लक्जरी कारें सरकार की नजर में अहितकर हैं तो फाइव स्टार होटल, महंगे कपड़े और जूते क्या हैं?
By भाषा | Published: June 30, 2019 02:12 PM2019-06-30T14:12:51+5:302019-06-30T14:12:51+5:30
जगुआर लैंड रोवर इंडिया के प्रेसीडेंट और मैनेजिंग डायरेक्टर रोहित सूरी ने कहा कि लक्जरी कार बनाने वाली कंपनियां भी देश की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
सरकार को लक्जरी कारों को अहितकर वस्तु के तौर पर श्रेणीबद्ध करना बंद करना चाहिए। बल्कि ऐसे वाहनों पर टैक्स का बोझ हटाना चाहिए क्योंकि लग्जरी कार बनाने वाली कंपनियां भी देश की आर्थिक वृद्धि में अहम भूमिका निभाती हैं। ये बातें जगुआर लैंड रोवर इंडिया के प्रेसीडेंट और मैनेजिंग डायरेक्टर रोहित सूरी ने कही।
सूरी ने कहा कि कर के भारी बोझ ने देश में लक्जरी कारों के बाजार की वृद्धि को रोक दिया है। अहितकर वस्तु के तौर पर इन्हें श्रेणीबद्ध किए जाने की वजह यदि इनका महंगा होना ही है तो फिर तो पांच सितारा होटल में जाना या महंगे कपड़े या जूते पहनना भी ‘अहितकर’ हुआ।
वर्तमान में देश में लक्जरी वाहनों पर सबसे अधिक दर यानी 28 प्रतिशत की दर से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगता है। इसके अलावा सेडान श्रेणी पर 20 प्रतिशत और एसयूवी श्रेणी पर 22 प्रतिशत अतिरिक्त उपकर भी लगता है। इस प्रकार यह क्रमश: 48 और 50 प्रतिशत कर होता है।
सूरी ने कहा, ‘‘सरकार इसे (लक्जरी कारों को) अहितकर वस्तु मानती है। इससे बाजार के बढ़ने में दिक्कत होती है। हम यह समझने में नाकाम है कि यह कैसे एक अहितकर वस्तु है। मैं समझ सकता हूं कि ऐसा कुछ अहितकर हो सकता है जिससे आपकी सेहत को नुकसान पहुंचता हो जैसे कि सिगरेट लेकिन क्या कार चलाने से भी आपके स्वास्थ्य पर फर्क पड़ता है?’’
उन्होंने कहा कि लक्जरी कारों को सिर्फ महंगे होने और यह देखे बिना कि देश के आर्थिक विकास में उनका कितना योगदान है अहितकर कहना सही नहीं है। साथ ही आपूर्ति श्रृंखला के तौर पर वह यह क्षेत्र कितने रोजगार उपलब्ध कराता है यह भी देखा जाना चाहिए।