एससीओ के सदस्यों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरा पैदा करने वाले उपायों के विरोध पर बल दिया
By भाषा | Updated: September 17, 2021 22:28 IST2021-09-17T22:28:34+5:302021-09-17T22:28:34+5:30

एससीओ के सदस्यों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरा पैदा करने वाले उपायों के विरोध पर बल दिया
दुशान्बे, 17 सितंबर भारत सहित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्यों ने शुक्रवार को एक पारदर्शी, समावेशी और गैर-भेदभावकारी बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था को कायम रखने और मजबूत बनाने पर बल दिया तथा एकतरफा संरक्षणवादी उपायों का विरोध किया जिनसे वैश्विक अर्थव्यवस्था कमजोर होती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो लिंक के जरिए ताजिकिस्तान की राजधानी में एससीओ के 21वें शिखर सम्मेलन को संबोधित किया।
दुशान्बे घोषणापत्र के अनुसार, संगठन के सदस्य देशों ने वैश्विक आर्थिक शासन के ढांचे में सुधार जारी रखने के महत्व को रेखांकित किया।
इसमें कहा गया है कि संगठन के सदस्य विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सिद्धांतों और नियमों के आधार पर एक खुली, पारदर्शी, समान, समावेशी और गैर-भेदभावकारी बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था को लगातार कायम रखेंगे और मजबूत बनाएंगे। इसके साथ ही वे खुली वैश्विक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देंगे तथा एकतरफा संरक्षणवादी कदमों का विरोध करेंगे जो बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरा हैं और उन्हें कमजेार बनाते हैं।
सदस्यों ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एजेंडा पर विचार करने और बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था के नियमों को अपनाने के लिए प्रमुख मंच के रूप में विश्व व्यापार संगठन के प्रभाव को मजबूत बनाने का भी आह्वान किया।
घोषणा पत्र में कहा गया है कि सदस्य देशों ने एससीओ चार्टर में परिकल्पित वस्तुओं, पूंजी, सेवाओं और प्रौद्योगिकी की क्रमिक मुक्त आवाजाही के लिए आवश्यक व्यापार एवं निवेश के लिए एक अनुकूल माहौल को बढ़ावा देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने क्षेत्र में व्यापार सुविधा पर गौर करने के लिए दृष्टिकोणों के और विस्तार की भी वकालत की।
उन्होंने स्वीकार किया कि कोरोना वायरस महामारी ने वैश्विक सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों को जन्म दिया है। इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एससीओ को संकट से मुकाबला करने और इसके नकारात्मक प्रभावों को कम करने के मकसद से संयुक्त गतिविधियों में समन्वय को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
सदस्य देशों ने व्यापार, उत्पादन, परिवहन, ऊर्जा, वित्त, निवेश, कृषि, सीमा शुल्क, दूरसंचार, नवाचार और साझा हित वाले अन्य क्षेत्रों में सहयोग को और बढ़ाने पर भी जोर दिया।
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