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Mohan Delkar Death: MP मोहन डेलकर ने सुसाइड नोट में लिखा है 40 लोगों का नाम, पुलिस कर रही तलाश

By गुणातीत ओझा | Published: February 24, 2021 01:24 AM2021-02-24T01:24:44+5:302021-02-24T01:26:01+5:30

केंद्र शासित प्रदेश दादरा नगर हवेली से सात बार के सांसद रहे मोहन डेलकर (Mohan Delkar Death) ने आत्महत्या क्यों कर ली। ऐसी कौन सी चीज उन्हें साल रही थी कि खौफनाक कदम उठाना पड़ गया।

मोहन डेलकर के सुसाइड नोट में 40 लोगों का नाम

केंद्र शासित प्रदेश दादरा नगर हवेली से सात बार के सांसद रहे मोहन डेलकर (Mohan Delkar Death) ने आत्महत्या क्यों कर ली। ऐसी कौन सी चीज उन्हें साल रही थी कि खौफनाक कदम उठाना पड़ गया। डेलकर सोमवार को दक्षिण मुंबई के मरीन ड्राइव में सी ग्रीन होटल के कमरे में मृत पाए गए थे। उन्होंने अपनी शॉल से फंदा लगाकर सीलिंग से लटक कर स्टूल को खिसका दिया और अपनी जान दे दी। उनकी उम्र 58 साल थी। वे अपने पीछे अपनी पत्नी कलाबेन डेलकर और दो बच्चों अभिनव और द्विविता को छोड़ गए हैं। डेलकर ने 6 पन्नों का सुसाइड नोट भी छोड़ा है जिसमें 40 लोगों का नाम लिखा हुआ है।

फोरेंसिक टीम ने सोमवार को होटल के उस कमरे की 4 घंटे तक तलाशी ली जहां से सांसद मोहन डेलकर का शव मिला। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद भी पुलिस ने बताया  है डेलकर की मौत आत्महत्या से हुई है। कमरे से मिले 6 पन्ने के सुसाइड नोट में जिन 40 नामों का जिक्र है, वे कौन लोग हैं? फिलहाल पुलिस ने उन नामों का खुलासा नहीं किया है। पुलिस अभी सांसद की हैंडराइटिंग के बारे में पता करने कोशिश कर रही है कि यह उनका ही है या किसी और का? 

कौन थे मोहन डेलकर?
1965 में सिलवासा में जन्मे मोहन भाई डेलकर ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में 1989 में नौवीं लोकसभा चुनाव जीत कर राष्ट्रीय राजनीति में अपना कदम रखा था। इसके बाद वे सात बार सांसद के तौर पर चुने जाने में कामयाब हुए। इससे पहले उनकी पहचान एक कर्मठ ट्रेड यूनियन के नेता के तौर पर थी। वे अलग-अलग कारखानों में काम करने वाले आदिवासियों की आवाज बन कर उभरे थे। 1986 से 1989 तक वे यूथ कांग्रेस के जनरल सेक्रेट्री रहे। उन्होंने भारतीय नवशक्ति पार्टी (बीएनपी) बनाई थी। इससे पहले वे कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ चुके थे।

1991 में वे दूसरी बार लोकसभा का चुनाव जीतकर सांसद बने। 1991 में उन्हें अनुसूचित जाति और जनजाति के कल्याण के लिए बनी कमिटी का सदस्य बनाया गया था। वाणिज्य और पर्यटन मंत्रालय से जुड़ी महत्वपूर्ण कमिटी में भी वे सक्रिय सदस्य रहे। 1996 में उन्होंने तीसरी बार भी कांग्रेस के टिकट से लोकसभा का चुनाव जीता। 1998 में वे भाजपा के टिकट से सांसद बने। 2004 में वे दोबारा कांग्रेस में शामिल हुए और 2019 में उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर निर्दलीय चुनाव जीता था. इसके बाद अक्टूबर 2020 में डेलकर जेडीयू में शामिल हो गए थे।

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