एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'तालिबान अफगान महिलाओं और लड़कियों को बुरी तरह से प्रताड़ित कर रहा है'
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 27, 2022 09:54 PM2022-07-27T21:54:10+5:302022-07-27T21:58:36+5:30
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बुधवार को एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसके मुताबिक तालिबान ने सबसे ज्यादा चोट महिलाओं और लड़कियों की शिक्षा, उनके काम के आजादी और फ्री ट्रैवेलिंग पर की है।
काबुल: अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बुधवार को अफगानिस्तान से संबंधित एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि लगभग एक साल पहले हिंसा के जरिये अफगानिस्तान की लोकतांत्रिक सरकार को सत्ता से बेदखल करने वाले तालिबान सरकार ने मौजूदा समय में अफगान महिलाओं और लड़कियों के सभी सामाजिक और अन्य अधिकारों को "खत्म" कर दिया है।
संस्था के मुताबिक तालिबान ने सबसे ज्यादा चोट महिलाओं और लड़कियों की शिक्षा, उनके काम के आजादी और फ्री ट्रैवेलिंग पर की है। तालिबान शासन के कठोर नियमों के तहत महिलाओं और लड़कियों की स्वतंत्रता को गंभीर रूप से कुचला गया है।
इस मामले में एमनेस्टी इंटनेशनल के महासचिव एग्नेस कैलामार्ड ने कहा, "अगर हम तालिबान शासन के मामले में देखें तो पहले की लोकतांत्रिक सरकारों में जिस तरह से लड़कियों को स्कूल जाने की आजादी थी, महिलाओं को बाहर निकल कर काम करने की आजादी थी। वो सारे अधिकार एक झटके में तलिबान सरकार ने खत्म कर दिया और उन्हें केवल घरों की दहलीज तक समेटकर कर रख दिया है और क्रूर तालिबान सरकार के द्वारा इस तरह की कार्रवाई दिनों-दिन बढ़ती जा रही है।"
एमनेस्टी की ओर से "डेथ इन स्लो मोशन: वीमेन एंड गर्ल्स अंडर तालिबान रूल" के शीर्षक से प्रकाशित की गई इस रिपोर्ट में सौ से अधिक अफगान महिलाओं और लड़कियों की आपबीती को शामिल किया गया है। अफगान लड़कियों और महिलाओं ने एमनेस्टी के साथ किये बातचीत में खुलासा किया कि तालिबान अधिकारियों ने प्रतिबंधों की खिलाफत करने पर जान से मारने की धमकी दी। प्रताड़ना के तौर पर कई औरतों को गिरफ्तार किया गया या फिर उन्हें गायब कर दिया गया।"
इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ किये जा रहे भेदभावों का विरोध करने वालों को तालिबान सरकार जमकर उत्पीड़न कर रही है और उन्हें हिरासत में लेकर शारीरिक और मानसिक तौर पर प्रताड़ित भी किया जाता है।
इस मामले में तालिबान द्वारा जेल भेजी गई एक महिला ने अपने दर्द को साझा करते हुए कहा, "मैंने जब तालिबान की हरकतों का विरोध किया तो उनके गार्ड मेरे कमरे में आते और मुझे मेरे परिवार के सदस्यों की तस्वीर दिखाकर कहते कि वो सभी को मार देंगे और मैं उनका कुछ नहीं कर पाऊंगी।"
वहीं एक अन्य महिला ने कहा, "उन्होंने डराने के लिए हमारे स्तनों पर और पैरों के बीच में प्रहार किया। वो हमारे साथ ऐसा इसलिए करते हैं ताकि हम उनकी ज्यादती को दुनिया के सामने दिखा भी न सकें।"
ऐसी महिलाओं के तालिबान से संरक्षण देने वाले एक पुरुष ने कहा कि तालिबान प्रशासन उनके हुक्म को न मानने वाली महिलाओं को मनमाने ढंग से हिरासत में लेता है। उन्हें शारीरिक और मानसिक तौर पर प्रताड़ित करता है और इस हद तक टॉर्चर करता है कि वो पुरुषों को दिखा भी नहीं सकतीं।
मालूम हो कि साल 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता पर जबरिया काबिज होने वाले तालिबान ने विश्व समुदाय से वादा करते हुए कहा था कि वो महिलाओं के अधिकारों को बनाए रखेगा लेकिन तालिबान के वादे जल्द ही खोखले साबित हुए और उसने अफगान महिलाओं का चरणबद्ध तरीके से उत्पीड़न शुरू कर दिया।