SC के फैसले को लेकर अलका लांबा का आप पर तंज, दिल्ली सरकार के मंत्रिमंडल में एक भी महिला मंत्री का ना होना...

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 17, 2020 01:35 PM2020-02-17T13:35:36+5:302020-02-17T13:35:36+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सशस्त्र सेनाओं में लिंग आधारित भेदभाव को समाप्त करने के लिए सरकार की मानसिकता में बदलाव जरूरी है।

alka lamba tweet after Supreme Court clears permanent commission, command roles for women officers in Indian Army | SC के फैसले को लेकर अलका लांबा का आप पर तंज, दिल्ली सरकार के मंत्रिमंडल में एक भी महिला मंत्री का ना होना...

अलका लांबा (फाइल फोटो)

Highlights केजरीवाल सरकार में किसी भी महिला विधायक को कैबिनेट में जगह नहीं मिली है।विपक्षी दल लगातार महिला मंत्री नहीं बनाए जाने पर सवाल कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को आदेश दिया कि वह सेना की उन सभी महिला अधिकारियों को तीन महीने के भीतर स्थायी कमीशन प्रदान करे जिन्होंने इसके लिए आवेदन किया है। न्यायालय ने यह भी कहा कि महिलाओं को कमांड पोस्टिंग पर नियुक्ति दिए जाने पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें शारीरिक सीमाओं और सामाजिक चलन का हवाला देते हुए सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन नहीं देने की बात कही गई थी।

न्यायालय ने कहा कि यह दलील परेशान करने वाली और समानता के सिद्धांत के विपरीत है। पीठ ने कहा कि अतीत में महिला अधिकारियों ने देश का मान बढ़ाया है और सशस्त्र सेनाओं में लिंग आधारित भेदभाव को समाप्त करने के लिए सरकार की मानसिकता में बदलाव जरूरी है। न्यायालय ने कहा कि महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के 2010 के, दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्णय पर रोक न होने के बावजूद केंद्र सरकार ने पिछले एक दशक में सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने में आनाकानी की। गौरतलब है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने महिला अधिकारियों को सेना में स्थायी कमीशन देने का आदेश 2010 में दिया था। 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद कांग्रेस नेता अलका लांबा ने केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा है। अलका लांबा ने ट्वीट किया, सुप्रीम कोर्ट द्वारा ऐसी टिप्पणी सरकार में बैठे लोगों की महिला विरोधी सोच को ही बेनकाब करती है, वरना दिल्ली सरकार के मंत्रिमंडल में एक भी महिला मंत्री का ना होना, 33% महिला आरक्षण का पास ना हो पाना, महिलाओं के प्रति अपराध में वृद्धि होना इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। 

अरविंद केजरीवाल ने लगातार तीसरी बार 16 फरवरी 2020 को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके अलावा 6 लोगों ने मंत्री पद की शपथ ली। केजरीवाल सरकार में किसी भी महिला विधायक को कैबिनेट में जगह नहीं मिली है। विपक्षी दल लगातार इस मुद्दे को उठा रहे हैं। इस बाद दिल्ली विधानसभा चुनाव में आठ महिला उम्मीदवारों ने विजय हासिल की है, जिसमें आतिशी, राखी बिड़लान, राज कुमारी ढिल्लन, प्रीति तोमर, धनवती चंदेला, प्रमिला टोकस, भावना गौर और बंदना कुमारी शामिल हैं।

एजेंसी इनपुट के साथ

Web Title: alka lamba tweet after Supreme Court clears permanent commission, command roles for women officers in Indian Army

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