सीएनजी से चलने वाला भारत का पहला ट्रैक्टर लांच, जानिए खासियत, खेती में कितना खर्च कम होगा...
By सतीश कुमार सिंह | Published: February 12, 2021 07:52 PM2021-02-12T19:52:43+5:302021-02-13T12:44:34+5:30
7 किलो पराली से 1 किलो बायोसीएनजी तैयार की जा सकेगी, इसे बनाने में करीब 15 रुपए प्रति किलो का खर्च आएगा। पराली का खर्च 1200 से 1500टन के हिसाब से 10 रुपए के करीब होगा।
India's First CNG powered tractor: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को भारत का पहला सीएनजी ट्रैक्टर बाजार में पेश किया।
गडकरी ने कहा कि देश के करोड़ों किसानों के लिए खुशखबरी है। इससे प्रदूषण कम हो जाएगा और खर्च भी कम होगा। किसान भाइयों को फायदा ही फायदा होगा। मौके पर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, नरेंद्र सिंह तोमर, पुरुषोत्तम रुपाला और वी के सिंह भी उपस्थित रहे।
Delhi: Union Minister Nitin Gadkari launched India’s first-ever diesel Tractor, converted to CNG, today. Union Ministers Dharmendra Pradhan, Parshottam Rupala and Gen.(Retd) VK Singh were also present at the launch. pic.twitter.com/sKEJfVCVVu
— ANI (@ANI) February 12, 2021
एक लाख रुपये तक की बचतः सरकार ने जानकारी देते हुए कहा कि इससे ईंधन की लागत पर सालाना लगभग एक लाख रुपये तक की बचत की जा सकती है। ट्रैक्टर को डीजल से सीएनजी ईंधन वाला बनाया गया है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘सीएनजी में परिवर्तित भारत का पहला डीजल ट्रैक्टर केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी द्वारा औपचारिक रूप से बाजार में पेश किया।’’
पांच हजार जैव सीएनजी विनिर्माण इकाई लगाने की संभावना: देश में कम से कम पांच हजार जैव सीएनजी विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने की क्षमता है। केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने सीएनजी में परिवर्तित किया गया भारत का पहला डीजल ट्रैक्टर पेश किया। यह ट्रैक्टर गडकरी के नाम पर ही पंजीकृत है। उन्होंने इस मौके पर यह भी कहा कि इससे न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बदलाव आयेगा, बल्कि इसके परिणामस्वरूप रोजगार भी सृजन होगा।
मंत्री ने कहा, ‘‘सरकार भारत में कई जैव सीएनजी विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने की कोशिश कर रही है। पेट्रोलियम मंत्रालय जैव-सीएनजी खरीदने की योजना बना रहा है। इस क्षेत्र में रोजगार के बड़े अवसर हैं और यह हमारे आर्थिक विकास को प्रभावित कर सकता है। यह प्रौद्योगिकी सिद्ध है। भारत में पांच हजार जैव सीएनजी विनिर्माण इकाइयों की क्षमता है।’’
औसतन 1.5-2 लाख रुपये बचतः उन्होंने कहा कि भारत में किसान पराली जलाने के बजाय इन्हें बेचकर प्रति वर्ष 1,500 करोड़ रुपये कमा सकते हैं। इससे उनकी आय कई गुना हो सकती है, यदि वे सीएनजी बनाने में पराली का उपयोग करते हैं। मंत्री ने यह भी कहा कि सीएनजी ट्रैक्टर का उपयोग करके एक किसान ईंधन की लागत पर औसतन 1.5-2 लाख रुपये बचा सकता है।
ग्रामीण भारत में रोजगारः बयान में यह भी कहा गया है कि रावमैट टेक्नो सॉल्यूशंस और टॉमासेटो ऐशिल इंडिया द्वारा संयुक्त रूप से परिवर्तित और विकसित इस ट्रैक्टर से किसानों की लागत कम करने और ग्रामीण भारत में रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी।
विस्फोट खतरा कम होताः इस पेशकश के बयान में कहा गया, ‘‘किसान के लिए सबसे महत्वपूर्ण लाभ, ईंधन की लागत में सालाना एक लाख रुपये से अधिक की बचत होगा, जिससे उन्हें अपनी आजीविका में सुधार करने में मदद मिलेगी।’’ बयान में कहा गया है कि यह अधिक सुरक्षित है क्योंकि सीएनजी टैंक पर कड़ी सील लगायी गयी है। इससे इसमें ईंधन भरने के दौरान या ईंधन फैलने की स्थिति में विस्फोट खतरा कम होता है।
कार्बन उत्सर्जन में 70 फीसदी की कमीः बयान में कहा गया है, ‘‘इसका भविष्य है, क्योंकि वर्तमान में, दुनिया भर में लगभग 1.2 करोड़ वाहन पहले से ही प्राकृतिक गैस से संचालित हैं और हर दिन और अधिक कंपनियां और नगर पालिकाएं सीएनजी वितरण में शामिल हो रही हैं।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘डीजल की तुलना में सीएनजी में कार्बन उत्सर्जन में 70 फीसदी की कमी होती है। इससे किसानों को ईंधन की ईंधन लागत में भी 50 प्रतिशत तक की बचत होती ।’’
प्रति घंटा 4 लीटर डीजल लगताः कृषि में ट्रैक्टर के इस्तेमाल से औसत प्रति घंटा 4 लीटर डीजल लगता है (खर्च ट्रैक्टर के हार्सपावर पर निर्भर करता है) इसका खर्च 78 रुपए प्रति लीटर के अनुसार 312 रुपए आता है। वहीं, सीएनजी से ट्रैक्टर चलने में 4 घंटे में 200 रुपए के करीब सीएनजी खर्च होने का अनुमान है। डीजल के मुकाबले सीएनजी की खपत कम होगी, जैसे पेट्रोल वाहन सीएनजी से अधिक एवरेज देते हैं।