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ऐसा अनोखा प्रतिभावान आपने कभी नहीं सुना होगा

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: January 6, 2018 11:54 AM2018-01-06T11:54:10+5:302018-01-06T11:59:57+5:30

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संकल्प, स्वाभिमान और कड़े अभ्यास से अभावों और कमियों को भी हराया जा सकता है विद्या भवन उदयपुर में 1981 से 1984 तक होस्टल में रहकर कक्षा नौवीं से ग्यारहवीं तक प्रथम श्रेणी में परीक्षाएं उत्तीर्ण करने वाले, कवि , लेखक, चित्रकार, मूर्तिकार, तैराक, वक्ता कई गुणों के भंडार गुणवंत के जन्म से ही दोनों हाथ नहीं है। अपनी इस शारीरिक कमी को गुणवंत ने पांवों को ही हाथ बनाकर पार कर लिया।गुणवंत सिंह पांवों से ही अपने समस्त कार्य कर लेते हैं। पैर से क़लम, कूची और छेनी पकड़कर अपने सपनों की दुनियाँ को रचने वाले गुणवन्त सिंह देवल का कहना है कि मन में जज़्बा हो तो सबकुछ सम्भव है। जिनके हाथ हैं वे उनसे भीख भी माँग रहे हैं और हिंसा भी कर रहे हैं, इसलिए हाथ या शरीर का कोई अंग नहीं होने से फ़र्क़ नहीं पड़ता, बल्कि हमारी सोच और प्रयास महत्वपूर्ण हैं |