खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका में फिर से आपातकाल लगाया गया, व्यापार संघ ने दी व्यापक हड़ताल की चेतावनी

By भाषा | Published: May 7, 2022 06:54 AM2022-05-07T06:54:02+5:302022-05-07T07:11:41+5:30

मीडिया प्रभाग के मुताबिक, राजपक्षे का यह निर्णय जनता की सुरक्षा और आवश्यक सेवाओं को बरकरार रखने के लिए है ताकि देश का सुचारू रूप से संचालन सुनिश्चित हो सके।

Sri Lanka Under State Of Emergency Again Amid Its Worst Economic Crisis | खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका में फिर से आपातकाल लगाया गया, व्यापार संघ ने दी व्यापक हड़ताल की चेतावनी

खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका में फिर से आपातकाल लगाया गया, व्यापार संघ ने दी व्यापक हड़ताल की चेतावनी

Highlightsएक अप्रैल को भी आपातकाल की घोषणा की थीहालांकि, पांच अप्रैल को इसे वापस ले लिया गया थामंत्रिमंडल की विशेष बैठक में पीएम महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे की मांग की गई

कोलंबोः श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने देश में आपातकाल की घोषणा की जोकि शुक्रवार मध्यरात्रि से प्रभावी होगा। राष्ट्रपति कार्यालय के मीडिया प्रभाग ने यह जानकारी दी। राजपक्षे ने उनके निजी आवास के बाहर जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन के बाद एक अप्रैल को भी आपातकाल की घोषणा की थी। हालांकि, पांच अप्रैल को इसे वापस ले लिया गया था। आपातकाल के तहत पुलिस और सुरक्षा बलों को मनमाने तरीके से किसी को भी गिरफ्तार करने और हिरासत में रखने की शक्ति मिल जाती है।

मीडिया प्रभाग के मुताबिक, राजपक्षे का यह निर्णय जनता की सुरक्षा और आवश्यक सेवाओं को बरकरार रखने के लिए है ताकि देश का सुचारू रूप से संचालन सुनिश्चित हो सके। श्रीलंका में जनता द्वारा पिछले कई सप्ताह से राष्ट्रपति और सरकार के इस्तीफे की मांग के बीच आपातकाल लागू करने का फैसला लिया गया है। हालांकि, इस्तीफे के बढ़ते दबाव के बावजूद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनके बड़े भाई व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने पद छोड़ने से इनकार कर दिया है।

मंत्रिमंडल की विशेष बैठक में पीएम महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे की मांग की गई

इस बीच, शुक्रवार को प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को उस समय दबाव का सामना करना पड़ा, जब मंत्रिमंडल की विशेष बैठक के दौरान उनके इस्तीफे की मांग की गई। सूत्रों ने कहा, '' मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान कई तरह के विचार रखे गए और कुछ लोगों ने सुझाव दिया कि प्रधानमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए।'' सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने बैठक के दौरान कहा कि अगर उनका उत्तराधिकारी मौजूदा आर्थिक संकट को हल कर सकता है तो वह पद छोड़ सकते हैं, हालांकि, प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूप से यह नहीं कहा कि वह इस्तीफा दे देंगे। सूत्रों ने बताया कि महिंदा राजपक्षे ने यह भी कहा है कि अगर किसी अंतरिम सरकार का गठन होता है तो वह इसके प्रमुख होंगे।

व्यापार संघ ने हड़ताल की दी चेतावनी

इससे पहले दिन में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनकी सरकार के इस्तीफे की मांग को लेकर व्यापार संघ शुक्रवार को देशव्यापी हड़ताल पर रहे। स्वास्थ्य, डाक, बंदरगाह और अन्य सरकारी सेवाओं से जुड़े ज्यादातर व्यापार संघ हड़ताल में शामिल रहे। हालांकि सत्तारूढ़ दल के समर्थक कई व्यापार संघ इसमें शामिल नहीं थे। ‘ज्वाइंट ट्रेड यूनियन एक्शन ग्रुप' के रवि कुमुदेश ने कहा, ''2000 से अधिक व्यापार संघ हड़ताल में शामिल हैं। हालांकि, हम आपात सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।'' उन्होंने कहा, ''इस एक दिवसीय हड़ताल का मकसद राष्ट्रपति को यह बताना है कि उन्हें अपनी सरकार के साथ इस्तीफा दे देना चाहिए। यदि हमारे अनुरोध पर ध्यान नहीं दिया गया तो हम 11 मई से तब तक हड़ताल करेंगे जब तक सरकार इस्तीफा नहीं दे देती।''

वहीं, शिक्षक संघ के महिंदा जयसिंघे ने कहा कि स्कूल के शिक्षक व प्रधानाध्यापक भी आज की हड़ताल में शामिल हैं। निजी बस संचालकों ने कहा कि डीजल के लिए ईंधन स्टेशन पर लंबी कतारों के कारण उनके लिए सेवाएं देना मुश्किल हो गया है। निजी बस मालिकों के संघ के गामुनु विजेरत्ने ने कहा, ''बसें चलाने के लिए डीजल नहीं है।'' गौरतलब है कि बृहस्पतिवार को संसद तक विरोध-प्रदर्शन करने वाले छात्रों ने संसद के मुख्य द्वार पर डेरा डाल दिया था। पुलिस ने बीती रात उन पर आंसू गैस के गोले छोड़े लेकिन भारी बारिश में भी वे धरने पर बैठे रहे। श्रीलंका अपनी आजादी के बाद से सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और लोगों को आवश्यक वस्तुओं की कमी के साथ ही भारी बिजली कटौती झेलनी पड़ रही है। 

Web Title: Sri Lanka Under State Of Emergency Again Amid Its Worst Economic Crisis

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