तालिबान का नया फरमान, बोला- 'लड़कियों को नहीं मिलेगी विदेश में पढ़ने की इजाजत'
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: August 27, 2022 09:57 PM2022-08-27T21:57:06+5:302022-08-27T22:00:42+5:30
तालिबान ने लड़कियों के खत्म होते सामान्य अधिकारों के ताबूत में एक और कील ठोंकते हुए फरमान जारी किया है कि अफगानी लड़कियां शिक्षा के लिए विदेश नहीं जा सकती हैं।
काबुल:तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर दोबारा कब्जे को एक साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। तालिबान लड़ाकों ने बीते 15 अगस्त को राजधानी काबुल की सड़कों पर बंदूक से फायरिंग करके बाकायदा कब्जे के एक साल पूरे होने का जश्न भी मनाया था। तालिबान राज में सबसे ज्यादा दुर्दशा महिलाओं और लड़कियों की है। जिनके मानवीय और सामाजिक अधिकारिकों को तालिबान की बंदूकवादी सरकार ने पूरी तरह से खत्म कर दिया है।
अफगानिस्तान में महिलाओं के मानवाधिकारों इस तरह से कुचला गया है कि उन्हें घरों की दहलीज के बाहर कदम रखने की भी मनाही है। कब्जे के बाद से तालिबान ने अफगान सरकार में काम करने वाली सभी महिलाओं को कार्यमुक्त कर दिया और लड़कियों की शिक्षा पर फौरन रोक लगा दी थी। जबकि अफगानिस्तान पर बंदूक कल्चर के सहारे काबिज होने वाले चालिबान ने विश्व समुदाय से कहा था कि वो लड़कियों और महिलाओं के अधिकारों के प्रति नरमी रखेगा।
तालिबान जो आतंकवाद के कारण कुख्यात होने की वजह से संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित है, उसने अब एक नया फरमान जारी करके महिलाओं और लड़कियों के खत्म होते सामान्य अधिकारों के ताबूत में एक और कील ठोंक दिया है। ताजा जानकारी के मुताबिक तालिबान ने नया फरमान जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि अफगानिस्तान की महिलाएं और लड़कियां विदेश में शिक्षा लेने के लिए भी नहीं जा सकती हैं।
तालिबान के इसी तानाशाही रवैये के कारण उसके द्वारा काबुल पर कब्जा किये जाने के बाद भी विश्व के कई देशों ने उसे मान्यता नहीं दी है। बताया जा रहा है कि तालिबान ने लड़कियों और महिलाओं को को पढ़ाई के लिए कजाकिस्तान और कतर जैसे देशों में भी जाने से रोक लगा दी है और कहा है कि अफगानिस्तान की महिलाएं शिक्षा पाने के लिए विदेश जाने का हक नहीं रखती हैं।
जानकारी के मुताबिक तालिबान ने यह फरमान तब जारी किया है, जब काबुल से कुछ लड़कियां पढ़ाई के लिए विदेश जाना चाहती थीं, लेकिन तालिबान ने उन्हें स्पष्ट मना करते हुए कहा कि वो नहीं चाहता कि महिलाएं शिक्षित होकर पुरुषों की बराबरी करें। इसलिए वो किसी भी कीमत पर अफगान लड़कियों को पढ़ाई के लिए विदेश जाने की अनुमति नहीं दे सकता है।
मालूम हो कि साल 20021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के कारण तालिबान ने फिर से सिर उठाया और लोकतांत्रिक सरकार को हिंसा के बल पर अपदस्थ करके वहां की सत्ता पर कब्जा कर लिया। तालिबान ने अफगानिस्तान पर दोबारा कब्जा किया है।
तालिबान ने काबुल फतह करने के बाद सबसे पहला काम किया कि उसने महिलाओं को घर से बाहर काम पर प्रतिबंध लगा दिया, उनकी शिक्षा पर पाबंदी लगा दी। यहां तक की अफगानिस्तान में लड़कियों को कक्षा छः के बाद पढ़ने का अधिकार नहीं है। इसके अलावा तालिबान ने अफगान महिला पत्रकारों और एंकरों को को भी टीवी में काम करने से मना कर दिया था।