भारत में इस वक्त कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के बहिष्कार की मांग उठ रही है। बर्मिंघम आयोजन समिति ने खेलों से निशानेबाजी को बाहर करने का फैसला किया है। इस फैसले पर भारतीय ओलिंपिक समिति (आईओए) और राष्ट्रीय निशानेबाजी संघ (एनआरएआई) ने इस पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। आईओए ने तो निशानेबाजी को बाहर किए जाने के विरोध में इन खेलों के बहिष्कार की धमकी दी।
हालांकि खेल मंत्री किरेन रिजिजू का कहना है कि अभी इस पर बात करना काफी जल्दबाजी होगी, लेकिन क्या आप जानते हैं, इससे पहले भी भारत गेम्स का बॉयकॉट कर चुका है।
जी हां, ये मामला 1986 का है, जब रंगभेद नीतियों के कारण राजनीतिक उठापटक और विरोध के चलते भारत समेत 32 देशों ने कॉमनवेल्थ गेम्स का बॉयकॉट कर दिया था।
(Photo Courtesy- Wikipedia)
बता दें कि साउथ अफ्रीका 1970 से ही रंगभेद नीति के कारण कभी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट समेत ओलंपिक और कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा नहीं ले पा रहा था, लेकिन ब्रिटेन की तत्कालीन सरकार द्वारा साउथ अफ्रीका के साथ स्पोर्ट्स मैनेजमेंट स्थापित करने के रवैये से भारत काफी खफा था। स्कॉटलैंड के एडिनबर्ग में हुए इस कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत सहित ज्यादा अफ्रीका, एशियाई और कैरियबियाई देशों ने इससे अपना नाम वापस ले लिया था। सबसे रोचक बात ये रही कि बरमूडा के खिलाड़ियों ने ओपनिंग सेरेमनी में हिस्सा जरूर लिया, लेकिन ओपनिंग-डे में ही अपना नाम वापस ले लिया।
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आलम ये रहा कि 32 देशों ने बॉयकॉट कर दिया और अब बच गए थे, सिर्फ 26 देश। इसमें 1662 एथलीट्स के बीच महज 10 स्पर्धाएं हुईं, जिसमें इंग्लैंड 52 गोल्ड, 43 सिल्वर और 49 ब्रॉन्ज के साथ पहले स्थान पर रहा। कॉमनवेल्थ गेम्स 1986 में नोरफोर्क आइसलैंड और मालदीप ने अपना डेब्यू किया था।
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