अब कलर ब्लाइंड लोग भी बनाव सकेंगे ड्राइविंग लाइसेंस, चला सकेंगे कार, बाइक, जानें अभी तक क्यों नहीं मिला था अधिकार
By रजनीश | Published: June 29, 2020 11:01 AM2020-06-29T11:01:31+5:302020-06-29T11:01:31+5:30
कलर ब्लाइंडनेस एक ऐसी स्थिति है जिसमें कुछ रंगों में अंतर करने की क्षमता सामान्य से कम हो जाती है। मतलब कलर ब्लाइंड से पीड़ित व्यक्ति लाल, हरे, नीले या इनके मिश्रण को देखने में परेशानी महसूस करता है। कुछ लोगों को काफी ज्यादा कलर ब्लाइंड होता है और उन्हें कोई भी रंग सिर्फ काला औऱ सफेद दिखता है।
सरकार ने शुक्रवार को कहा कि माइल्ड (हल्के) से मीडियम (मध्यम) कलर ब्लाइंडनेस वाले लोगों को भी अब ड्राइविंग लाइसेंज दिए जाएंगे। रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवे मिनिस्ट्री ने मोटर व्हीकल नियमों में एक जरूरी बदलाव का नोटिफिकेशन जारी करते हुए ये बदलाव किए।
सरकार के इस फैसले के बाद अब कलर ब्लाइंड लोग भी कार, बाइक चला सकेंगे। अब ऐसे लोगों को किसी के भरोसे बैठने की जरूरत नहीं होगी।
सरकार ने केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 में एक नया संशोधन के जरिए हल्के से मध्यम (कलर ब्लाइंड) लोगों को ड्राइव करने का अधिकार दिया है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भी पिछले हफ्ते एक ट्वीट के माध्यम से इस खबर को साझा किया था।
मंत्रालय ने कहा है कि कलर ब्लाइंड लोगों को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 के फॉर्म-1 और 1ए में बदलाव किया गया है।
अभी तक किसी भी तरह की कलर ब्लाइंड लोगों को कानूनी रूप से ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन करने की अनुमति नहीं थी। और इस तरह भारत में ड्राइव करने की अनुमति नहीं थी।
अधिकारियों का कहना है कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने दिल्ली में एम्स (AIIMS) के चिकित्सा विशेषज्ञों और नेत्र रोग विशेषज्ञों से परामर्श के बाद हल्के से मध्यम कलर ब्लाइंड लोगों को ड्राइव करने की अनुमति देने के लिए प्रावधान करने का निर्णय लिया।
पहले ड्राइविंग लाइसेंस के फॉर्म-1 और 1ए में कुछ ऐसे सवाल थे, जो कलर ब्लाइंड लोगों के लिए ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने में बाधा थे, उन्हें अब संशोधित कर दिया गया है। हालांकि ज्यादा कलर ब्लाइंड लोगों के लिए अभी भी लाइसेंस नहीं जारी किए जाएंगे।