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World Food Safety Day 2020: जानिए क्यों मनाया जाता है विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस, खास है वजह

By मनाली रस्तोगी | Updated: June 7, 2020 06:29 IST

World Food Safety Day 2020: 7 जून को हर साल वर्ल्ड फूड सेफ्टी डे (विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस) के रूप में मनाया जाता जाता है, ताकि लोगों को सुरक्षित और पौष्टिक भोजन के बारे मी सुरक्षित किया जा सके।

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ठळक मुद्देहर साल 7 जून को मनाया जाता है विश्व खाद्य सुरक्षा दिवससंयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दिसंबर 2018 में तय किया गया था कि अब से हर साल 7 जून को विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाया जाएगा

World Food Safety Day 2020: हर साल 7 जून को वर्ल्ड फूड सेफ्टी डे (विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस) मनाया जाता है, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने साल 2018 में शुरू किया था। इस दिन को सेलिब्रेट करने का मुख्य उद्देश्य लोगों का ध्यान सुरक्षित और पौष्टिक भोजन की ओर खींचना है। दरअसल, कई लोग खराब भोजन खाने की वजह से गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। ऐसे में लोगों को खाद्य सुरक्षा के बारे में जागरूक करने के लिए विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस की शुरुआत की गई है।

क्या है खाद्य सुरक्षा?

खाद्य सुरक्षा का मतलब है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि हर व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में सुरक्षित और पौष्टिक भोजन मिले। हालांकि, खाद्य सुरक्षा हमेशा से ही एक चर्चा का विषय रहा है क्योंकि ऐसे कई देश हैं, जो बेहद गरीब हैं। इसकी वजह से यहां कई लोग भुखमरी जैसी गंभीर बीमारियों के शिकार हैं। वैसे खाद्य श्रृंखला के प्रत्येक चरण में यह सुनिश्चित करने में खाद्य सुरक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है कि भोजन कितना सुरक्षित रहता है।

वहीं, इस मामले को लेकर संयुक्त राष्ट्र भी बेहद चिंतित है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, खाद्य जनित खतरे प्रकृति में सूक्ष्मजीवविज्ञानी, रासायनिक या भौतिक हो सकते हैं, जोकि अक्सर नंगी आंखों के लिए अदृश्य होते हैं। बैक्टीरिया, वायरस या कीटनाशक अवशेष इसके कुछ उदाहरण हैं। वैसे तो हर इंसान का पौष्टिक भोजन पर जन्मसिद्ध अधिकार होता है, लेकिन बढ़ती आबादी और कई देशों में डगमगाती अर्थव्यवस्था के चलते हर कोई सुरक्षित और पौष्टिक भोजन नहीं ले पाता है। 

पौष्टिक भोजन न मिलने से महिलाओं और बच्चों पर होता है ज्यादा असर

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र के आंकड़े कहते हैं कि हर साल अनुमानित 600 मिलियन खाद्य जनित बीमारियों के साथ असुरक्षित भोजन मानव स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक बड़ा खतरा है, जोकि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। इससे सबसे ज्यादा असर महिलाओं और बच्चों की सेहत पर पड़ता है। विकसित और विकासशील देशों में अनुमानित तीन मिलियन लोग हर साल भोजन और जलजनित बीमारी से मर जाते हैं।

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