कोरोना वायरस को लेकर पूरे विश्व में हंगामा बरपा हुआ है। इस बीच सिंगापुर में कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को देखते वहां की सरकार ने एक महीने के लिए पूरी तरह से देश को बंद करने की घोषणा की है, जिसकी शुरुआत सात अप्रैल से होगी। बता दें कि सिंगापुर में कुल संक्रमित लोगों की संख्या 1,000 के पार पहुंच गई है। बुधवार को 74 नए मामलों की पुष्टि हुई थी जिनमें से सात भारतीय शामिल थे।
समाचार एजेंसी के अनुसार, सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सियन लूंग ने 1 महीने के बंद की घोषणा की है, जोकि अगले मंगलवार (7 अप्रैल) से शुरू होने वाला है। पीएम की ओर से कहा गया है कि आवश्यक सेवाओं और प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों को छोड़कर अधिकांश कार्यस्थलों को बंद कर दिया जाएगा।
सिंगापुर में संक्रमित लोगों की संख्या 1,000 के पार पहुंच गई है। 20 मामले ऐसे हैं जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और एशिया के अन्य हिस्सों की यात्रा की थी। देश में 24 लोगों की हालत नाजुक है और वह आईसीयू में हैं।
नए आंकड़ों के अनुसार, 66.5 लाख अतिरिक्त अमेरिकियों ने पिछले सप्ताह बेरोजगारी लाभ के लिए हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही मार्च के पिछले दो हफ्तों में एक करोड़ लोग अपनी नौकरी गंवा चुके हैं। अर्थशास्त्रियों ने आगाह किया कि हालात और बिगड़ने वाले हैं।
विश्व नेताओं ने इस संकट से निपटने के लिए बड़े वित्तीय सहायता पैकेजों की घोषणा की है और विश्व बैंक ने बृहस्पतिवार को 15 महीनों में 160 अरब डॉलर आपात नकदी जारी करने की योजना को मंजूरी दी।
जॉन्स हॉप्किन्स विश्वविद्यालय के आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में इस संक्रामक रोग से करीब 6,000 लोगों की मौत हो गई है। इनमें से 1,100 से अधिक लोगों की मौत पिछले 24 घंटे में हुई। व्हाइट हाउस के विशेषज्ञों का कहना है कि इस बीमारी से 100,000 से 2,40,000 अमेरिकी जान गंवा सकते हैं। अमेरिका की करीब 85 प्रतिशत आबादी किसी न किसी तरह से घरों में सिमटी हुई है।
पिछले कुछ हफ्तों से यूरोप इस संकट का केंद्र बना हुआ है लेकिन ऐसे संकेत मिले हैं कि यह महामारी वहां चरम पर पहुंच सकती है। स्पेन और ब्रिटेन में 24 घंटे के दौरान क्रमश: 950 और 569 लोगों की मौत हुई है। अकेले इटली और स्पेन में ही पूरी दुनिया में मरने वाले लोगों की आधी संख्या है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों देशों में नए संक्रमण के मामले कम हो रहे हैं।
इस विषाणु ने मुख्यत: बुजुर्ग और पहले से बीमार लोगों को अपना निशाना अधिक बनाया है लेकिन किशोरों और यहां तक कि छह माह की एक बच्ची की मौत के मामलों ने सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए खतरा पैदा कर दिया है।