अफगानिस्तान: 500 से ज्यादा स्कूली लड़कों का यौन उत्पीड़न, जांच शुरू
By रोहित कुमार पोरवाल | Published: January 30, 2020 12:41 AM2020-01-30T00:41:22+5:302020-01-30T00:41:22+5:30
इस जांच का आधार एक फेसबुक पेज पर जारी किए गया शोध बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि सिविल सोसाइटी संगठन लोगर यूथ, सोशल एंड सिविल इंस्टीट्यूशन द्वारा 100 से ज्यादा वीडियो शोध को फेसबुक पेज पर पोस्ट किया गया था। जिसमें शिक्षकों, मुख्याध्यापकों और अन्य अधिकारियों द्वारा छह स्कूलों में लड़कों के साथ कथित शोषण को दिखाया गया था। तब से पेज को हटा दिया गया है।
अफगानिस्तान में शिक्षा मंत्रालय ने बड़े पैमाने पर स्कूलों में लड़कों को हवस का शिकार बनाए जाने के मामले की जांच शुरू की है। अफगानिस्तान के लोगर प्रांत से दुराचारियों के एक गिरोह की बात सामने आई थी। जिसके बाद अटॉर्नी जनरल ने 500 से ज्यादा स्कूली लड़कों के साथ हुए कथित यौन उत्पीड़न के मामले में जांच शुरू कर दी है।
द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, अटॉर्नी जनरल कार्यालय के प्रवक्ता जमशीद रसूली ने कहा कि एक समिति नियुक्त की गई थी। उन्होंने कहा, ''हम एक व्यापक, निष्पक्ष जांच चलाने की प्रक्रिया में हैं।”
समिति के निष्कर्षों को जारी करने के लिए कोई तारीख निर्धारित नहीं की गई है लेकिन सर्दियों के महीनों में स्कूलों को बंद करने से देरी हो सकती है।
इस जांच का आधार एक फेसबुक पेज पर जारी किए गया शोध बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि सिविल सोसाइटी संगठन लोगर यूथ, सोशल एंड सिविल इंस्टीट्यूशन द्वारा 100 से ज्यादा वीडियो शोध को फेसबुक पेज पर पोस्ट किया गया था। जिसमें शिक्षकों, मुख्याध्यापकों और अन्य अधिकारियों द्वारा छह स्कूलों में लड़कों के साथ कथित शोषण को दिखाया गया था। तब से पेज को हटा दिया गया है।
राष्ट्रपति के प्रवक्ता सेदिक सेदिक़की ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय बाल शोषण सहित कई मुद्दों से निपटने के लिए स्कूल सुरक्षा योजना का मसौदा तैयार कर रहा है, साथ ही यह भी समीक्षा कर रहा है कि स्कूल ऐसी रिपोर्ट से कैसे निपटते हैं।
सेदिक सेदिक़की ने कहा कि शिक्षक के आचार संहिता को अतिरिक्त रूप से संशोधित किया गया है और बाल दुर्व्यवहार और लिंग आधारित हिंसा से निपटने के लिए दृष्टिकोणों को शामिल किया गया है।
वहीं, बाल यौन शोषण उजागर करने वाले कार्यकर्ता मोहम्मद मुसा महमौदी और एहसानुल्लाह हमीदी ने सुरक्षा कारणों से अपने परिवार के साथ अफगानिस्तान छोड़ दिया है। दोनों को उनके शोधों को सार्वजनिक करने से पहले कई महीनों से धमकियां मिल रही थीं और उन्हें देश की खुफिया सेवाओं, राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय ने सार्वजनिक तौर पर उनके निष्कर्षों से इनकार करने के बाद उन्हें कई दिनों तक हिरासत में रखा था।
अफगानिस्तान में सामाजिक कार्यकर्ताओं की असुरक्षा को लेकर मानवाधिकार संगठनों ने आपत्ति जताई है और मामले को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने हस्तक्षेप की बात कही है।