उज्बेकिस्तान में आज और कल अफगानिस्तान को लेकर हो रही है अंतरराष्ट्रीय बैठक, 20 मुल्कों के प्रतिनिधि होंगे शामिल

By रंगनाथ सिंह | Published: July 25, 2022 11:42 AM2022-07-25T11:42:42+5:302022-07-25T16:14:10+5:30

अगस्त, 2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया था। उज्बेकिस्तान, तुर्किमिनिस्तान, तजाकिस्तान, ईरान, पाकिस्तान, भारत, चीन और रूस इत्यादि देशों की सीमाएँ अफगानिस्तान से सटी हुई हैं।

Uzbekistan is holding international conference on Afghanistan and Taliban | उज्बेकिस्तान में आज और कल अफगानिस्तान को लेकर हो रही है अंतरराष्ट्रीय बैठक, 20 मुल्कों के प्रतिनिधि होंगे शामिल

अफगानिस्तान तालिबान की फाइल फोटो

Highlightsउज्बेकिस्तान में 25-26 जुलाई को अफगानिस्तान को लेकर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हो रहा है।इस सम्मेलन में 20 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। अफगानिस्तान में तालिबान हुकूमत बनने के बाद इलाके की स्थिरता और सीमा सुरक्षा की चिंता पर विचार होगा।

उज्बेकिस्तान में 25 और 26 जुलाई अफगानिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हो रहा है। साल 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान ने कब्जा कर लिया था। उसके बाद से इलाके के राजनीतिक हालात को लेकर सभी पड़ोसी मुल्को में चिंता है। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट जैसे अन्य इस्लामी आतंकवादी संगठनों को एक सुरक्षित पनाहगाह मिलने की आशंका कई मुल्क जता रहे हैं। ऐसे में यह बैठक काफी अहम है। 

उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार इस सम्मेलन में 20 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। उज्बेक सरकार के अनुसार, "इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य अफगानिस्तान में स्थिरता, सुरक्षा और पुरनिर्माण के मानक और तरीके निर्धारित करने के लिए विश्व समुदाय के बीच एकराय कायम करना है। इसका उद्देश्य अफगानिस्तान को इलाके के आपसी सहयोग में साझीदार बनाना है जिसमें अफगानी अवाम और विश्व समुदाय का हित है।"

इस बैठक में अफगानिस्तान की तालिबान हुकूमत की तरफ से उनके कार्यकारी विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी शामिल होंगे। टोलोन्यूज के अनुसार अफगान तालिबान के मंत्री के साथ उनके अदिकारियों का दल भी उज्बेकिस्तान गया है। गौरतलब है कि अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद दुनिया के प्रमुख देशों ने अब तक उनकी सरकार को मान्यता नहीं दी है।

 अमेरिका सेना ने जुलाई-अगस्त, 2021 में अफगानिस्तान से अपनी सेना को पूरी तरह हटा लिया। अमेरिकी सेना अभी देश छोड़ रही थी तभी तालिबान ने अफगानिस्तान के विभिन्न शहरों पर हमला करना शुरू कर दिया। अगस्त 2021 तक तालिबान का राजधानी काबुल और राष्ट्रपति भवन इत्यादि पर कब्जा हो गया। तालिबान ने इस्लामी अमीरात कायम करने के साथ ही मुल्क पर कब्जा कर लिया। अफगानिस्तान मध्य एशिया के लिए भूराजनीतिक महत्व वाला देश है क्योंकि इसकी सीमाएँ उज्बेकिस्तान, तुर्किमिनिस्तान, तजाकिस्तान, ईरान, पाकिस्तान, भारत (पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर) इत्यादि देशों की सीमाएँ सटी हुई हैं।

अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने कहा था कि उनकी हुकूमत अपने मुल्क को किसी अन्य देश के खिलाफ पनपने वाले आतंकवाद को पनाह नहीं देगा लेकिन संयुक्त राष्ट्र समेत कई अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक उसके दावों को खोखला मान रहे हैं। अल-कायदा प्रमुख अल जवाहिरी के अफगानिस्तान में सक्रिय होने की खबर है। अफगानिस्तान से सटे अन्य मुस्लिम मुल्कों को इस बात की आशंका है कि तालिबान का कट्टर इस्लाम उनके मुल्कों को भी चपेट में ले सकता है। सीमा विवाद को लेकर सबसे ज्यादा मुश्किल में पाकिस्तान है। पाकिस्तान का खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान इलाका अफगानिस्तान से सटा हुआ है जिसमें बड़ी पख्तून आबादी रहती है।। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच ब्रिटिश कालीन डुरंड लाइन को लेकर विवाद है।

अफगानिस्तान में 2001 तक तालिबान की हुकूमत थी। अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड टावर सेंटर पर 11 सितम्बर 2001 को अल -कायदा द्वारा कराए गए हमले के बाद अमेरिकी फौजों ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के खिलाफ कार्रवाई करके उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया था। तालिबान ने सितम्बर 1996 में नजीबुल्लाह सरकार को हटाकर सत्ता पर कब्जा किया था।  तालिबान ने हुकूमत पर कब्जे के बाद नजीबुल्लाह की निर्मम हत्याय करके उनका शव सरेआम लटका दिया था। 

Web Title: Uzbekistan is holding international conference on Afghanistan and Taliban

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