कुरैशी ने कहा, शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होना महत्वपूर्ण नहीं, कश्मीर मुद्दे का हल ढूंढना जरूरी
By भाषा | Published: May 28, 2019 01:28 PM2019-05-28T13:28:08+5:302019-05-28T13:28:08+5:30
‘डॉन’ समाचारपत्र ने कुरैशी के हवाले से कहा, “उनका (प्रधानमंत्री मोदी) समूचा ध्यान (चुनाव प्रचार के दौरान) पाकिस्तान पर निशाना साधने में रहा। उनसे यह उम्मीद करना सही नहीं होगा कि वह इस विमर्श से (जल्दी) बाहर आएं।”
पाकिस्तान ने नरेंद्र मोदी के शपथग्रहण समारोह में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को आमंत्रित नहीं करने के भारत के फैसले को यह कह कर खास तवज्जो नहीं देने की कोशिश की कि भारतीय प्रधानमंत्री की “आंतरिक राजनीति” उन्हें अपने पाकिस्तानी समकक्ष को आमंत्रित करने की इजाजत नहीं देती।
सरकार ने सोमवार को नई दिल्ली में घोषणा की कि उसने प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण में बिमस्टेक देशों के नेताओं को आमंत्रित किया है। पाकिस्तान इस क्षेत्रीय समूह का सदस्य नहीं है। बिमस्टेक (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल) में बांग्लादेश, भारत, म्यामां, श्रीलंका, थाईलैंड, भूटान और नेपाल शामिल हैं।
खान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथग्रहण में आमंत्रित नहीं किए जाने की खबरों पर प्रतिक्रिया करते हुए पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि कश्मीर मुद्दे के साथ ही सियाचिन एवं सर क्रीक विवादों का हल निकालने के संबंध में बातचीत के लिए एक बैठक करना शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने से ज्यादा महत्त्वपूर्ण होगा।
‘डॉन’ समाचारपत्र ने कुरैशी के हवाले से कहा, “उनका (प्रधानमंत्री मोदी) समूचा ध्यान (चुनाव प्रचार के दौरान) पाकिस्तान पर निशाना साधने में रहा। उनसे यह उम्मीद करना सही नहीं होगा कि वह इस विमर्श से (जल्दी) बाहर आएं।” उन्होंने कहा, “भारत की आंतरिक राजनीति उन्हें ऐसा करने की इजाजत नहीं देती।”
नई दिल्ली में 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ शामिल हुए थे। उस वक्त दक्षेस देशों के नेताओं को आमंत्रित किया गया था।