'इससे अच्छा तो गर्दन कटाना होगा,' विश्वविद्यालय में पढ़ाई बैन पर बोली अफगानी महिला

By रुस्तम राणा | Published: December 25, 2022 03:52 PM2022-12-25T15:52:19+5:302022-12-25T15:52:19+5:30

अफगानिस्तान में ताजा हालातों से 19 साल की मारवा बेहद परेशान और दुखी हैं। वह विश्वविद्यालय जाने वाली अपने अफगान परिवार की पहली महिला बनने से कुछ ही महीने दूर थी, कि सरकार के इस फैसले से उनके सपने चकना चूर हो गए।

Afghan Women Speak Out On University Ban "Beheading Would've Been Better" | 'इससे अच्छा तो गर्दन कटाना होगा,' विश्वविद्यालय में पढ़ाई बैन पर बोली अफगानी महिला

'इससे अच्छा तो गर्दन कटाना होगा,' विश्वविद्यालय में पढ़ाई बैन पर बोली अफगानी महिला

Highlights मारवा ने कहा, अगर उन्होंने महिलाओं का सिर कलम करने का आदेश दिया होता, तो वह भी इस प्रतिबंध से बेहतर होताउन्होंने कहा, अगर हम इतने बदकिस्मत हैं, तो काश हम पैदा ही नहीं होते, मुझे दुनिया में अपने अस्तित्व के लिए खेद है

नई दिल्ली: अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत महिलाओं के अधिकारों को छीनने और कुचलने के लिए कुख्यात है। इसी कढ़ी में तालिबान सरकार ने महिलाओं को यूनिर्सिटी में पढ़ने पर बैन लगा दिया है, तालिबानी के इस तुगलकी फरमान से अफगानिस्तान में महिलाओं के द्वारा विरोध प्रदर्शन कर किए जा रहा है। पिछले एक साल से पड़ोसी मुल्क में लगातार महिलाओं की स्वतंत्रता छीनी जा रही है। 

अफगानिस्तान में ताजा हालातों से 19 साल की मारवा बेहद परेशान और दुखी हैं। वह विश्वविद्यालय जाने वाली अपने अफगान परिवार की पहली महिला बनने से कुछ ही महीने दूर थी, कि सरकार के इस फैसले से उनके सपने चकना चूर हो गए। मारवा ने काबुल में अपने परिवार के घर पर एएफपी को बताया, "अगर उन्होंने महिलाओं का सिर कलम करने का आदेश दिया होता, तो वह भी इस प्रतिबंध से बेहतर होता।"

उन्होंने कहा, "अगर हम इतने बदकिस्मत हैं, तो काश हम पैदा ही नहीं होते। मुझे दुनिया में अपने अस्तित्व के लिए खेद है। उन्होंने कहा, "हमारे साथ जानवरों से भी बदतर व्यवहार किया जा रहा है। जानवर अपने आप कहीं भी जा सकते हैं, लेकिन हम लड़कियों को अपने घरों से बाहर निकलने का भी अधिकार नहीं है।"

मारवा ने हाल ही में मार्च से अफगानिस्तान की राजधानी में एक मेडिकल विश्वविद्यालय में नर्सिंग की डिग्री शुरू करने के लिए एक प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की थी। वह अपने भाई हामिद के साथ हर दिन कैंपस में शामिल होने को लेकर रोमांचित थी। लेकिन अब उनका भविष्य अधर में लटक गया है।

काबुल में एक उच्च शिक्षा संस्थान में बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन के छात्र 20 वर्षीय हामिद ने कहा, "मैं चाहता था कि मेरी बहन मेरे साथ-साथ अपने लक्ष्यों को प्राप्त करे - सफल होने और आगे बढ़ने के लिए।" उन्होंने कहा, "कई दिक्कतों के बावजूद वह 12वीं तक पढ़ी थी, लेकिन अब हम क्या कहें?"

तालिबान के उच्च शिक्षा मंत्री, नेदा मोहम्मद नदीम ने दावा किया कि महिला छात्रों ने एक सख्त ड्रेस कोड की अनदेखी की थी और परिसर में एक पुरुष रिश्तेदार के साथ जाने की आवश्यकता थी। लेकिन तालिबान के कुछ अधिकारियों के अनुसार, कट्टर मौलवियों के चलते सरकार ने यह कदम लिया है। लड़कियों को देश के अधिकांश हिस्सों में माध्यमिक विद्यालयों में जाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।

अफगानिस्तान में महिलाओं को पुरुष रिश्तेदार के बिना यात्रा करने से भी रोक दिया गया है और उन्हें सार्वजनिक रूप से कवर करना होगा। महिलाओं को पार्कों, मेलों, जिम और सार्वजनिक स्नानागार में जाने की मनाही है। मारवा और हामिद एक गरीब परिवार से आते हैं लेकिन उनके माता-पिता ने उच्च शिक्षा के लिए उनका समर्थन किया था।

मंत्री नदीम ने जोर देकर कहा कि छात्राओं ने इस तरह से व्यवहार किया जिससे इस्लामी सिद्धांतों और अफगान संस्कृति का अपमान हुआ। उन्होंने राज्य टेलीविजन पर एक साक्षात्कार में कहा, "वे ऐसे कपड़े पहन रही थीं जैसे वे किसी शादी में जा रही हों। जो लड़कियां घर से विश्वविद्यालयों में आ रही थीं, वे भी हिजाब के निर्देशों का पालन नहीं कर रही थीं।"

Web Title: Afghan Women Speak Out On University Ban "Beheading Would've Been Better"

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