हीरो पहुंची सुप्रीम कोर्ट, BS4 वाहनों की लास्ट डेट को लेकर की ये बड़ी अपील
By रजनीश | Published: March 20, 2020 03:07 PM2020-03-20T15:07:44+5:302020-03-20T15:07:44+5:30
भारत की बड़ी टू-व्हीलर निर्माता कंपनियों में से एक हीरो के पास बीएस4 बाइक्स का काफी ज्यादा स्टॉक अभी भी बचा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के नियमों के मुताबिक 31 मार्च 2020 के बाद किसी भी बीएस4 वाहन की बिक्री नहीं की जा सकेगी।
बाइक निर्माता कंपनी हीरो मोटोकॉर्प ने बीएस4 वाहनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हीरो ने बीएस4 एमिशन वाले वाहनों की बिक्री पर 31 मार्च के बाद से लगने वाली रोक की समय सीमा को बढ़ाने की मांग की है। कंपनी ने कारण बताते हुए कहा कि कोरोना वायरस के चलते वाहनों की बिक्री प्रभावित हुई है इसलिए बीएस4 वाहनों पर लगने वाली रोक को तीन महीने तक बढ़ाने की मांग की गई है।
हीरो ने यह फैसला तब लिया है जब देशभर में बीएस6 एमिशन नॉर्म्स लागू हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के मुताबिक 1 अप्रैल 2020 से देशभर में सिर्फ बीएस6 वाहनों की ही बिक्री हो सकेगी। बीएस4 वाहनों की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी।
यही वजह है कि वाहन निर्माता कंपनियां अपने स्टॉक में बचे बीएस4 पर काफी छूट देकर जल्द से जल्द अपना स्टॉक क्लियर करने का प्रयास भी कर रहे हैं लेकिन इसी बीच कोरोना वायरस के फैल जाने से वाहनों की बिक्री प्रभावित हुई है।
भारत की बड़ी टू-व्हीलर निर्माता कंपनियों में से एक हीरो के पास बीएस4 बाइक्स का काफी ज्यादा स्टॉक अभी भी बचा हुआ है जिसे 1 अप्रैल के बाद नहीं बेचा जा सकेगा और न ही इनका रजिस्ट्रेशन होगा।
हीरो मोटोकॉर्प ने स्टॉक एक्सचेंजों को लिखित रूप से भी इस बात की जानकारी दी है कि कंपनी ने आज भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के सामने आवेदन दायर कर BS4 वाहनों की बिक्री और पंजीकरण के लिए निर्धारित समय सीमा 31 मार्च 2020 में छूट का आवेदन किया है।
हीरो मोटोकॉर्प का कहना है कि, कोरोनावायरस ने देश के ऑटो उद्योग को काफी नुकसान पहुंचाया है। इससे पहले फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोशिएसन (FADA) ने भी बीएस4 वाहनों की बिक्री की समय सीमा को बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
हालांकि फाडा की अपील पर अभी सुनवाई नहीं हो सकी है। फाडा ने भी यही कहा था कि देश में कोरोनावायरस के चलते वाहनों की बिक्री में गिरावट आई है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया।