पाकिस्तान की न्याय व्यवस्था पर सवालिया निशान है असमा नवाब, बिना अपराध 20 साल कैद
By भाषा | Published: May 20, 2018 10:56 PM2018-05-20T22:56:13+5:302018-05-20T22:56:13+5:30
असमा उस समय महज 16 साल की थी जब किसी ने 1998 में कराची स्थित उसके घर में लूटपाट की कोशिश के दौरान उसके माता - पिता तथा इकलौते भाई की गला रेतकर हत्या कर दी थी।
कराची, 20 मईः असमा नवाब को उसके परिवार की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और तब से जेल में बंद इस महिला को अब दो दशक बाद अदालत ने बरी कर दिया है। वह अब जेल की भयावह यादों के साथ अपना जीवन नए सिरे से जीने की कोशिश कर रही है। इस मामले के प्रकाश में आने के बाद पाकिस्तान की न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं।
असमा उस समय महज 16 साल की थी जब किसी ने 1998 में कराची स्थित उसके घर में लूटपाट की कोशिश के दौरान उसके माता - पिता तथा इकलौते भाई की गला रेतकर हत्या कर दी थी। जब इस हत्या की खबर अखबारों में सुर्खियों के रूप में छपी तो अभियोजकों ने तुरत - फरत कथित न्याय को अंजाम तक पहुंचाते हुए केवल 12 दिन में मुकदमा पूरा कर दिया। तब असमा और उसके तत्कालीन प्रेमी को मौत की सजा सुनाई गई। सजा के खिलाफ अपीलों को अंजाम तक पहुंचने में 19 साल छह महीने लग गए।
अब 36 साल की हो चुकी असमा ने रोते हुए कहा कि सजा सुनाए जाने के बाद के 20 साल काफी दुखद थे। वर्ष 2015 में उसके वकीलों ने पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की जिसने तीन साल तक चली सुनवाई के बाद असमा को सबूतों के अभाव में रिहा करने का आदेश दिया। उसके वकील जावेद चतारी ने कहा , ‘‘ इस मामले का फैसला 12 दिन में आ गया , लेकिन अपीलों के निपटारे में 19 साल छह महीने लगे। ’’
असमा ने कहा कि खुद को बरी किए जाने की खबर सुनकर वह आश्चर्यचकित रह गई क्योंकि वह तमाम उम्मीदें छोड़ चुकी थी। असमा के 20 साल जेल में रहने और फिर बरी होने की घटना से पाकिस्तान की न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं।
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