों को चेक करना न भूलें। क्योंकि उनको ठीक कराने में ज्यादा पैसे लगेंगे और हो सकता है सही तरीके से ठीक भी न हों।
कार बीमा (इंश्योरेंस) पॉलिसी/नो क्लेम बोनस
कार का बीमा मूल्य (इन्स्योर्ड वैल्यू) देखें, इससे आपको कार की कीमत के मोलभाव के दौरान सहायता मिलेगी। इसके अलावा पिछले 2-3 वर्षों में नो क्लेम बोनस ट्रैक करें। इससे आपको उस गाड़ी के दुर्घटना या किसी अन्य वजह से मरम्मत और रखरखाव पर होने वाले खर्च की जानकारी मिलेगी, साथ ही यह भी पता लग सकेगा कि किसी एक्सीडेंट या दुर्घटना के बाद उसकी मरम्मत पर कितना खर्च हुआ है।
एक और जरूरी बात कि कार खरीदते समय छोटी मोटी कमियां जो सुधरवाई जा सकती हैं उनको भी सेलर के सामने गिनवाएं या सुधरवाने के लिए बोलें। अगर वह नहीं सही करवाता है तो आप कार की कीमत को और कम कर सकते हैं।