अनुच्छेद 370 पर पाकिस्तान में उठापटक तेज है। जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लेने के भारत सरकार के फैसले के आलोक में यूरोपीय संघ ने जम्मू-कश्मीर के मसले पर तनाव घटाने के लिए भारत और पाकिस्तान से राजनयिक माध्यम से बातचीत दोबारा शुरू करने का आह्वान किया।
इस बीच, तालिबान ने पाकिस्तान को फटकार लगाई। उसने पाक से कहा कि अफगानिस्तान को कश्मीर मामले के साथ न मिलाएं। तालिबान के प्रवक्ता जबीहउल्लाह मुजाहिद के हवाले से बताया- कुछ पार्टियों के द्वारा अफगानिस्तान और कश्मीर मामले को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इससे कुछ नहीं होने वाला है। यह दोनों मामले एक-दूसरे से अलग हैं। ऐसे में पाकिस्तान को चाहिए कि वे अफगानिस्तान को देशों के बीच चल रही स्पर्धा का हिस्सा न बनाएं।
जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने और सूबे के पुनर्गठन से बौखलाए पाकिस्तान को अब तालिबान से भी करारा झटका लगा है। तालिबान ने पाकिस्तान की ओर से अफगानिस्तान और कश्मीर मुद्दे को जोड़ने का विरोध किया है। कश्मीर के मुद्दे को कुछ पक्षों की ओर से अफगानिस्तान से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इससे संकट से निपटने में कोई मदद नहीं मिलेगा क्योंकि अफगानिस्तान के मुद्दे का इससे कोई लेना-देना नहीं है। इसके अलावा अफगानिस्तान अन्य देशों की प्रतिस्पर्धा के बीच नहीं फंसना चाहता।'
असल में पाकिस्तान की नजर इस बात पर है कि यदि वह अफगानिस्तान में शांति प्रकिया को बढ़ावा देता है तो अमेरिका से उसे कश्मीर मसले के हल में मदद मिल सकेगी। बता दें कि बीते कई सालों से तालिबान पाकिस्तान को अपना संरक्षक मानता रहा है। पाकिस्तान ने उसे अपनी सरजमीं पर पलने-बढ़ने, ट्रेनिंग लेने का मौका दिया है। इसके अलावा खूंखार आतंकी संगठन के लड़ाकों और कमांडरों और फंडिंग तक मुहैया कराई है।
तालिबान के साथ निकट संबंधों के चलते ही पाकिस्तान को अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया में हिस्सा बनने का मौका मिला है। भारत की ओर से जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने और उसे केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने से पाक बौखलाया हुआ है। इसके चलते पाकिस्तान ने अमेरिका पर दबाव बनाने के लिए अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया को बाधित करने की धमकी दी है।