अगले महीने FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर निकल सकता है पाकिस्तान, चीन और अमेरिका ने दिया साथ!
By आदित्य द्विवेदी | Published: January 24, 2020 08:39 AM2020-01-24T08:39:30+5:302020-01-24T09:43:49+5:30
यह भारत की चिंता बढ़ाने वाला है क्योंकि पिछले कई महीनों से भारत लगातार पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट करवाने के प्रयास में लगा हुआ है।
पाकिस्तान को एफएटीएफ से अगले महीने बड़ी राहत मिल सकती है। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने आतंकी समूहों पर कार्रवाई के लिए पाकिस्तान के प्रयासों पर संतोष जताया है। यह भारत की चिंता बढ़ाने वाला है क्योंकि पिछले कई महीनों से भारत लगातार पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट करवाने के प्रयास में लगा हुआ है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर निकालने में चीन और अमेरिका समेत कई देशों ने मदद की है।
आपको बता दें कि एफएटीएफ ने मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग रोकने के लिए पाकिस्तान को 27 बिंदुओं की एक कार्ययोजना दी थी। इन बिंदुओं पर पाकिस्तान ने कितना अमल किया, इसे देखने के लिए एफएटीएफ की 21-23 जनवरी को बीजिंग में बैठक हुई। पिछले साल अक्टूबर में एफएटीएफ ने अपनी दूसरी सिफारिशों पर अमल करने के लिए पाकिस्तान को फरवरी, 2020 तक का समय दिया था।
हालिया बैठक के बाद चीन ने कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद की वित्तीय प्रणाली से मुकाबला करने के लिए उल्लेखनीय प्रगति की है और विश्व समुदाय द्वारा उसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। एफएटीएफ की इस बैठक का उद्देश्य आतंकवाद के वित्तपोषण और धनशोधन के खिलाफ सख्त कानून को लागू करने को लेकर पाकिस्तान की ओर से जमा प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा करना था। चीन एफएटीएफ का अध्यक्ष और एशिया प्रशांत संयुक्त समूह का सह अध्यक्ष है।
पिछले साल एफएटीएफ ने आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और अन्य संगठनों के वित्तपोषण को रोकने में नाकाम रहने पर पाकिस्तान को ग्रे सूची में कायम रखने का फैसला किया था। अगर पाकिस्तान अप्रैल 2020 तक ग्रे सूची से बाहर निकलने में कामयाब नहीं हुआ तो काली सूची में जा सकता है जिसके बाद ईरान की तरह उसे आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।
पाकिस्तान ने आठ जनवरी को 650 पन्नों की रिपोर्ट एफएटीएफ को सौंपी जिसमें कार्यबल की ओर से धनशोधन से जुड़़ी उसकी नयी नीति को लेकर उठाए गए 150 सवालों के जवाब दिए गए हैं। एफएटीएफ को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त है और उसके द्वारा पारित प्रस्ताव का अनुपालन बाध्यकारी है। प्रस्ताव नहीं मानने पर संबंधित देश को प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।
ग्रे लिस्ट से निकलने पर पाकिस्तान की इकॉनमी को संजीवनी मिलने की उम्मीद है।
समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से इनपुट्स लेकर