संकट में नेपाल की केपी ओली सरकार, PM ने बुलाई मंत्रियों की बैठक, भारत विरोधी बयान देना पड़ सकता है महंगा
By रामदीप मिश्रा | Published: July 1, 2020 08:17 AM2020-07-01T08:17:14+5:302020-07-01T08:33:56+5:30
केपी ओली ने रविवार को कहा था, 'अपनी जमीन पर दावा कर मैंने कोई भूल नहीं की। नेपाल के पास 146 साल तक इन इलाकों का अधिकार रहने के बाद पिछले 58 साल से इस जमीन को हमसे छीन लिया गया था।'
काठमांडूः प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की भारत विरोधी टिप्पणी के लिए पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' समेत सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेताओं ने उनके इस्तीफे की मांग की। शीर्ष नेताओं ने कहा है कि प्रधानमंत्री की टिप्पणी न तो राजनीतिक तौर पर ठीक थी न ही कूटनीतिक तौर पर यह उचित थी। इस बीच बुधवार (01 जुलाई) को के पी शर्मा ओली ने मंत्रियों के साथ परामर्श करने के लिए कैबिनेट की बैठक बुलाई है, जिसमें कई अहम मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है।
ओली ने हाल में कहा था कि नेपाल के नए राजनीतिक मानचित्र के प्रकाशन के बाद उन्हें हटाने के प्रयास हो रहे हैं। प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पर सत्तारूढ़ पार्टी की स्थायी समिति की बैठक शुरू होते हुए ही प्रचंड ने रविवार को प्रधानमंत्री द्वारा की गयी टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना की।
उन्होंने कहा, 'भारत उन्हें हटाने का षड्यंत्र कर रहा है, प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी न तो राजनीतिक तौर पर ठीक थी न ही कूटनीतिक तौर पर यह उचित थी।' उन्होंने आगाह किया, 'प्रधानमंत्री द्वारा इस तरह के बयान देने से पड़ोसी देश के साथ हमारे संबंध खराब हो सकते हैं।'
Nepal Prime Minister KP Sharma Oli calls cabinet meeting for today morning to hold consultations with sitting ministers. (file pic) pic.twitter.com/eXihYfVJoM
— ANI (@ANI) July 1, 2020
इन नेताओं ने की केपी ओली के इस्तीफे की मांग
प्रधानमंत्री ओली ने रविवार को कहा कि उन्हें हटाने के लिए 'दूतावासों और होटलों' में कई तरह की गतिविधियां हो रही हैं। नेपाल के कुछ नेता भी इसमें शामिल हैं। एक वरिष्ठ नेता ने प्रचंड के हवाले से बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा पड़ोसी देश और अपनी ही पार्टी के नेताओं पर आरोप लगाना ठीक बात नहीं है। प्रचंड के अलावा, वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल, झालानाथ खनल, उपाध्यक्ष बमदेव गौतम और प्रवक्ता नारायणकाजी श्रेष्ठ ने प्रधानमंत्री को अपने आरोपों को लेकर सबूत देने और त्यागपत्र देने को कहा।
अल्पमत में हैं केपी ओली
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को इस तरह की टिप्पणी के लिए नैतिक आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए। हालांकि, बैठक में मौजूद प्रधानमंत्री ने कोई टिप्पणी नहीं की। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, 'यह दिखाता है कि 48 सदस्यीय स्थायी समिति और नौ सदस्यीय केंद्रीय सचिवालय, दोनों में प्रधानमंत्री अल्पमत में हैं।' इससे पहले अप्रैल में भी वरिष्ठ नेताओं ने ओली को प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र देने को कहा था।
ओली ने रविवार को कहा था, 'अपनी जमीन पर दावा कर मैंने कोई भूल नहीं की। नेपाल के पास 146 साल तक इन इलाकों का अधिकार रहने के बाद पिछले 58 साल से इस जमीन को हमसे छीन लिया गया था।' हालांकि नेपाल के इस दावे को भारत खारिज कर चुका है।