जयंतीः नेल्सन मंडेला ने रंगभेद के खिलाफ लड़ी दमनकारी सरकार से लड़ाई, भारत रत्न नवाजे गए

By रामदीप मिश्रा | Published: July 18, 2018 09:07 AM2018-07-18T09:07:02+5:302018-07-18T12:06:51+5:30

नेल्सन मंडेला का जन्म दक्षिण अफ्रीका की बासा नदी के किनारे ट्रांस्की के मवेंजो गांव में 18 जुलाई 1918 को हुआ था। उनकी माता का नाम नोमजामो विनी मेडीकिजाला था।

Nelson Mandela 100th birthday South African leader biography bharat ratna | जयंतीः नेल्सन मंडेला ने रंगभेद के खिलाफ लड़ी दमनकारी सरकार से लड़ाई, भारत रत्न नवाजे गए

Nelson Mandela 100th Birthday: Nelson Mandela Biography, achievements, Life history and fight against Racial discrimination

नई दिल्ली, 18 जुलाईः अब्राहम लिंकन और मार्टिन लूथर किंग के विचारों को मानने वाले दक्षिण अफ्रिका के गांधी यानि नेल्सन मंडेला की आज जयंती है। उन्होंने रंगभेद की निति के विरूद्ध संघर्ष करके अपने देश को एक नई पहचान दी, जिसकी आज पूरी दुनिया कायल है। हर कोई उनके संघर्ष को याद करता है। वो ऐसी शख्सियत थे जिनका जन्मदिन नेल्सन मंडेला अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में उनके जीवन काल में ही मनाया जाने लगा था। 

12 साल की उम्र में सिर से उठा पिता का साया

नेल्सन मंडेला का जन्म दक्षिण अफ्रीका की बासा नदी के किनारे ट्रांस्की के मवेंजो गांव में 18 जुलाई 1918 को हुआ था। उनकी माता का नाम नोमजामो विनी मेडीकिजाला था। वे एक मैथडिस्ट थीं। पिता का नाम गेडला हेनरी था। वे गांव के प्रधान थे। उन्होने बालक का नाम रोहिल्हाला रखा, जिसका अर्थ पेड़ की डालियां तोड़ने वाला होता है या प्यारा शैतान बच्चा कह सकते हैं। वहीं,  नेल्सन के जीवन में दुखों का पहाड़ उस समय टूट पड़ा जब  वह बारह वर्ष के थे। छोटी सी उम्र में ही उनके ऊपर से पिता का साया उठ गया, जिसके बाद उनके ऊपर जिम्मेदारी आ गई।

कॉलेज से ही हुए रंगभेद के शिकार

बताया जाता है कि नेल्सन मंडेला ने शुरुआती शिक्षा क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल में और स्नातक शिक्षा हेल्डटाउन में ली। सबसे बड़ी बात ये थी कि हेल्डटाउन अश्वेतों के लिए विशेष कॉलेज बनाया गया था और इसी कॉलेज में मंडेला की मुलाकात 'ऑलिवर टाम्बो' से हुई थी, जो जीवन भर उनके दोस्त और सहयोगी रहे। इसी कॉलेज से नेल्सन ने अपनी राजनीतिक विचारधारा को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया था और 1940 तक लोकप्रिय होने लग गए। हालांकि उनकी इस लोकप्रियता को कॉलेज बर्दाश्त नहीं कर सका और कॉलेज प्रशासन ने उन्हें निकाल दिया। यहां विद्यार्थी जीवन में उन्हें रोज याद दिलाया जाता था कि उनका रंग काला है और अगर वे सीना तान कर सड़क पर चलेंगे तो इस अपराध के लिए उन्हें जेल जाना पड़ सकता है। 

