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नेपाल की संसद में विवादित नक्शे से जुड़ा संशोधन विधेयक हुआ पेश, तीनों हिस्से नक्शे में शामिल

By अजीत कुमार सिंह | Updated: May 31, 2020 17:56 IST

भारत के साथ नक्शा विवाद के बीच नेपाल सरकार ने 31 मई को संसद में संविधान संशोधन विधेयक पेश कर दिया....

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ठळक मुद्देनेपाल सरकार ने 20 मई को किया था नया राजनीतिक मानचित्र जारी।कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को को दर्शाया था नेपाल का हिस्सा।भारत ने जताई थी कड़ी आपत्ति।

नेपाल नेअपने राजनीतिक नक्शे पर एक कदम और आगे बढ़ा दिया है. भारत के साथ जारी सीमा विवाद पर नेपाल सरकार ने 31 मई को संसद में संविधान संशोधन विधेयक पेश कर दिया. कानून, न्याय और संसदीय मामलों के मंत्री शिव माया तुंबांहांगफे ने रविवार को संविधान संशोधन (दूसरा संशोधन) विधेयक पेश किया.

तुंबांहांगफे के संशोधन विधेयक को मंजूरी देने की मांग के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से समर्थन मिल गया. नेपाल सरकार ने 22 मई को संसद में बिल को पंजीकृत किया था, जिसमें नेपाल के राजनीतिक मानचित्र को अपडेट करने के लिए संविधान की अनुसूची 3 में संशोधन करने की मांग की गई थी.

नेपाल सरकार ने 20 मई को अपनी सीमाओं के भीतर कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को दर्शाते हुए नेपाल का नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया.

भारत का क्या कहना है  नेपाल के इस कदम से भारत ने नाराज़गी ज़ाहिर की है. भारत का कहना है कि क्षेत्र पर ‘‘बढ़ा-चढ़ाकर किए गए कृत्रिम’’ दावे को स्वीकार नहीं करेगा और पड़ोसी देश से इस तरह के ‘‘अनुचित मानचित्र दावे’’ से अलग रहने को कहा.

नेपाल में संशोधित विधेयक को संसद से मंजूरी मिलते ही नये नक्शे का इस्तेमाल सभी आधिकारिक डॉक्यूमेंट्स में किया जाएगा. संसद विधेयक को मंजूरी देने से पहले इस पर चर्चा करेगी. संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति विधेयक पर अंतिम मंजूरी देंगे. 

नेपाल में भी जारी खींचतानहालांकि ये बिल बुधवार को ही सदन में पेश होना था लेकिन इसे वापस ले लिया गया था. प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली के आग्रह पर पिछले हफ्ते प्रस्तावित विधेयक को अंतिम समय में संसद की कार्यसूची से हटा दिया गया था. इस दौरान सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी  ने कहा कि नेपाली कांग्रेस और अधिक वक्त चाहिए था. जिसके बाद रविवार को ये बिल सरकार ने फिर से पेश किया गया जब कांग्रेस सेंट्रल वर्किंग कमेटी ने अपने सभी सदस्यों से इस संशोधन विधेयक के समर्थन में वोट करने के लिए कहा. इसी तरह समाजवादी जनता पार्टी नेपाल और राष्ट्रीय जनता पार्टी नेपाल ने भी मांग की थी कि संविधान संशोधन में उनकी पुरानी मांगों को शामिल किया जाए. संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी देने के लिए दो-तिहाई बहुमत की जरूरत है. प्रधानमंत्री ओली ने मंगलवार को सर्वदलीय बैठक में सभी राजनीतिक दलों के शीर्ष नेताओं से अपील की थी कि संसद में इसका सर्वसम्मति से अनुमोदन करें.

क्या है लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा विवादभारत के साथ सीमा विवाद के बीच नेपाल ने हाल ही में देश का संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक मानचित्र जारी किया था जिसमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा क्षेत्रों पर दावा किया गया था. दोनों देशों के बीच लिपुलेख दर्रें तक बनाई गयी 80 किलोमीटर की सड़क को लेकर विवाद है. नेपाल इसे अपने इलाके में होने का दावा कर रहा है. 

इस सड़क से क्या फायदा है80 किलोमीटर की ये सड़क बन जाने से कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रा पर जाने वालों को थोड़ी राहत मिलेगी. इससे तीर्थयात्रियों की गाड़ियां चीन सीमा तक पहुंच सकेंगी. ये सड़क धारचुला-लिपुलेख  पिथौरागढ़-तवाघाट-घाटियाबागढ़ रूट का ही एक्सटेंशन हैं. 80 किलोमीटर लंबी ये सड़क घाटियाबागढ़ से शुरू होती है और लिपुलेख दर्रे तक जाती है. लिपुलेख दर्रा कैलाश मानसरोवर का एंट्री गेट हैं.

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