पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुई गुप्त मिसाइल डील, ईरान के साथ छिड़ सकती है हथियारों की जंग

By विकास कुमार | Published: January 30, 2019 03:09 PM2019-01-30T15:09:45+5:302019-01-30T15:09:45+5:30

ईरान के मिसाइल कार्यक्रम को बहुत ही फॉरवर्ड माना जाता है. अपनी जबरदस्त मिसाइल क्षमता के कारण ही ईरान अमेरिका और पश्चिमी देशों के आंख का किरिकिरी रहा है. ईरान से बढ़ते क्षेत्रीय तनाव के कारण सऊदी अरब ने अब अपने मिसाइल कार्यक्रम को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया है

Pakistan and Saudi Arab sign a missile deal, Iran will be disappointed, Parmanu samjhauta | पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुई गुप्त मिसाइल डील, ईरान के साथ छिड़ सकती है हथियारों की जंग

पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुई गुप्त मिसाइल डील, ईरान के साथ छिड़ सकती है हथियारों की जंग

सऊदी अरब ने हाल के दिनों में अपने सैन्य ताकत को लेकर कई कदम उठाये हैं, लेकिन जिस तरह से पिछले कुछ सालों में ईरान और सऊदी के बीच मध्य-पूर्व में वर्चस्व की लड़ाई छिड़ी है उसने कहीं न कहीं पूरे मध्य-पूर्व को चिंता में डाल दिया है. अब खबर है कि सऊदी अरब इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल के ऊपर काम कर रहा है. सऊदी अरब की सैन्य क्षमता को आगे बढ़ाने में अब तक अमेरिका का बड़ा हांथ रहा है. बराक ओबामा के शासनकाल में सऊदी और अमेरिका के बीच ऐतिहासिक 110 बिलियन डॉलर के हथियारों का सौदा हुआ था. 

ईरान के मिसाइल कार्यक्रम को बहुत ही फॉरवर्ड माना जाता है. अपनी जबरदस्त मिसाइल क्षमता के कारण ही ईरान अमेरिका और पश्चिमी देशों के आंख का किरिकिरी रहा है. ईरान से बढ़ते क्षेत्रीय तनाव के कारण सऊदी अरब ने अब अपने मिसाइल कार्यक्रम को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया है. और ऐसा माना जा रहा है कि इसमें उसे पाकिस्तान का सहयोग मिल रहा है. 

800 अरब डॉलर की डील 

सऊदी अरब ने न्यूक्लियर एनर्जी के उत्पादन के लिए अमेरिका से परमाणु रिएक्टर बनाने की डील कर रहा है. शाही सरकार ने इसके लिए अमेरिका से 800 बिलियन डॉलर का डील किया है, जिसे परमाणु एनर्जी के सेक्टर में अब तक का सबसे बड़ा डील माना जा रहा है. ईरान के ऊपर मनोवैज्ञानिक दबाव डालने के लिए सऊदी अरब ने यह डील अमेरिका के साथ की है.

सऊदी और पाकिस्तान के बीच परंपरागत दोस्ती 

सऊदी अरब का पाकिस्तान के साथ रिश्ता हाल के दिनों में और भी परवान चढ़ा है. इमरान खान के सऊदी दौरे के बाद पाकिस्तान को सऊदी से 6 अरब डॉलर का सहयोग मिला जिससे पाकिस्तान की विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी हुई है. 1998 में पाकिस्तान के परमाणु परीक्षण के बाद सऊदी के शाही परिवार की दिलचस्पी पाकिस्तान को लेकर कई गुना बढ़ गई थी, और ऐसा कहा जाता है कि सऊदी और पाकिस्तान की बीच एक गुप्त परमाणु समझौता भी हुआ. जिसके तहत अगर सऊदी को परमाणु बम की जरूरत महसूस होती है तो पाकिस्तान उसे अपने परमाणु हथियार मुहैया करवाएगा.

पाकिस्तान के परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण अमेरिकी व्यवस्था चरमरा गई थी लेकिन सऊदी के तेल के रूप में उसे अरबों डॉलर की सहायता मिली जिससे पाकिस्तान एक अर्थव्यवस्था के रूप में संभल पाया.

Web Title: Pakistan and Saudi Arab sign a missile deal, Iran will be disappointed, Parmanu samjhauta

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