जलवायु वार्ता में देरी की कोशिश कर रहे हैं जीवाश्म ईंधन समूह
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 7, 2019 01:25 PM2019-12-07T13:25:14+5:302019-12-07T13:25:14+5:30
2015 के पेरिस समझौते के तहत विभिन्न देश वैश्विक ताप को दो डिग्री सेल्सियस तक कम करने पर राजी हो गए। संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष वैज्ञानिक समिति ने कहा कि इसके लिए जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल में कमी लानी होगी।
तेल एवं गैस समूहों पर जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल में कटौती करने को लेकर देरी कराने के लिए प्रायोजनों पर लाखों रुपये खर्च करके और दर्जनों बिचौलियों को भेजकर मैड्रिड में जलवायु वार्ता को प्रभावित करने का आरोप है।
वहीं, वैज्ञानिकों का कहना है कि जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल में कटौती आवश्यक है और ऐसा फौरन होना चाहिए। जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई की मांग करते हुए स्पेन की राजधानी मैड्रिड में हजारों लोग के मार्च करने के एक दिन बाद सात पर्यावरणीय समूहों ने सीओपी25 शिखर सम्मेलन में जीवाश्म ईंधन के प्रतिनिधियों की भूमिका को लेकर चिंता जताई।
2015 के पेरिस समझौते के तहत विभिन्न देश वैश्विक ताप को दो डिग्री सेल्सियस तक कम करने पर राजी हो गए। संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष वैज्ञानिक समिति ने कहा कि इसके लिए जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल में कमी लानी होगी। मैड्रिड में प्रतिनिधि इस को लेकर बातचीत करने के लिए जुटे हैं कि पेरिस समझौते को किस तरह लागू किया जाए।