उत्तर कोरिया के किम जोंग से कम सनकी नहीं है इस देश का शासक, बनवाई अपने कुत्ते की 20 फीट ऊंची सोने की मूर्ति
By विनीत कुमार | Published: November 15, 2020 09:40 AM2020-11-15T09:40:00+5:302020-11-15T09:59:50+5:30
तुर्कमेनिस्तान के शासक गुरबांगुली बेर्दयमुखमेदोव एक बार फिर चर्चा में हैं। उन्होंने अपने पसंदीदा कुत्ते की 20 फीट ऊंची एक सोने की मूर्ति बनवाई है। इसे राजधानी के बीच एक चौराहे पर लगाया गया है।
उत्तर कोरिया की चर्चा उस देश के सनकी शासक किम जोंग उन की वजह से अक्सर होती रहती है। कुछ ऐसा ही हाल तुर्कमेनिस्तान का भी है। तुर्कमेनिस्तान के शासक गुरबांगुली बेर्दयमुखमेदोव (Gurbanguly Berdymukhamedov) इन दिनों चर्चा में है। इसकी वजह ये है कि उन्होंने इसी हफ्ते मंगलवार को अलबे प्रजाति के अपने पसंदीदा कुत्ते की 20 फीट ऊंची एक सोने की मूर्ति का अनावरण किया।
इस मूर्ति को 30 फीट ऊंचे पोडियम पर स्थापित किया गया है। बताया जाता है कि गुरबांगुली बेर्दयमुखमेदोव कुत्ते की इस प्रजाति को काफी पसंद करते हैं। ये तुर्कमेनिस्तान में ही पैदा होती है और इसे यहां राष्ट्रीय पहचान का हिस्सा माना जाता है। कुत्ते की यह मूर्ति राजधानी अश्गाबात के उस बेहद खास नए इलाके में बनाई गई है, जहां सरकारी अधिकारी रहते हैं। इस इलाके में कई बेहतरीन सुविधाएं मौजूद हैं।
उत्तर कोरिया जैसा है तुर्कमेनिस्तान का हाल
तुर्कमेनिस्तान का हाल कमोबेश उत्तर कोरिया की तरह ही है। प्रेस फ्रीडम ऑर्गनाइजेशन के अनुसार प्रेस की आजादी के मामले में तुर्कमेनिस्तान का रिकॉर्ड बेहद खराब है। यह लिस्ट में उत्तर कोरिया से बस एक पायदान ऊपर है। साथ ही लोगों की गरीबी और देश की खराब अर्थव्यवस्था भी परेशानी का सबब है।
इससे पहले वर्ष 2015 में तुर्कमेनिस्तान के इस सनकी तानाशाह ने अपनी सोने की मूर्ति बनवाई थी। तुर्कमेनिस्तान की सरकार के अनुसार कुत्ते की मूर्ति कांसे की बनी है और इस पर 24 कैरेट सोने की परत चढ़ाई गई है।
तुर्कमेनिस्तान से जुड़ी हैरान करने वाली बातें
पिछले साल गुरबांगुली बेर्दयमुखमेदोव की मौत की अफवाहें खूब उड़ी थी। गुरबांगुली कई दिनों से सार्वजनिक कार्यक्रमों में नजर नहीं आए थे। इसके बाद ये अफवाहें उड़ी। आखिरकार अफवाहों पर लगाम लगाने के लिए 13 साल से देश पर गुरबांगुली सरकारी टीवी चैनल पर रैली में कार चलाते नजर आए। वे काराकुम रेगिस्तान मेंमशहूर गैस क्रेटर के ईर्द-गिर्द कार से चक्कर काटते नजर आए। तुर्कमेनिस्तान में इस क्रेटर को 'नर्क का दरवाजा' भी कहा जाता है।
तुर्कमेनिस्तान में पर्यटकों की संख्या काफी कम
तुर्कमेनिस्तान में दुनिया भर से बहुत कम पर्यटक घूमने आते हैं। आंकड़ों के अनुसार ये संख्या साल में 10 हजार से भी कम है। इस वजह भी साफ है। इस देश में कड़े सरकारी कानूनों की वजह से बतौर पर्यटक जाना बेहद मुश्किल है। साथ ही ये काफी महंगा भी है।
इस देश की राजधानी अश्गाबात को काफी अच्छे तरीके से बसाया गया है। यहां उजले मार्बल से बने तमाम इमारत इसकी खासियत हैं। लगभग सभी इमारतें उजली और मार्बल से बनी है। दरअसल, ये वो इलाका है जहां तमाम सरकारी अधिकारी वगैरह रहते हैं। यहां की सड़के बेहद खाली हैं और इसलिए इसे बाहरी दुनिया 'सिटी ऑफ डेड' भी कहती है। यहां जितनी बड़ी संख्या में मार्बल से बने घर हैं, वो शायद ही दुनिया के किसी और इलाके में होंगे।
अश्गाबात में काले और गंदे कारों की इजाजत नहीं
अश्गाबात में काले कारों पर बैन है। साथ ही गुरबांगुली बेर्दयमुखमेदोव ने गंदे कारों के भी इस इलाके में एंट्री पर बैन लगा रखा है। शहर के बाहरी इलाके में ही आपको कार साफ करने वाले कई दुकानें मिल जाएंगी, जहां सभी अपनी कारें साफ कराते हैं। तुर्कमेनिस्तान में कुत्तों के साथ-साथ घोड़ों का भी काफी महत्व है।
हालांकि, यहां सभी घोड़ों की बात नहीं हो रही है। एक खास नस्ल अखाल-टेके ब्रीड (Akhal-Teke breed) ही गुरबांगुली बेर्दयमुखमेदोव का सबसे पसंदीदा घोड़ा है। इस नस्ल के घोड़े गुरबांगुली बेर्दयमुखमेदोव दूसरे देश के नेताओं को भी बतौर गिफ्ट देते रहे हैं।