चीन के निशाने पर अमेरिकी मीडिया संस्थान, पांच पत्रकारों के प्रेस कार्ड के नवीनीकरण में देरी
By भाषा | Published: September 7, 2020 06:27 PM2020-09-07T18:27:56+5:302020-09-07T18:27:56+5:30
चीन के विदेश मंत्रालय ने इस बारे में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि नवीनीकरण के आवेदनों पर प्रक्रिया के अनुरूप काम चल रहा है और संबंधित संवाददाताओं की जिंदगी चीन में किसी भी तरह प्रभावित नहीं होगी।
बीजिंगः चीन चार अमेरिकी मीडिया संस्थानों में कार्यरत कम से कम पांच पत्रकारों के प्रेस कार्ड के नवीनीकरण में देरी कर रहा है जिससे उनके यहां काम जारी रखने को लेकर आशंका पैदा हो गयी है।
विदेशी संवाददाताओं के एक संगठन ने सोमवार को यह जानकारी दी और माना जा रहा है कि अमेरिका में चीनी पत्रकारों को निशाना बनाये जाने के ऐवज में ऐसा हो रहा है। चीन के विदेश मंत्रालय ने इस बारे में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि नवीनीकरण के आवेदनों पर प्रक्रिया के अनुरूप काम चल रहा है और संबंधित संवाददाताओं की जिंदगी चीन में किसी भी तरह प्रभावित नहीं होगी।
हालांकि मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने अमेरिका पर मामले पर बातचीत में ‘अहंकार दिखाने और अतार्किक होने’ का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अमेरिका चीन की सामान्य और तर्कसंगत चिंताओं तथा मांगों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा। झाओ ने एक दैनिक ब्रीफिंग में संवाददाताओं से कहा, ‘‘अगर अमेरिका सरकार वाकई अमेरिकी पत्रकारों की फिक्र करती है तो उसे कुछ राजनेताओं के राजनीतिक हितों के लिए दो देशों के पत्रकारों पर रोकथाम के बजाय यथासंभव जल्द से जल्द सभी चीनी पत्रकारों के लिए वीजा की अवधि बढ़ा देनी चाहिए।’’
अटलांटा से संचालित सीएनएन नेटवर्क ने कहा कि जिन अमेरिकी संवाददाताओं को सामान्य रूप से एक साल के लिहाज से प्रेस कार्ड देने के बजाय अगले दो महीने तक काम करते रहने की अनुमति दी गयी है उनमें उसका चीन संवाददाता भी है।
सीएनएन के अनुसार संवाददाता से कहा गया है कि इस कदम का उसकी रिपोर्टिंग से कोई संबंध नहीं है बल्कि यह बस चीनी मीडिया के प्रति अमेरिका के ट्रंप प्रशासन की कार्रवाई के जवाब में किया गया है। यह अमेरिका और चीन के खराब होते संबंधों का ताजा उदाहरण है।
फॉरेन करेसपोंडेंट्स क्लब ऑफ इंडिया (एफसीसीसी) ने कहा कि वॉल स्ट्रीट जर्नल और ब्लूमबर्ग को भी निशाना बनाया गया है। उसने चौथे मीडिया संस्थान का नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि और भी विदेशी पत्रकारों के साथ ऐसा रवैया अपनाया जा सकता है। उसने कहा कि निशाना तो अमेरिकी संस्थानों पर है, लेकिन इसमें घेरे में आने वाले पत्रकार विविध नागरिकता वाले हैं।