ये चार रेलवे स्टेशन माने जाते हैं भूतहे, जानिए क्या है इसकी वजह
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: December 27, 2017 02:49 PM2017-12-27T14:49:22+5:302017-12-27T15:41:15+5:30
एक स्टेशन के बारे में कहा जाता है कि एक महिला सफेद साड़ी पहने हुए प्लेटफार्म पर नाचती दिखती है।
क्या आपने देर रात में कभी स्टेशन पर बैठकर ट्रेन का इतंजार किया है? किसी सुनसान रेलवे स्टेशन पर देर रात गए हो और आपको डर लगा हो? हो सकता है आपको डर ना लगा हो, लेकिन अगर आप आगे बताई जा रही इस लिस्ट में से किसी भी एक स्टेशन पर देर रात गए तो डर के अगले स्टेज से आपका सामना होना तय है।
बेगनकुडोर स्टेशन, पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल के एक दूरवर्ती गांव में है एक ऐसा स्टेशन जिसके बारे में यह कहा जाता है कि देर रात में यहां एक महिला सफेद साड़ी पहने हुए प्लेटफार्म और गाड़ी कि पटरी पर नाचती हुई दिखती है। कहा जाता है कि इस महिला कि मृत्यु इसी स्टेशन पर ट्रेन के नीचे आ जाने के कारण हुई थी जिसके बाद से ही ये यहां आत्मा बन भटक रही है। इस भूतिया कहानी के चलते इस स्टेशन को करीब 42 वर्षों के लिए बंद कर दिया गया था लेकिन फिर वर्ष 2009 में सरकार ने इन बातों को अफवाह करार देकर स्टेशन का काम पुनः चालू किया।
बड़ोग स्टेशन, शिमला
शिमला की सुन्दर वादियों में एक जगह ऐसी भी है जो रूह को अन्दर तक कांपने के लिए मजबूर कर देती है। ये है शिमला का बड़ोग रेलवे स्टेशन। ये कालका-शिमला लाइन की 33 नंबर टनल है जिसे इस रूट कि सबसे लम्बी टनल कहा जाता है। कहते हैं कि इसे बनाने वाले इंजीनियर ने सरकार द्वारा फटकार लगने पर आत्महत्या करली थी। लोगों का विश्वास है कि उस ब्रिटिश इंजीनियर की आत्मा आज भी इस टनल में भटकती है। कुछ लोगों ने हाथ में लाल टेन पकडे एक परछाई को भी देर रात में इस टनल के आसपास घूमते देखा है।
रबिन्द्र सरोबर मेट्रो स्टेशन, कलकत्ता
कलकत्ता के रबिन्द्र सरोबर मेट्रो स्टेशन को 'सुसाइड मेट्रो स्टेशन' के नाम से भी जाना जाता है। यहां कई लोगों ने आत्मा हत्या की है जिसके बाद से ही देर रात में अनचाही परछाइयों का दिखना और रोने कि तेज आवाज आना इस स्टेशन कि रोज कि घटनाओं का हिस्सा बन गई हैं।
नैनी रेलवे स्टेशन, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के इस रेलवे स्टेशन पर आजतक किसी ने कोई अनचाही परछाई देखि तो नहीं है लेकिन लोगों ने किसी रूह को यहां महसूस जरूर किया है। कहा जाता है कि यह रूहें स्वंत्रता सैनानियों की है जो आज भी यहां भटक राही हैं।