यूएन मिशन का दावा, 'काबुल में हुए आत्मघाती बम धमाके में कम से कम 35 लोगों की जान गई'
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: October 1, 2022 06:01 PM2022-10-01T18:01:06+5:302022-10-01T18:10:23+5:30
यूएन मिशन ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के पश्चिमी जिले दश्त-ए-बारची स्थित स्कूल के क्लास में हुए आत्मघाती हमले में कम से कम 35 लोगों के मारे जाने का दावा किया है। जबकि काबुल पुलिस का कहना है कि हमले में महज 20 लोगों की जान गई है।

फाइल फोटो
काबुल:अफगानिस्तान में कार्य कर रहे संयुक्त राष्ट्र मिशन ने दावा किया है कि शुक्रवार को काबुल के एक शिक्षण संस्थान में हुए आत्मघाती बम विस्फोट से कम से कम 35 लोगों की मौत हुई है। यूएन मिशन ने शनिवार को समाचार एजेंसी एएफपी कहा कि अफगानिस्तान की राजधानी के पश्चिमी जिले दश्त-ए-बारची स्थित स्कूल के क्लास में यह आत्मघाती हमला उस समय हुआ, जब सैकड़ों छात्र यूनिवर्सिटी की प्रवेश परीक्षा दे रहे थे।
मिशन के बयान में बताया गया है कि विस्फोट वाली जगह के पड़ोस में शिया मुस्लिम एन्क्लेव है, जहां अल्पसंख्यक हजारा समुदाय का घर है। जिनका अफगानिस्तान में बीते कई दशकों से उत्पीड़न किया जा रहा है। आत्मघाती हमला इसी समूह को लक्ष्य बनाकर किया गया था। इसके साथ ही मिशन ने यह भी कहा, "यह आत्मघाती हमला इतना भयानक था कि इसमें कम से कम 35 लोगों की मौत हुई है, जबकि 82 लोग बुरी तरह से जख्मी हुए हैं।"
वहीं मिशन के बयान से इतर काबुल पुलिस का दावा है कि हमले में महज 20 लोगों की मौत हुई है और 27 लोग घायल हुए हैं। बताया जा रहा है कि काज हायर एजुकेशनल सेंटर पर हुए इस हमले की जिम्मेदारी अभी तक किसी भी समूह ने नहीं ली है।
मालूम हो कि पिछले साल अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार को बंदूक के बल पर गिराने वाले तालिबान ने सत्ता वापसी के साथ दो दशक से अफगानिस्तान और अमेरिकी सैनिकों के साथ चल रहे युद्ध को समाप्त करने का ऐलान किया था। जिसके बाद से अफगानिस्तान में जारी हिंसा काफी कम हो गई थी लेकिन हाल के महीनों में शुरू हुए आत्मघाती हमलों से तालिबान शासन पर एक बार फिर भारी प्रश्न चिन्ह लग गया है।
बताया जा रहा है कि अफ़ग़ानिस्तान के शिया मुसलमानों का उत्पीड़न दशकों से किया जा रहा है और उनके खिलाफ तालिबान के साल 1996 से 2001 के बीच पहले शासनकाल में भी दुर्व्यवहार का आरोप लगा था। वहीं साल 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता में दोबारा वापसी करने वाले तालिबान पर फिर से शिया मुस्लिमों के खिलाफ अत्याचार के आरोप फिर से लगने लगे हैं। शिया मुसलमानों का हजारा समुदाय तालिबान के साथ-साथ उसके दुश्मन इस्लामिक स्टेट के भी हमलों का लगातार शिकार बनाता रहा है।