कोविड-19: श्वसन तंत्र के जरिए प्रोटीन देना मरीजों के स्वस्थ होने में मददगार

By भाषा | Published: November 13, 2020 04:29 PM2020-11-13T16:29:13+5:302020-11-13T16:29:13+5:30

Kovid-19: Providing Protein Through Respiratory System Helps Patients Get Healthy | कोविड-19: श्वसन तंत्र के जरिए प्रोटीन देना मरीजों के स्वस्थ होने में मददगार

कोविड-19: श्वसन तंत्र के जरिए प्रोटीन देना मरीजों के स्वस्थ होने में मददगार

लंदन, 13 नवंबर अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के मरीज जिन्हें श्वसन तंत्र के माध्यम से प्रोटीन दिया गया, उन्हें संक्रमण के गंभीर लक्षण होने की कम आशंका देखी गई। एक नये अध्ययन में यह बात सामने आई है। यह अध्ययन बीमारी के खिलाफ नयी उपचार रणनीति में सहायक हो सकता है।

ब्रिटेन के नौ अस्पतालों में कराये गये क्लीनिकल परीक्षण और लांसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित इसके परिणामों के अनुसार प्रोटीन इंटरफेरोन बीटा-1ए की खुराक श्वसन तंत्र के माध्यम से मरीज को देने पर कोविड-19 के उस पर पड़ने वाले रोग संबंधी नुकसानों को कम किया जा सकता है।

साउथहैम्पटन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों समेत इस अध्ययन में शामिल अन्य वैज्ञानिकों का कहना है कि इस अध्ययन का निष्कर्ष यह साबित करता है कि अस्पतालों में भर्ती मरीजों के रोग से उबरने में यह उपचार लाभदायक हो सकता है। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बारे में अभी और अध्ययन करने की आवश्यकता है।

उन्होंने बताया कि प्रोटीन इंटरफेरोन बीटा वायरस संक्रमणों के प्रति शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रतिक्रिया देने में मददगार होता है।

पहले के अध्ययनों में सामने आया था कि नोवेल कोरोना वायरस इंटरफेरोन बीटा के स्राव को दबा देता है। नैदानिक परीक्षणों में भी यह पता चला कि कोविड-19 के मरीजों में इस प्रोटीन की सक्रियता घट जाती है।

नए अध्ययन में इंफरफेरोन बीटा का सूत्रण एसएनजी001 श्वसन तंत्र के जरिए सीधे फेफड़ों तक पहुंचाया गया तथा इसे कोविड-19 के मरीजों के लिए प्रभावी एवं सुरक्षित पाया गया।

इन मरीजों की तुलना उन मरीजों से की गई जिनका उपचार प्लासेबो पद्धति से किया गया। इस अध्ययन में 101 मरीजों को शामिल किया गया जिनमें से 98 का उपचार किया गया। इनमें से 48 को एसएनजी001 दिया गया जबकि 50 का इलाज प्लासेबो पद्धति से किया गया।

परीक्षण की शुरुआत में 66 मरीजों को ऑक्सीजन देने की जरूरत थी।

अध्ययन के मुताबिक जिन मरीजों को एसएनजी001 दिया गया उनकी नैदानिक स्थिति 15 या 16 दिन के भीतर बेहतर होने की संभावना दो गुनी पायी गई।

जबकि प्लासेबो पद्धति से जिन 50 मरीजों का उपचार किया जा रहा था उनमें से 11 की हालत गंभीर हो गई अथवा मृत्यु हो गई।

वैज्ञानिकों का कहना है कि इस अध्ययन में नमूने का आकार कम था अत: इन निष्कर्षों को व्यापक आबादी पर लागू नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर अध्ययन करने की अभी आवश्यकता है।

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Web Title: Kovid-19: Providing Protein Through Respiratory System Helps Patients Get Healthy

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