चंद्रयान ने खोजा चांद पर बर्फ, नासा ने तस्वीर साझा कर की पुष्टि
By भाषा | Published: August 21, 2018 10:37 PM2018-08-21T22:37:50+5:302018-08-21T22:37:50+5:30
सतह पर कुछ मिलीमीटर तक बर्फ मिलने से यह संभावना बनती है कि उस पानी का इस्तेमाल भविष्य की चंद्र यात्राओं में संसाधन के रूप में किया जा सकता है।
वॉशिंगटन, 21 अगस्त: नासा ने आज कहा कि वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों के अंधेरे और ठंडे हिस्सों में जमा हुआ पानी मिलने का दावा किया है। यह दावा चंद्रयान-1 से प्राप्त जानकारी के आधार पर किया गया है। चंद्रयान-1 का प्रक्षेपण भारत ने 10 वर्ष पहले किया था।
सतह पर कुछ मिलीमीटर तक बर्फ मिलने से यह संभावना बनती है कि उस पानी का इस्तेमाल भविष्य की चंद्र यात्राओं में संसाधन के रूप में किया जा सकता है। जर्नल पीएनएएस में प्रकाशित शोध के मुताबिक यह बर्फ कुछ-कुछ दूरी पर है और संभवत: बहुत पुरानी है।
सतह पर पर्याप्त मात्रा में बर्फ के मौजूद होने से इस बात के संकेत मिलते हैं कि आगे के अभियानों या यहां तक कि चंद्रमा पर रहने के लिए भी जल की उपलब्धता की संभावना है। ‘पीएनएएस’ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि बर्फ इधर-उधर बिखरे हुए हैं।
In the darkest and coldest parts of the Moon's poles, ice deposits have been found. At the southern pole, most of the ice is concentrated at lunar craters, while the northern pole’s ice is more widely, but sparsely spread. More on this @NASAMoon discovery: https://t.co/kvjPbMrEWKpic.twitter.com/ZkVFyKrOB6
— NASA (@NASA) August 20, 2018
दक्षिणी ध्रुव पर अधिकतर बर्फ लूनार क्रेटर्स के पास जमी हुई हैं। उत्तरी ध्रुव के बर्फ अधिक व्यापक तौर पर फैले हुए हैं लेकिन अधिक बिखरे हुए हैं। वैज्ञानिकों ने नासा के मून मिनरेलॉजी मैपर (एम3) से प्राप्त आंकड़ों का इस्तेमाल कर यह दिखाया है कि चंद्रमा की सतह पर जल हिम मौजूद हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा 2008 में प्रक्षेपित किये गए चंद्रयान-1 अंतरिक्षयान के साथ एम3 को भेजा गया था। ये जल हिम ऐसे स्थान पर पाये गए हैं, जहां चंद्रमा के घूर्णन अक्ष के थोड़ा झुके होने के कारण सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंच पाती।