संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में छोटे कदम उठाये गये, लेकिन अभी पहाड़ चढ़ना है: विश्लेषण

By भाषा | Published: November 10, 2021 03:47 PM2021-11-10T15:47:51+5:302021-11-10T15:47:51+5:30

Small steps taken at UN climate summit, but mountains still to be climbed: Analysis | संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में छोटे कदम उठाये गये, लेकिन अभी पहाड़ चढ़ना है: विश्लेषण

संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में छोटे कदम उठाये गये, लेकिन अभी पहाड़ चढ़ना है: विश्लेषण

ग्लासगो, 10 नवंबर (एपी) ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में उत्सर्जन कम करने की दिशा में ‘कुछ छोटे गंभीर कदम’ उठाये गये हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय रूप से स्वीकार्य लक्ष्यों के लिए ‘ग्लोबल वॉर्मिंग’ को सीमित करने के लिए जरूरी बड़े कदमों से ये बहुत दूर हैं। दो नये विश्लेषणों में यह बात कही गयी है।

जलवायु सम्मेलन के अध्यक्ष आलोक शर्मा ने संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में उच्चस्तरीय मंत्रियों से अपने देश में उच्च पदाधिकारियों से संपर्क कर यह पता लगाने को कहा कि क्या वे और अधिक महत्वाकांक्षी संकल्प ले सकते हैं क्योंकि कुछ ही दिन बचे हैं।

इस महीने आयोजित सम्मेलन में इतनी सीमित प्रगति हुई है कि नये संकल्पों को लेकर संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के विश्लेषण में पता चला है कि वे भविष्य में जलवायु संबंधी परिस्थितियों को सुधारने के लिहाज से पर्याप्त नहीं हैं।

विश्लेषण में पता चला कि 2030 तक दुनिया हर साल 51.5 अरब टन कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन करेगी। यह ताजा संकल्पों से पहले के उत्सर्जन से 1.5 अरब टन कम है। 2015 के पेरिस जलवायु सम्मेलन में सबसे पहले तय सीमा को प्राप्त करने के लिए दुनिया को 2030 में केवल 12.5 अरब टन ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन करना होगा।

स्वतंत्र वैज्ञानिकों के एक अलग विश्लेषण में भविष्य में तापमान में मामूली कमी की संभावना सामने आई है, लेकिन सदी के अंत तक धरती के तापमान में वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए यह अपर्याप्त है। धरती का तापमान पूर्व-औद्योगिक काल से पहले ही 1.1 डिग्री सेल्सियस (2 डिग्री फारेनहाइट) बढ़ चुका है।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के निदेशक इंगर एंडरसन ने संयुक्त राष्ट्र का विश्लेषण समाप्त होने के कुछ मिनट बाद ‘एपी’ को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘‘कुछ गंभीर छोटे कदम उठाये गये हैं। लेकिन ये इतने बड़े कदम नहीं हैं जिनकी हमें जरूरत है।’’

उन्होंने कहा कि ग्लासगो में अधिकारी आगे बढ़े हैं, लेकिन उन्हें जरूरी सफलता नहीं मिली है।

शर्मा ने कहा, ‘‘हम प्रगति कर रहे हैं। लेकिन हमें अब भी अगले कुछ दिन में पहाड़ चढ़ने जैसे प्रयास करने होंगे।’’

एंडरसन ने कहा कि दो-तीन सप्ताह चलने वाली जलवायु वार्ता की सफलता के लिए संयुक्त राष्ट्र के तीन प्रमुख मानदंडों में से अब तक एक भी प्राप्त नहीं हुआ है।

देशों के कार्बन उत्सर्जन में कटौती के संकल्पों पर वर्षों से निगरानी रखने वाले ‘क्लाइमेट एक्शन ट्रैकर’ द्वारा किये गये दूसरे विश्लेषण में कहा गया कि बताये गये लक्ष्यों के आधार पर दुनिया इस सदी के अंत तक पूर्व-औद्योगिक काल से तापमान में 2.4 डिग्री सेल्सियस वृद्धि होने की राह पर है।

यह 2015 के पेरिस जलवायु समझौते की 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा से बहुत दूर है।

न्यू क्लाइमेट इंस्टीट्यूट और क्लाइमेट एक्शन ट्रैकर के जलवायु विज्ञानी निकलस होने ने कहा, ‘‘जो संकल्प लिया गया है उसे देखते हुए हम 2.4 डिग्री सेल्सियस वाले क्षेत्र में हो सकते हैं जो अब भी विनाशकारी जलवायु परिवर्तन है और पेरिस समझौते के लक्ष्यों से बहुत दूर हैं।

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