‘गेंद श्रीलंका के पाले में है’, कर्ज पुनर्गठन के अनुरोध पर चीन ने नहीं दिया सीधा जवाब, कही यह बात
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 28, 2022 08:14 AM2022-08-28T08:14:59+5:302022-08-28T08:20:11+5:30
आपको बता दें कि करीब तीन महीने पहले चीन ने श्रीलंका के वित्त मंत्रालय को संपर्क कर चीनी बैंकों के साथ कर्ज के मुद्दे को कैसे निपटाया जाए, इस पर चर्चा करने को कहा था।
कोलंबो:चीन ने श्रीलंका को कर्ज में राहत देने के द्वीपीय देश के अनुरोध पर सीधा कोई जवाब देने से परहेज करते हुए कहा कि ‘‘गेंद श्रीलंका के पाले में है।’’ मीडिया में शनिवार को आई एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है।
कर्ज को लेकर अभी तक चीन ने श्रीलंका को कोई राहत नहीं दी है
आपको बता दें कि श्रीलंका गंभीर आर्थिक संकट से जूझने के बीच चीन से उसके कर्ज के पुनर्गठन का अनुरोध कर रहा है। ऐसा अनुमान है कि श्रीलंका पर चीन का इस साल 1.5 से लेकर दो अरब डॉलर का कर्ज है। पिछले कुछ वर्षों में श्रीलंका में चीन का कर्ज तथा निवेश आठ अरब डॉलर से अधिक तक पहुंचने का अनुमान है।
बहरहाल, चीन ने अभी तक श्रीलंका को कर्ज में राहत देने की कोई सार्वजनिक घोषणा नहीं की है।
3 महीने पहले ही चीन श्रीलंका को तैयार रहने को कहा था
‘डेली मिरर’ समाचार वेबसाइट ने चीन दूतावास के प्रवक्ता का हवाला देते हुए कहा कि बीजिंग ने तीन महीने पहले श्रीलंका के वित्त मंत्रालय को इस पर चर्चा के लिए तैयार रहने की सूचना दी थी कि चीनी बैंकों के साथ कर्ज के मुद्दे का निपटान कैसे किया जाए।
चीन ने श्रीलंका को लेकर क्या कहा था
इससे पहले भारत पर परोक्ष निशाना साधते हुए चीन ने कहा था कि बिना किसी साक्ष्य के तथाकथित सुरक्षा चिंताओं पर आधारित ‘बाहरी अवरोध’ श्रीलंका की संप्रभुता और स्वतंत्रता में पूरी तरह हस्तक्षेप है।
आपको बता दें कि चीन के बैलिस्टिक मिसाइल और उपग्रह निगरानी पोत ‘युआन वांग 5’ के हंबनटोटा बंदरगाह पर लंगर डालने पर भारत की आपत्ति की ओर इशारा करते हुए श्रीलंका में चीन के राजदूत की झेनहोंग ने एक बयान में कहा कि चीन इस बात से खुश है कि मामला निपट गया है और बीजिंग तथा कोलंबो संयुक्त रूप से एक दूसरे की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा करते हैं।
बिना नाम लिए चीन से भारत पर साधा था निशाना
बयान में सीधे तौर पर भारत का नाम नहीं लिया गया है लेकिन कहा गया, ‘‘कुछ ताकतों की ओर से बिना प्रमाण के तथाकथित सुरक्षा चिंताओं पर आधारित बाहरी अवरोध वस्तुत: श्रीलंका की संप्रभुता और स्वतंत्रता में पूरी तरह हस्तक्षेप हैं।’’