Kargil Vijay Diwas: धरती का स्वर्ग हैं कारगिल के ये 5 पर्यटक स्थल, हद से ज्यादा सुंदर है तीसरी जगह
By उस्मान | Published: July 26, 2019 12:17 PM2019-07-26T12:17:46+5:302019-07-26T14:03:55+5:30
Kargil Vijay Diwas: अक्सर लोग शिमला,मनाली,मसूरी या फिर फिर कश्मीर जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि, कश्मीर की वादियों में कई ऐसी खूबसूरत जगहें हैं, जहां आप उत्तर भारत की गर्मी के दौरान कंपकपाती ठंड का मजा ले सकते हैं।
भारत आज यानी 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस(Kargil Vijay Diwas) की बीसवीं सालगिरह मना रहा है। 20 साल पहले कारगिल की चोटी पर पाकिस्तान को परास्त कर देश के वीर जवानों ने करगिल की पहाड़ियों पर तिरंगा लहराया था। 1999 में दुश्मन देश को धूल चटाकर अपने प्राण न्योछावर करने वाले वीर शहीदों की याद में देश विजय दिवस मनाया जाता है।
जम्मू-कश्मीर में कारगिल की चोटियों पर 1999 में पाकिस्तानी घुसपैठियों ने धोखे से कब्जा कर लिया था। इसके बाद मई से जुलाई (1999) के बीच भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन विजय' चलाकर न सिर्फ घुसपैठियों को यहां से भागने पर मजबूर किया बल्कि पाकिस्तान के नापाक हरकतों को भी बेनकाब किया था।
आज इस खास अवसर पर हम आपको कारगिल के उन पांच पर्यटक स्थलों की जानकारी दे रहे हैं, जिन्हें धरती का स्वर्ग कहा जाता है। जब भी आपको कारगिल जाने का मौका मिले तो इन जगहों की सैर करना न भूलें।
1) मुलबेख मठ (Mulbekh Monastery)
श्रीनगर-लेह हाइवे से जाते हुए कारगिल के बाद पहला स्टॉप मुलबेख गांव का है। यह एक घाटी के अंत में कारगिल से 45 किमी। की दूरी पर बना हुआ है। यह मठ, सड़क से 200 मीटर की ऊंचाई पर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। इस मठ में 9 मीटर ऊंची मैत्रीस बौद्ध की प्रतिमा रखी हुई है जिन्हे फ्यूचर बौद्ध या लॉफिंग बुद्धा भी कहा जाता है। मठ में अभी भी कई बौद्ध भिक्षुओं की निशानियां मिलती हैं। इस मठ पर की कई कलाकृति और वास्तुकला आपको खुश कर देगी।
2) द्रास वॉर मेमोरियल (Drass war memorial)
कारगिल युद्ध के दौरान देश के लिये अपनी जान कुर्बान कर देने वाले एक-एक शहीद को श्रद्धांजलि देता है यह वॉर मेमोरियल। इस युद्ध स्मृति की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह इंडिया गेट की थीम पर बनाया गया है। इन वीर सपूतों की याद में ही द्रास में एक वॉर मेमोरियल बनाया गया। द्रास वॉर मेमोरियल, जहां कदम रखते ही एक साथ उन बहादुरों की यादें ताजा हो जाएंगी जिनकी वजह से भारत को उस युद्ध में विजय हासिल हुई। गुलाबी रंग की इमारत में दिल्ली के इंडिया गेट की तर्ज पर एक अमर जवान ज्योति जलती रहती है और एक सिपाही 24 घंटे पहरे में लगा रहता है। यहां एक बड़ी सी दिवार पर आपको उन सभी शहीदों के नाम लिखे हुए मिलेंगे जिन्होंने देश की खातिर अपनी जान गवां दी।
3) सुरु घाटी (Suru Basin)
सुरु घाटी, जो प्रकृति का एक नायाब तोहफा है। हरे भरे पहाड़, आसमान को छूते उंचे पहाड़, प्राचीन मठ और शांत वातावरण आदि इस इसे और भी खूबसूरत बनाता है, खास बात यह है कि, आज भी यह जगह पर्यटकों की नजरों से दूर है। सर्दियों के दौरान सुरु घाटी पूरी तरह बर्फ से ढकी हुई होती है, ऐसे में सर्दी के दौरान यहां जाने से बचना चाहिए। अगर आप इस जगह की अपार सुन्दरता को निहारना चाहते हैं तो इसकी यात्रा अप्रैल से लेकर अक्टूबर के बीच कर सकते हैं। यह सिंधु नदी की सहायक नदी सूरी नदी के रूप में जानी जाती है, जो कारगिल जिले के माध्यम से बहती है,और सूरू घाटी का प्रमुख हिस्सा है।
4) कारगिल मेन स्ट्रीट (Kargil main street)
यह एक छोटा शहर है जो पर्यटकों को काफी आकर्षित करता है। बेशक यहां बड़ी बड़ी दुकानें नहीं हैं लेकिन कुछ ड्राई फ्रूट्स की शॉप हैं, जहां आप सस्ते में बेहतरीन चीजें ले सकते हैं। कुछ दुकानों में स्थानीय लोगों द्वारा हाथ से बनाई गईं छोटी-छोटी सुंदर चीजें मिलती हैं जो यात्रियों के लिए स्मृति चिन्ह हैं।
5) लामायुरु मठ (Lamayuru Monastry)
लामायुरु मठ अगर आप श्रीनगर-लेह हाइवे से लद्दाख जा रहे हैं तो आपको यहां जरूर रुकना चाहिए। लामायुरु मठ, दरीकुंग कागयू स्कूल ऑफ बुद्धिज्म से जुड़ा है ये लद्दाख के सबसे पुराने और सबसे बड़े मठ में से एक है। इस मठ का इतिहास 11वीं सदी से शुरू होता है जब बौद्ध भिक्षु अरहत मध्यनतीका ने लामायुरु में मठ की नींव रखी थी, कहा जाता है कि इस जगह पहले एक झील हुआ करती थी। इसके बाद पास की गुफा से महिद्ध नरोपा यहां साधना करने आए और झील सूख गई, इसके बाद यहां लामायुरु मठ की स्थापना हुई।