नेल्सन की क्रांति से परिजनों की बढ़ी चिंता

नेल्सन मंडेला रंगभेद के खिलाफ अपनी आवाज उठाने लगे थे और उनकी इस क्रांति की राह से परिवार बहुत चिंतित रहने लगा था। परिवार ने उनका विवाह करा कर उन्हे जिम्मेदारियों में बांधने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने अपने निजी जीवन को दरकिनार कर दिया और घर से भागकर जोहान्सबर्ग चले गए, जहां उन्होने सोने की खदान में चौकीदार की नौकरी की और अलेंक्जेंडरा नामक बस्ती में रहने लगे। जोहान्सबर्ग में ही उलकी मुलाकात वाटर सिसलु और वाटर एल्बरटाइन से हुई। नेल्सन के राजनीतिक जीवन पर इन दो मित्रों का अत्यधिक प्रभाव पड़ा। 

सरकार ने लगाया प्रतिबंध

नेल्सन ने धीरे-धीरे अपनी राजनीतिक विचारधारा को आगे बढ़ाना शुरू किया और अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर 'अफ्रिकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग' का गठन किया। 1947 में मंडेला इस संगठन के सचिव चुने गए। इसके साथ ही उन्हे ट्रांन्सवाल एएनसी का अधिकारी भी नियुक्त किया गया। इसके बाद 1951 में नेल्सन को यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष चुन लिया गया। नेल्सन ने 1952 में कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए एक कानूनी फर्म की स्थापना की। नेल्सन की बढ़ती लोकप्रियता के कारण उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया।  

प्रदर्शनकारियों पर सरकार ने चलवाई गोलियां

वहीं बताया जाता है कि सरकार के दमनकारी चक्र के कारण नेल्सन का जनाधार बढ़ने लगा था। रंगभेद सरकार आंदोलन तोड़ने की कोशिश कर रही थी। इस दौरान सरकार ने अश्वेतों के अहित में कुछ कानून पास किए, जिसका नेल्सन ने विरोध किया। विरोध प्रर्दशन के दौरान ही 'शार्पविले' शहर में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चला दीं और करीब 180 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद नेल्सन का अहिंसा पर से विश्वास उठ गया और उन्होंने हथियार बंद लड़ाई लड़ने का निर्णय ले लिया।

1994 में बने दक्षिण अफ्रिका के राष्ट्रपति

कहा जाता है कि सरकार नेल्सन को गिरफ्तार करना चाहती थी। जिससे बचने के लिए नेल्सन देश के बाहर चले गए। हालांकि कुछ समय बाद वह वापस लौट आए और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। नेल्सन को पांच साल की सजा सुनाई गई। उन पर आरोप लगा था कि वे अवैधानिक तरीके से देश छोड़कर गए थे। वहीं, सरकार ने मंडेला को उम्र कैद की सजा सुनाई। मंडेला को 'रोबन द्वीप' भेजा गया जो दक्षिण अफ्रिका का कालापानी माना जाता है। 1989 को दक्षिण अफ्रिका में सत्ता परिर्वतन हुआ और उदारवादी नेता एफ डब्ल्यू क्लार्क देश के मुखिया बने। उन्होने अश्वेत दलों पर लगा सभी प्रतिबंध हटा दिया। उन सभी बंदियों को रिहा कर दिया गया जिन पर अपराधिक मुकदमा नही चल रहा था। 11 फरवरी 1990 को मंडेला पूरी तरह से आजाद हो गए। 1994 देश के पहले लोकतांत्रिक चुनाव में जीत कर दक्षिण अफ्रिका के राष्ट्रपति बने।

2013 में हुआ निधन

1993 में 'नेल्सन मंडेला' और 'डी क्लार्क' दोनो को संयुक्त रूप से शांती के लिए नोबल पुरस्कार दिया गया। 1990 में भारत ने उन्हे देश के सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया। गौर करने वाली बात यह भी है कि उन्होंने महात्मा गांधी से भी प्रेरणा ली। उनका निधन 5 दिसंबर 2013 को निधन हो गया था। 

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English summary :
Nelson Mandela 100th Birthday on 18th July, 2018. Read Nelson Mandela Biography in hindi, achievements, Life history and fight against Racial discrimination. Nelson Mandela was first foreigner who was honored with Bharat Ratna India's most prestigious and highest civilian award.


Web Title: Nelson Mandela 100th birthday South African leader biography bharat ratna

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