सेकेंड हैंड कार खरीदने के पहले रखें इन बातों का खास ख्याल
By सुवासित दत्त | Published: December 14, 2017 10:09 AM2017-12-14T10:09:53+5:302018-03-23T14:23:43+5:30
अगर आप भी सेकेंड हैंड कार खरीदना चाहते हैं तो हमारे पास आपके लिए कुछ ज़रूरी टिप्स हैं।
भारत में कार खरीदने के मामले में बीते कई सालों में जबरदस्त तेज़ी आई है। आम भारतीयों के लिए कार खरीदना एक सपने के पूरे होने जैसा होता है, चाहे वो नई कार हो या सेकेंड हैंड। जो लोग नई कार नहीं खरीद पाते वो कम कीमत में सेकेंड हैंड कार खरीद लेते हैं। लेकिन, सेकेंड कार खरीदने में कई चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। हालांकि, बीते कुछ सालों में सेकेंड-हैंड कार खरीदने के तरीकों में काफी बदलाव आ चुका है। इसलिए, ग्राहकों को सेकेंड-हैंड कार खरीदने के लिए कई ऑप्शन मिल जा रहे हैं।
सेकेंड-हैंड कार सेक्टर पहले से ज्यादा अच्छा हो गया है और ग्राहकों को अलग अलग पैमाने पर कार की जांच करने के कई ऑप्शन मिल जा रहे है। इन दिनों बैंक भी सेकेंड-हैंड कार के लिए लोन मुहैया करा रहे हैं। इसके अलावा सेकेंड-हैंड कार रिटेलर ग्राहकों के लिए कई ऑफर्स और वारंटी भी दे रहे हैं। अब सेकेंड-हैंड कार को भी नई कार की तरह ही बेचा जा रहा है। लेकिन, इन सब के बावजूद अगर आप सेकेंड-हैंड कार खरीदने की सोच रहे तो कुछ बातों को दिमाग में रखना बेहद ज़रूरी है। इस आर्टिकल में हम आपको उन्हीं ज़रूरी बातों को बता रहे हैं।
1. कार किससे खरीदें ?
भारत में सेकेंड-हैंड कार खरीदने के तीन तरीके हैं। या तो आप व्यक्तिगत तौर पर अपने किसी जानकार से कार खरीदें या ब्रोकर के ज़रिए खरीदें या तो फिर प्री-ओन्ड कार डीलर के पास से खरीद सकते हैं। अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति को व्यक्तिगत तौर पर जानते हैं जो अपनी कार बेचना चाहता है तो ये सबसे आसान रास्ता है। इसमें आप उस व्यक्ति से कार की सारी जानकारी ले सकते हैं और सीधे कार के मालिक से बातचीत कर कार की कीमत तय कर सकते हैं।
इन दिनों न्यूजपेपर पर क्लासिफाइड एड और कई वेबसाइट के ज़रिए भी कार मालिकों तक पहुंचा जा सकता है। लेकिन, किसी भी कार को खरीदने के पहले उसकी पूरी तरह जांच ज़रूर करें। डीलर और ब्रोकर किसी भी सेकेंड-हैंड कार को पूरी तरह फिट ही बताते हैं। लेकिन, आप हमेशा अपने तरीके से पूरी जांच-पड़ताल ज़रूर कर लें।
कंई कार कंपनियां अपनी यूज़्ड कार शोरूम के ज़रिए भी सेकेंड-हैंड कार बेच रही हैं। मारुति सुजुकी ट्र वैल्यू और महिंद्रा फर्स्ट च्वाइस इनमें शामिल है. हालांकि, इन शोरूम में मिलने वाली सेकेंड-हैंड कारें थोड़ी महंगी होती हैं। इन कारों को कंपनी के एक्सपर्ट द्वारा जांच-परख कर ही बेचा जाता है। इसके अलवा इन सेकेंड-हैंड कारों पर कंपनियां सर्विस पैकेज और वारंटी भी देती हैं। इसके अलावा इन शोरूम से कार खरीदने पर कागजी कार्रवाई थोड़ी आसान हो जाती है। इन शोरूम में भी आप थोड़ा बहुत बारगेन कर सकते हैं।
2. किन बातों का ध्यान रखें ?
सबसे पहले तो खरीदने के लिए वही कार चुनें जो आपकी ज़रूरतों को पूरा करती हो। आप जो कार खरीदना चाहते हैं उसके बारे में हर तरफ से जानकारी जुटाने की कोशिश करें। किसी अन्य व्यक्ति जिसके पास वही कार हो, उससे कार के मेटेनेंस कॉस्ट और उसके बारे में सारी जानकारी लेने की कोशिश करें। कार का चुनाव करने के बाद उसकी कीमत अलग अलग जगहों पर पता करें। कार की कीमत उसके मैनुफैक्चरिंग ईयर, वेरिएंट और कार की कंडिशन पर निर्भर होती है। इसलिए इस तरह की सारी जानकारी जुटाने के बाद ही कार कीमत फाइनल करें।
3. बजट का ध्यान रखें
कार खरीदने के पहले अपने बजट का ध्यान रखें। ये पहले से तय कर लें कि आप अपने बजट के अलावा ज्यादा से ज्यादा कितना खर्च कर सकते हैं। अगर आप बैंक से लोन लेना चाहते हैं तो ब्याज का ध्यान रखें। लोन के लिए सही बैंक का इस्तेमाल करें।
4. कार की कंडिशन का ध्यान रखें
ये एक ऐसी चीज है जिस पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है। सेकेंड-हैंड कार खरीदने वक्त आप अपने साथ किसी मेकैनिक या किसी ऐसे दोस्त को साथ ले जाएं जिसे कार के बारे में जानकारी हो। कार के सभी पार्ट्स को ध्यान से देख लें. इसके अलावा कार की बॉडी पर भी ध्यान दें और डेंट-पेंट का मुआयना कर लें। कार को लिफ्ट कर के अंडर बॉडी जांच भी कर लें। इसके अलावा टायर, लाइट, इलेक्ट्रिकल्स, एयर कंडिशनिंग और एयरबैग डिप्लॉयमेंट साइन इत्यादि की जांच भी ज़रूर करें। कार की टेस्ट-ड्राइव भी ज़रूर लें।
5. कितनी पुरानी कार खरीदें ?
नई कार की कीमत खरीदने के तीन साल के बाद गिर जाती है। कोशिश करें कि 5 साल से ज्यादा पुरानी कार ना खरीदें। हालांकि, ये सबकुछ कार की कंडिशन पर निर्भर करता है। अगर कार पूरी तरह से कंडिशन में है तो एक बार सोचा जा सकता है। वैसी कार लेने से बचें जो जिनका प्रोडक्शन बंद हो चुका है। कार खरीदने से पहले कार की मेंटेनेंस पर आने वाले खर्च के बारे में जानकारी जुटा लें।
6. पेपर की जांच ज़रूर करें
कार खरीदने के वक्त उसके पेपर की जांच ज़रूर करें। कार का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, इंश्योरेंस पेपर, पर्चेज इनवॉयस, रोड टैक्स रसीद, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट और फॉर्म 35 और एनओसी की जांच ज़रूर करें। अगर कार का इंजन या कलर बदला गया है तो ये रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट पर अंकित होना ज़रूरी है। कार की एक्सिडेंट हिस्ट्री भी ज़रूर पता करें।