लाइव न्यूज़ :

'मोदी का दोस्त' लड़ रहा है पाकिस्तान में चुनाव, पाकिस्तान में गूंजी 'निगेटिव' मोदी लहर

By खबरीलाल जनार्दन | Updated: July 23, 2018 10:03 IST

Pakistan General Elections 2018: चुनाव पूर्व हो रहे पाकिस्तान में चुनावी सर्वे में इमरान खान की पार्टी को जीत मिलते हुए दिखाई दे रही है।

Open in App
ठळक मुद्देपाकिस्तान में इमरान खान को प्रधानमंत्री के लिए सबसे पसंदीदा उम्मीदवार बताया जा रहा हैपाकिस्तानी युवाओं को आकर्षित करने में सफल रहे हैं इमरान खानः सर्वेइमरान के चुनावी प्रचार का अहम हिस्सा मोदी पर केंद्र‌ित

लाहौर, 23 जुलाईः पाकिस्तान के आम चुनाव सिर पर हैं। 25 जुलाई को पाकिस्तान में आम चुनावों के बाबत वोट डाले जाएंगे। इससे पहले दो बेहद अहम सर्वे में क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ना केवल दोनों प्रमुख पार्टियों पाकिस्तान मुस्लिम लीग - नवाज (पीएमएल - एन),  पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) को पछाड़ते हुए, बल्कि एक बड़ी जीत की ओर बढ़ती नजर आ रही है। इसके प्रमुख कारणों को ढूंढ़ने पर पता चल रहा है कि पाकिस्तान का युवा, इमरान के साथ आ गया है, जिसकी एक बड़ी वजह उनकी आक्रामक और तार्किक चुनावी रैलियां हैं।

इमरान खान लगातार अपनी रैलियों में नवाज शरीफ को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोस्त के तौर पर संबोधित कर रहे हैं। वह नरेंद्र मोदी को चेताते पाकिस्तानियों से अपील कर रहे हैं। वे अपनी रैलियों में बोल रहे हैं- पाकिस्तानियों नरेंदर मोदी को बताना है कि सभी पाकिस्तानी नवाज शरीफ जैसा बुजदिल नहीं है। इमरान किसी समय में नरेंद्र मोदी की तारीफ किया करते थे। उन्होंने कई दफे, बल्कि अब की रैलियों में भी यह कहने से नहीं कतराते कि नरेंद्र मोदी ने काला धन वापस लाने के दिशा में कदम बढ़ाया था। लेकिन इसके तुरंत बाद वे नरेंद्र मोदी के भारतीय प्रधानमंत्री होने पर अफसोस जताते हुए कहते हैं कि वह पाकिस्तान के खिलाफ दुनिया में अफवाह फैला रहा है। धम‌कियां दे रहा है।

यह बात पाकिस्तानी युवाओं को खूब जम रही है। इमरान नरेंद्र मोदी को लेपेटे में लेकर नवाज शरीफ को घेर रहे हैं। इसमें उनको बखूबी साफ मिल रहा है, हफीज सईद का। हफीज से इमारान का सीधे तौर पर कोई संबंध नहीं है। लेकिन अपनी रैलियों में वे नवाज शरीफ को घेरने के लिए नरेंद्र मोदी का इस्तेमाल कर रहे हैं और हफीज सईद भी लगातार नरेंद्र मोदी को नवाज शरीफ का गुरु बता रहे हैं।

ऐसे में दो हालिया सर्वे में इमरान खान को जीत मिलती दिखाई दे रही है। डॉन के सर्वे के मुताबिक पाकिस्तान के 83.07% युवा इमरान खान के साथ खड़े हैं। इसमें चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें 33.66% वे युवा हैं, जिन्होंने 2013 में नवाज शरीफ को अपना वजीर-ए-आजम बनाया था। वहीं पल्स कंसलटेंट के सर्वे से खुलासा हुआ कि पाकिस्तानी आवाम की 30% हिस्सा सीधे इमरान खान की पार्टी पीटीआई को वोट दे सकते हैं। जबकि पीएमएल-एन को 27% और पीपीपी को 17% वोट मिलने की ही संभावनाएं हैं। इन दोनों ही सर्वे में इमरान खान को पीएम पद का सबसे पसंदीदा उम्मीदवार बताया गया है।

पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार कश्मीर चुनावी मुद्दा नहीं, जानिए क्या कहकर वोट मांग रही हैं पार्टियां

सर्वेपीटीआईपीएमएलएनपीपीपी
डॉन83.07%12.58%1.31%
पल्स कंसलटेंट30%27%17%

उल्लेखनीय है पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में कुल 342 सीटे हैं। लेकिन इनमें 60 सीटें महिलाओं और 10 अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित रहती हैं। इसके अलावा की सीटों का विभाजन इस प्रकार है-

प्रांतसीटें
पंजाब148
खैबर पख्तूनख्वा35
सिंध61
बलूचिस्तान14
इस्लामाबाद (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र)2
फेडरली एडमिनिस्टर्ड ट्राइबल एरियाज (फाटा)12
कुल272
टॅग्स :पाकिस्तानइमरान खान
Open in App

संबंधित खबरें

विश्वपाकिस्तान: सिंध प्रांत में स्कूली छात्राओं पर धर्मांतरण का दबाव बनाने का आरोप, जांच शुरू

बॉलीवुड चुस्कीDhurandhar: फिल्म में दानिश पंडोर निभा रहे हैं उज़ैर बलूच का किरदार, कराची का खूंखार गैंगस्टर जो कटे हुए सिरों से खेलता था फुटबॉल, देखें उसकी हैवानियत

विश्वपाकिस्तान में 1,817 हिंदू मंदिरों और सिख गुरुद्वारों में से सिर्फ़ 37 ही चालू, चिंताजनक आंकड़ें सामने आए

विश्व'इमरान खान ज़िंदा और ठीक हैं': पाकिस्तान के पूर्व पीएम की बहन ने रावलपिंडी की अदियाला जेल में उनसे मिलने के बाद दिया बयान | VIDEO

विश्वपाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जिंंदा हैं या नहीं!

विश्व अधिक खबरें

विश्व‘बार’ में गोलीबारी और तीन बच्चों समेत 11 की मौत, 14 घायल

विश्वड्रोन हमले में 33 बच्चों सहित 50 लोगों की मौत, आरएसएफ और सूडानी सेना के बीच जारी जंग

विश्वFrance: क्रिसमस इवेंट के दौरान ग्वाडेलोप में हादसा, भीड़ पर चढ़ी कार; 10 की मौत

विश्वअड़चनों के बीच रूस के साथ संतुलन साधने की कवायद

विश्वलेफ्ट और राइट में उलझा यूरोप किधर जाएगा?