नेपाल में राजनीतिक संकट गहराया: पीएम केपी ओली को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने मंत्रिमंडल के 20 मंत्रियों की नियुक्ति रद्द की

By भाषा | Published: June 22, 2021 08:43 PM2021-06-22T20:43:55+5:302021-06-22T20:50:22+5:30

नेपाल के प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा और न्यायमूर्ति प्रकाश कुमार धुंगाना की खंडपीठ ने कहा कि सदन को भंग किए जाने के बाद कैबिनेट विस्तार असंवैधानिक है।

Nepal Political crisis Supreme Court cancels appointment of 20 ministers of PM Oli's cabinet | नेपाल में राजनीतिक संकट गहराया: पीएम केपी ओली को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने मंत्रिमंडल के 20 मंत्रियों की नियुक्ति रद्द की

याचिका में आग्रह किया गया कि कार्यवाहक सरकार द्वारा किए गए कैबिनेट विस्तार को रद्द किया जाए।

Highlightsराजेंद्र महतो और ओली की सीपीएन-यूएमएल के रघुबीर महासेठ शामिल हैं।आदेश के साथ ओली कैबिनेट में प्रधानमंत्री सहित पांच मंत्री बचे हैं। वरिष्ठ वकील दिनेश त्रिपाठी सहित छह व्यक्तियों की तरफ से दायर याचिकाओं पर फैसला दिया।

काठमांडूः नेपाल में मंगलवार को राजनीतिक संकट और गहरा हो गया जब उच्चतम न्यायालय ने चौतरफा घिरे प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली मंत्रिमंडल के 20 मंत्रियों की नियुक्ति रद्द कर दी।

अदालत ने इन नियुक्तियों को असंवैधानिक करार दिया और संसद भंग होने के बाद उनके दो कैबिनेट विस्तार को अवैध करार दिया गया। यह जानकारी मीडिया ने दी है। ‘काठमांडू पोस्ट’ ने खबर दी कि प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा और न्यायमूर्ति प्रकाश कुमार धुंगाना की खंडपीठ ने कहा कि सदन को भंग किए जाने के बाद कैबिनेट विस्तार असंवैधानिक है और इसलिए मंत्री अपना कर्तव्य निर्वहन नहीं कर सकते। फैसले के बाद पद गंवाने वालों में दो उप प्रधानमंत्री जनता समाजवादी पार्टी के राजेंद्र महतो और ओली की सीपीएन-यूएमएल के रघुबीर महासेठ शामिल हैं।

महासेठ विदेश मंत्री भी थे। आदेश के साथ ओली कैबिनेट में प्रधानमंत्री सहित पांच मंत्री बचे हैं। जो मंत्री बचे हैं उनमें उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री बिष्णु पौडेल, शिक्षा मंत्री कृष्ण गोपाल श्रेष्ठ, विनिर्माण मंत्री बसंत नेम्बांग और कानून मंत्री लीलानाथ श्रेष्ठ शामिल हैं। अदालत ने सात जून को वरिष्ठ वकील दिनेश त्रिपाठी सहित छह व्यक्तियों की तरफ से दायर याचिकाओं पर फैसला दिया।

याचिका में आग्रह किया गया कि कार्यवाहक सरकार द्वारा किए गए कैबिनेट विस्तार को रद्द किया जाए। ओली (69) पिछले महीने संसद में विश्वास मत हारने के बाद से अल्पसंख्यक सरकार चला रहे हैं। उन्होंने राजनीतिक संकट के बीच चार जून और दस जून को मंत्रिमंडल विस्तार कर 17 मंत्रियों को शामिल किया। तीन राज्य मंत्री भी नियुक्त किए गए।

वरिष्ठ वकील त्रिपाठी ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने अंतरिम आदेश जारी कर सदन भंग होने के बाद मंत्रियों को काम करने की अनुमति नहीं दी है।’’ खबर में बताया गया कि नियुक्तियों को रद्द करने के लिए उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में अनुच्छेद 77 (3) का हवाला दिया है।

इसके मुताबिक प्रधानमंत्री के विश्वास मत नहीं जीत सकने या इस्तीफा देने के बाद अगर प्रधानमंत्री का पद खाली होता है तो अगला मंत्रिमंडल गठित होने तक वही मंत्रिपरिषद् काम करती रहेगी। याचिकाकर्ताओं ने उच्चतम न्यायालय में कहा था कि चूंकि चुनावों की घोषणा के बाद सरकार कार्यवाहक स्थिति में रह गई है इसलिए संविधान ऐसे प्रधानमंत्री को नए मंत्रियों की नियुक्ति की इजाजत नहीं देता है।

Web Title: Nepal Political crisis Supreme Court cancels appointment of 20 ministers of PM Oli's cabinet

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