लाहौर में 1200 साल पुराने हिंदू मंदिर का होगा जीर्णोद्धार, कोर्ट में चली लंबी लड़ाई के बाद अवैध कब्जे से हुआ मुक्त
By विनीत कुमार | Published: August 4, 2022 08:13 AM2022-08-04T08:13:52+5:302022-08-04T08:21:52+5:30
पाकिस्तान के लाहौर में स्थित वाल्मिकी मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाएगा। यह कई सालों से अवैध कब्जे में था। 1992 में भारत में बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना के बाद इस मंदिर को भी काफी नुकसान पहुंचाया गया था और आग लगा दी गई थी।
लाहौर: पाकिस्तान के लाहौर में 1200 पुराने हिंदू मंदिर को जीर्णोद्धार किया जाएगा। इस मंदिर पर अवैध कब्जा किया गया था जिसे खाली कराने के लिए कोर्ट में लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के पूजास्थलों की निगरानी करने वाली संघीय संस्था इवैक्यूई ट्रस्ट प्रोपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) ने बुधवार को इस बार की जानकारी दी।
ईटीपीबी ने लाहौर के मशहूर अनारकली बाजार के पास स्थित वाल्मिकी मंदिर का कब्जा पिछले महीने ईसाई परिवार से हासिल किया था। लाहौर में कृष्ण मंदिर के अलावा वाल्मिकी मंदिर ही खुला रहता है।
दरअसल, हिंदू धर्म अपना लेने का दावा करने वाला ईसाई परिवार पिछले दो दशकों से केवल वाल्मीकि जाति के हिंदुओं को ही इस मंदिर में पूजा करने के लिए आने की इजाजत दे रहा था। ईटीपीबी के प्रवक्ता आमिर हाशमी ने बताया कि आने वाले दिनों में 'मास्टर प्लान' के तहत वाल्मीकि मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाएगा।
उन्होंने कहा, '100 से अधिक हिंदू, कुछ सिख और ईसाई नेता आज वाल्मीकि मंदिर में एकत्र हुए। हिंदुओं ने अपने धार्मिक अनुष्ठान किए और लंगर का आयोजन किया।'
20 साल पहले ईसाई परिवार ने मंदिर पर किया था कब्जा
ईसाई परिवार ने बीस साल से भी अधिक समय पहले मंदिर पर कब्जा कर लिया था। ईटीपीबी के एक अधिकारी ने डॉन अखबार को बताया, 'मंदिर की जमीन राजस्व रिकॉर्ड में ईटीपीबी को हस्तांतरित कर दी गई थी, लेकिन परिवार ने 2010-2011 में संपत्ति के मालिक होने का दावा करते हुए अदालत में मामला दायर किया था।'
उन्होंने कहा कि मुकदमे में जाने के अलावा परिवार ने केवल वाल्मीकि हिंदुओं के लिए मंदिर को खोला। इससे ट्रस्ट के पास कोर्ट में केस लड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। अधिकारी ने कहा, 'इस बार अदालत ने याचिकाकर्ता को झूठे दावों के लिए फटकार भी लगाई।'
बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद तोड़ा गया था मंदिर
साल 1992 में भारत में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद हथियारों से लैस गुस्साई भीड़ ने लाहौर के इस वाल्मीकि मंदिर में धावा बोल दिया था। इसमें कृष्ण और वाल्मीकि की मूर्तियों को तोड़ दिया गया था। साथ ही रसोई के बर्तन, क्रॉकरी आदि भी तोड़े गए और सोने के जेवरात भी चुरा लिए गए थे जिससे मूर्तियों को सजाया गया था।
इस दौरान मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया था और इमारत में आग लगा दी गई। पड़ोस की दुकानों में भी आग लग गई थी और अधिकारियों को आग बुझाने में कई दिन लगे थे।
ईटीपीबी के प्रवक्ता ने डॉन अखबार को बताया कि पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित एक सदस्यीय आयोग ने सरकार को अपनी सिफारिशें प्रस्तुत कीं, जिसमें कहा गया कि हिंदू समुदाय को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाना चाहिए।
हालांकि ईटीपीबी मुकदमेबाजी की वजह से शहर के बीचों-बीच करोड़ों की 10 मारला भूमि पर बने मंदिर के जीर्णोद्धार का काम शुरू करने में असमर्थ था।
बता दें कि ETPB उन सिखों और हिंदुओं द्वारा छोड़े गए मंदिरों और भूमि की देखभाल करता है जो विभाजन के बाद भारत में चले गए थे। यह संस्था पूरे पाकिस्तान में 200 गुरुद्वारों और 150 मंदिरों की देखरेख करती है।
(भाषा इनपुट के साथ)