इस्लामाबाद:पाकिस्तान के कबाईली इलाके खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में बढ़ते तनाव और हिंसा को रोकने के लिए तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के साथ शांति वार्ता के लिए पाकिस्तान की ओर से मुफ्ती तकी उस्मानी के नेतृत्व में पाकिस्तानी धार्मिक और आदिवासी नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पहुंचा है।
बताया जा रहा है कि शांति प्रतिनिधिमंडल पिछले साल शुरू हुई बातचीत की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के प्रतिनिधियों और अफगान तालिबान सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करेगा।
पाकिस्तान सरकार अफगान तालिबान की मध्यस्थता के जरिए तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के साथ जो बीते एक साल से वार्ता कर रही है। उसी का परिणाम था कि पाक सेना और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के बीच एक महीने का युद्धविराम हुआ, लेकिन एक महीने के बाद दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए युद्ध विराम को खत्म कर दिया था। जिसके कारण बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में हिंसा की स्थिति चरम पर पहुंच गई है।
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के खिलाफ आतंकवादी हमले शुरू कर दिए और इसका सबसे ताजा उदाहरण है जब तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से समर्थन प्राप्त बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने ज़ियारत के पास पहाड़ी हर्नई जिले में पाक सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल लाईक बेग मिर्जा का अपहरण कर लिया था, जब वो अपने परिवार समेत यात्रा पर थे। अपहरण के बाद बीएलए ने लेफ्टिनेंट कर्नल लाईक बेग मिर्जा की हत्या कर दी थी।
इतना ही सैन्य अधिकारी की हत्या के बाद उपजे तनाव के बीच खैबर पख्तूनख्वा में दाएश और अन्य उग्रवादी संगठनों ने भी सुरक्षा बलों को निशाना बनाया। उत्तरी वजीरिस्तान और खैबर जिलों में पोलियो टीमों पर भी हमले हुए। इस कारण पाक सेना में बेहद आक्रोश है। यही कारण है कि बीते सेना के शीर्ष अधिकारियों ने बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में हुए आतंकी घटनाओं के खिलाफ कड़ा एक्शन लेने का ऐलान किया है।
इसके तहत सेना ने कथित तौर पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) सहित गुलबहादुर समूह समेत अन्य प्रतिबंधित संगठनों के ठिकानों पर जमकर हवाई हमले भी किए। इसके साथ ही पाक सैन्य अधिकारियों ने अफगान तालिबान को भी कड़ा संदेश भी दिया कि देश अब तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान की आतंकी कार्रवाई को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा।
इसके तुरंत बाद अफगान तालिबान ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को पाकिस्तान प्रशासन के साथ शांति वार्ता के बैठक करने का आदेश दिया और बैठकों के कई दौर चलने के बाद दोनों पक्ष युद्धविराम के लिए सहमत हो गये। लेकिन ज्यादा समय तक चल नहीं पाया।
जिसके बाद पाकिस्तानी सेना के जनरल दफ्तर में 15 मार्च को आयोजित 249वें कोर कमांडरों के सम्मेलन में जनरल कमर बाजवा ने स्पष्ट किया कि बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में जिस तरह से तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) सहित गुलबहादुर समूह आतंकी हमलों को अंजाम दे रहे हैं, सेना उसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी और इसके खिलाफ अब सेना सख्त एक्शन लेने जा रही है।
दो महीने से भी कम समय के बीच सेना द्वारा बुलाई गई इस बैठक में जनरल बाजवा के साथ फील्ड फॉर्मेशन के अधिकारी भी शामिल हुए थे।