West Bank annex plan: विश्व के पूर्व नेताओं ने दुनिया को किया आगाह, इजराइल पर दबाव बनाए, जानिए क्या है मामला
By भाषा | Published: July 4, 2020 08:09 PM2020-07-04T20:09:09+5:302020-07-04T20:09:09+5:30
नेल्सन मंडेला द्वारा 2007 में स्थापित ‘द एल्डर्स’ ने फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के नेताओं को लिखे पत्रों में कहा है कि उन्हें इजराइल से कहना चाहिए कि इस समायोजन के द्विपक्षीय एवं क्षेत्रीय संबंधों पर नकारात्मक राजनीतिक एवं आर्थिक परिणाम होंगे।
संयुक्त राष्ट्रः विश्व के पूर्व नेताओं के एक समूह ने यूरोपीय नेताओं से शुक्रवार को अपील की कि वे वेस्ट बैंक के हिस्सों के समायोजन की योजना के खिलाफ इजराइल पर दबाव बनाते रहें।
इजराइल ने एक जुलाई को क्षेत्र पर अधिकार जताने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। हालांकि नेताओं ने इसके प्रति आगाह किया है। नेल्सन मंडेला द्वारा 2007 में स्थापित ‘द एल्डर्स’ ने फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के नेताओं को लिखे पत्रों में कहा है कि उन्हें इजराइल से कहना चाहिए कि इस समायोजन के द्विपक्षीय एवं क्षेत्रीय संबंधों पर नकारात्मक राजनीतिक एवं आर्थिक परिणाम होंगे।
इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने समायोजन की प्रक्रिया बुधवार तक शुरू करने का लक्ष्य रखा था और कहा था कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पश्चिम एशिया योजना के अनुरूप वेस्ट बैंक क्षेत्र का समायोजन शुरू करना चाहते हैं। लेकिन इजराइली कैबिनेट मंत्री ओफिर अकुनिस ने कहा कि समायोजन की प्रक्रिया में देरी हुई है और बुधवार को इजराइल के आर्मी रेडियो स्टेशन को बताया कि अधिकारी अपने अमेरिकी समकक्षों के साथ अंतिम ब्योरों पर अब तक काम कर रहे हैं।
उम्मीद है कि समायोजन जुलाई के अंत तक शुरू होगा
उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि समायोजन जुलाई के अंत तक शुरू होगा। दो राष्ट्र वाले समाधान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन प्राप्त है। इसके तहत जमीन की अदला-बदली पर बनी सहमति के साथ संपूर्ण वेस्ट बैंक में स्वतंत्र फलस्तीनी राष्ट्र और स्वतंत्र गाजा की कल्पना है।
ट्रंप प्रशासन की शांति योजना के तहत वेस्ट बैंक का करीब 30 प्रतिशत हिस्सा स्थायी रूप से इजराइली नियंत्रण में आ जाएगा और जनवरी में जारी इस योजना में क्षेत्र के समायोजन के लिए इजराइल को मंजूरी दी गई है। यह योजना असंबद्ध फलस्तीनी राष्ट्र की स्थापना करेगी, जिसके पास शेष भूमि के छोटे-छोटे हिस्सों में सीमित स्वायत्तता होगी।
फलस्तीनियों ने इस योजना को इजराइल के हक में बताकर इसका पुरजोर विरोध किया है। संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और प्रमुख अरब देशों ने कहा है कि यह समायोजन अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करेगा और इजराइल के साथ-साथ व्यवहार्य स्वतंत्र फलस्तीनी राष्ट्र स्थापित करने की पहले से धूमिल संभावनाओं को और कमतर करेगा।
आयरलैंड की पूर्व राष्ट्रपति मेरी रॉबिनसन के नेतृत्व में और मंडेला की पत्नी ग्रासा माशेल तथा संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान-की-मून की सह अध्यक्षता में ‘द एल्डर्स’ ने कहा कि यह समायोजन “मूल रूप से इजराइली और फलस्तीनी लोगों के दीर्घकालिक हित के विपरीत है।” उन्होंने यह भी कहा कि इससे भविष्य में इन क्षेत्रों में हिंसा की आशंका भी बढ़ जाएगी।
इजराइल, फलस्तीन को ‘‘दो- राज्य समाधान’’ के लिए सीधी बातचीत करनी चाहिए : भारत
भारत ने कहा कि इजराइल और फलस्तीन को सीधे बातचीत के जरिए अपने मुद्दों को हल करना चाहिए और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए स्वीकार्य "दो-राज्य का समाधान" खोजना चाहिए। भारत की यह प्रतिक्रिया पश्चिमी तट के कब्जे वाले हिस्सों को मिलाने की इजराइल की योजना को लेकर इजराइल-फलस्तीन संघर्ष पर आयी है।
इजराइल की योजना के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, "इस संबंध में हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है और मैं फिर से कहना चाहूंगा कि अंतिम स्थिति के मुद्दों का हल दोनों पक्षों के बीच सीधी बातचीत के जरिए किया जाना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "हम दोनों पक्षों से शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए दो राज्यों का स्वीकार्य समाधान खोजने की खातिर एक-दूसरे से संवाद करने का आग्रह करते हैं।" इजराइल ने अपनी योजना जनवरी में सार्वजनिक की थी जिसके तहत करीब 30 प्रतिशत क्षेत्र को स्थायी इजराइली नियंत्रण में लाने की परिकल्पना की गयी है।